पुराने जूतों से नई चप्पलें बनाने की शानदार फैक्ट्री


अब पुराना जूता कबाड़ नहीं, क्योंकि एक हिंदुस्तानी भाई ने लगा दी है ऐसी कमाल की फैक्ट्री जहां इनका पुनर्निर्माण कर नया बनाया जाता है। अपनी इस शानदार टेक्नोलॉजी के कारण यह दुनिया भर में मशहूर है। इतनी सफाई से जूते-चप्पल बनाने की कारीगरी वाक्य में लाजवाब है। आये जानते हैं ग्रीनसोल फाउंडेशन के डायरेक्टर जी से वह किस प्रकार पुराने जूते-चप्पलों को एकदम नया बना देते हैं।
जूते बनाने की विधि:
सबसे पहले विभिन्न स्रोतों के माध्यम से पुराने जूते-चप्पलों को कलेक्ट करके इनकी इस फैक्टरी पर लाया जाता है। फिर उनके विभिन्न कैटेगरी में कलेक्शन करते हैं। उसके बाद इन पुराने जूते को सैरीगेट करके उनके सभी पार्ट काटते हैं और उनके लेस, अप्पर पार्ट तथा सोल को अलग-अलग कर लेते हैं। अब इन सोल को कटिंग मशीन पर ले जाते हैं, जहां विभिन्न साइज के मोल्ड होते हैं। पुराने सोल की क्षमता अनुसार उससे छोटे साइज का सोल मोल्ड द्वारा काटा जाता है और उसकी ग्राइंडिंग मशीन पर घिसाई कर लेवलिंग की जाती है। फिर इस साइज की एक और इनशोल पट्टी काटी जाती है।
इंसोल बनाने के लिए दो प्रकार के पदार्थ होते हैं एक रैक्शन तथा दूसरा वावा मेटिरियल। उन दोनों को आपस में पेस्ट करने के बाद मशीन में डालते हैं और साइड से एक बार फिर से फिनिशिंग कटिंग की जाती है। तब दोनों की आपस में अच्छे से स्टिचिंग कर देते हैं। तथा फिर विशेष कपड़े से V आकार में चप्पलों की बद्दी काट ली जाती है। जिसकी दो परतों को आपस में चिपकाकर बेहतरीन तरीके से मशीन द्वारा सिलाई की जाती है। उसके बाद तैयार सोल में बद्दी डालने के लिए तीन आवश्यकता अनुसार हॉल किए जाते हैं और उनमें चप्पल की बद्दी सेट कर देते हैं। चप्पल को फर्मे में फंसा कर पीछे से बद्दीयों की अच्छे से सिलाई और ग्लू से चिपका देते हैं तथा फिर उसके पीछे एक और सोल की परत फिक्स कर थोड़ी देर हीटर में रखते हैं तथा फिर दबाने के लिए एक प्रेसिंग मशीन में रख देते हैं, जहां वह दबकर सूखने के बाद मजबूती से चिपक जाती है। अब इसको एक बार फिर ट्रेनिंग प्रोसस के लिए ग्राइंडर पर ले जाया जाता है, जहां इसकी अच्छे से फिनिशिंग और घिसाई की होती है, जिससे यह बिल्कुल स्मूथ और इकसार हो जाती है।
अन्य प्रोडक्ट्स:
उनकी इस फैक्ट्री में चप्पलों के अलावा और भी अन्य प्रोडक्ट्स बनाए जाते हैं, जिनमें बचे हुए कपड़े से बने मजबूत और सुंदर बैग हैं। इसी के साथ पुराने कपड़ों से मैट भी तैयार किया हुआ है।
ग्रीनसौल फाउंडेशन:
यह गजब का फाउंडेशन विभिन्न स्रोतों जैसे स्कूलों, सोसाइटी आदि से अपना कांटेक्ट बनाए हुए हैं तथा यह सभी संस्थान स्वयं ही पुरानी चीजों को इकट्ठा कर इनकी फैक्ट्री पर ले आते हैं।तथा फिर यह उसका नया प्रोडक्ट बनाकर उन्हें वापस डोनेट कर देते हैं। कोई बंधू इनसे संपर्क करना चाहे तो इनकी वेबसाइट greensolefoundation.com विजिट कर सकते हैं। ऐसे ही अन्य जानकारी के लिए जुड़े रहे "द अमेजिंग भारत" के साथ। धन्यवाद॥
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