साइंस या अजूबा: गजब कलाकारी


पानी और उसकी विशेषताएँ विज्ञान की दुनिया में बहुत रोचक होती हैं। पानी की सर्फस पर एक अनदेखी ताकत काम करती है, जिसे "सतह तनाव" (Surface Tension) कहते हैं। यही सतह तनाव कई बार हमें चौंकाने वाले नतीजे दिखाता है, जैसे कि पानी से भरा गिलास होने के बावजूद उसमें छोटी-छोटी कीलें डालने पर पानी बाहर न बहना। इसी तरह, पेपर के फूल का पानी में खुलना और गिलास में ढक्कन का बीच में आना भी वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है।
आइए, इन वैज्ञानिक तथ्यों को एक-एक करके समझते हैं।

1. गिलास में ढक्कन बीच में कैसे आया?
जब पानी से भरे गिलास में ढक्कन रखा जाता है, तो अक्सर वह किनारे पर ही रह जाता है। लेकिन जब धीरे-धीरे पानी को और भरा जाता है (जैसे इंजेक्शन से पानी डालकर), तो ढक्कन अपने आप गिलास के बीच में आ जाता है।
इसका कारण क्या है?
गिलास और पानी के बीच आणविक आकर्षण (Molecular Attraction) होता है। गिलास के अंदर पानी जब पूरा भर जाता है, तो उसकी सतह पर सतह तनाव (Surface Tension) बनने लगता है। जब पानी का स्तर ऊपर आ जाता है तो उसका सतह तनाव पूरे गिलास के केंद्र में संतुलित हो जाता है, जिससे ढक्कन भी खुद-ब-खुद बीच में आ जाता है। यही कारण है कि यदि गिलास आधा भरा हो तो सतह तनाव गिलास के किनारे पर अधिक प्रभाव डालता है और ढक्कन किनारे पर ही रहता है। लेकिन जब पानी पूरा भर जाता है, तो संतुलन बदल जाता है और ढक्कन बीच में आ जाता है।
2. पानी में कागज का फूल क्यों खिलता है?
कई लोगों ने बचपन में देखा होगा कि जब कागज का एक फूल बनाकर पानी में रखा जाता है तो वह धीरे-धीरे खुलने लगता है। लेकिन अगर वही फूल मोटे पेपर (जैसे नोटबुक के पेज) से बनाया जाए तो वह ज्यादा अच्छे से नहीं खुलता।
इसका कारण क्या है?
सामान्य कागज में छोटे-छोटे छेद होते हैं, जिन्हें "सूक्ष्म छिद्र" (Micro Pores) कहा जाता है। जब इसे पानी में रखा जाता है, तो पानी इन छिद्रों में बहुत तेजी से चला जाता है, जिससे कागज फूल के किनारे जल्दी भीग जाते हैं और फैलने लगते हैं। लेकिन नोटबुक का पेपर मोटा और सख्त होता है, जिससे उसमें पानी धीरे-धीरे जाता है और फूल भी धीमी गति से या बिल्कुल भी नहीं खुलता। इस प्रक्रिया को कैपिलरी एक्शन कहा जाता है। कैपिलरी एक्शन का यही सिद्धांत पेड़ों में भी काम करता है, जहां जड़ों से पानी पतली-पतली नलिकाओं के माध्यम से ऊपरी शाखाओं तक पहुँचता है।
3. गिलास पूरा भरा होने के बाद भी कील डालने पर पानी क्यों नहीं गिरता?
यह सबसे रोचक और मजेदार प्रयोग है। जब एक गिलास को पूरा पानी से भर दिया जाता है और उसमें धीरे-धीरे छोटी-छोटी कीलें डाली जाती हैं, तो हैरानी होती है कि पानी बाहर नहीं गिरता।

इसका कारण क्या है?
पानी की सतह पर सतह तनाव (Surface Tension) की एक पतली झिल्ली बनी होती है। जब हम गिलास में कील डालते हैं, तो ये झिल्ली पानी को मजबूती से पकड़े रखती है, जिससे वह बाहर नहीं बहता। जब तक सतह तनाव की यह झिल्ली टूटी नहीं जाती या बहुत ज्यादा वजन न डाला जाए तब तक पानी गिलास से बाहर नहीं आता।
तो कितनी कीलें डाली जा सकती हैं?
अगर कीलें बहुत हल्की और धीरे-धीरे डाली जाएं, तो पानी अपनी जगह बना लेता है और कई कीलें समा सकती हैं। लेकिन अगर अचानक भारी चीज डाली जाए तो पानी की झिल्ली टूट जाएगी और पानी बह जाएगा।
निष्कर्ष
हमने देखा कि कैसे सतह तनाव और कैपिलरी एक्शन विज्ञान के छोटे-छोटे रहस्यों को समझने में मदद करते हैं। गिलास में ढक्कन को बीच में लाने के लिए सतह तनाव का संतुलन जरूरी है। कागज का फूल पानी में इसलिए खिलता है क्योंकि उसमें मौजूद छोटे छेद पानी को सोखते हैं।गिलास के ऊपर पानी होने के बावजूद कील डालने पर पानी बाहर नहीं गिरता क्योंकि सतह तनाव की एक झिल्ली पानी को रोके रखती है। ये सारे वैज्ञानिक प्रयोग हमें यह बताते हैं कि हमारा रोजमर्रा का जीवन विज्ञान से भरा हुआ है, बस हमें उसे समझने की नजर चाहिए।
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