साइकिल सूरज की रोशनी से चलेगी

31 Mar 2025 | Innovation
साइकिल सूरज की रोशनी से चलेगी

आज के दौर में जब ईंधन की कीमतें बढ़ रही हैं और पर्यावरण संरक्षण की जरूरत बढ़ती जा रही है, ऐसे में गुजरात के वडोदरा-अहमदाबाद के नील शाह ने एक अनोखी सौर ऊर्जा से चलने वाली साइकिल बनाई है। यह साइकिल जितनी चलेगी, उतनी ही चार्ज होगी, यानी इसे चलाने के लिए किसी बाहरी बिजली स्रोत की जरूरत नहीं पड़ेगी।

साइकिल सूरज की रोशनी से चलेगी_7318


कैसे काम करती है यह अनोखी साइकिल?

नील शाह ने इस साइकिल को पाँच साल पहले, जब वे 12वीं कक्षा में पढ़ रहे थे, तब तैयार किया था। यह साइकिल मुख्य रूप से दो तरीकों से चार्ज होती है:

  •  सौर ऊर्जा चार्जिंग: साइकिल के ऊपर और पीछे लगे सोलर पैनल सूरज की रोशनी को बिजली में बदलते हैं और बैटरी को चार्ज करते हैं।
  •  डायनेमोमीटर चार्जिंग: अगर बैटरी खत्म हो जाए, तो साइकिल के टायर घूमने के साथ-साथ डायनेमोमीटर से बिजली उत्पन्न होती है, जिससे बैटरी दोबारा चार्ज होने लगती है।
  •  मैन्युअल चार्जिंग: इसमें एक चार्जिंग पोर्ट भी दिया गया है, जिससे इसे जरूरत पड़ने पर बिजली से भी चार्ज किया जा सकता है।

तकनीकी विशेषताएँ

  • बैटरी: 24 वोल्ट, 15 एम्पियर की बैटरी लगी हुई है।
  • चार्जिंग करंट: 1.5 एम्पियर से बैटरी चार्ज होती है।
  • स्पीड और चार्जिंग मीटर: एक मीटर बैटरी की चार्जिंग दिखाता है और दूसरा स्पीड व डिस्टेंस दिखाता है।
  • ब्रिज रेक्टिफायर और बूस्ट कन्वर्टर: यह साइकिल में स्थिर करंट सप्लाई बनाए रखते हैं।
  • डुअल मोड: यह साइकिल इलेक्ट्रिक और पैडल दोनों तरीकों से चलाई जा सकती है। इलेक्ट्रिक मोड में चलते समय पैडल की चेन नहीं घूमती और अगर बैटरी खत्म हो जाए, तो पैडल मोड पर चला सकते हैं।
  • हॉर्न और इंडिकेटर: 12 वोल्ट की सेल से हॉर्न और पावर इंडिकेटर लगे हुए हैं।
  • सनलाइट एंगल टेक्नोलॉजी: सौर ऊर्जा को अधिकतम उपयोग में लाने के लिए सोलर पैनल को विशेष तरीके से आगे और पीछे लगाया गया है।
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कैसे बनी यह साइकिल?

नील शाह को यह साइकिल उनके पिता से कबाड़ के रूप में मिली थी। नील ने इसमें नए सौर ऊर्जा के फीचर्स जोड़कर इसे अनोखा बना दिया। इसे बनाने में उनके पिता का भी पूरा सहयोग रहा। करीब 3-4 महीने की मेहनत के बाद यह अनोखी साइकिल तैयार हुई।


क्यों है यह साइकिल खास?

  • ईको-फ्रेंडली: यह पेट्रोल या डीजल का इस्तेमाल नहीं करती, जिससे प्रदूषण नहीं होता।
  • कम खर्च: बिजली या ईंधन पर खर्च नहीं करना पड़ता।
  • सभी परिस्थितियों में उपयोगी: अगर बैटरी खत्म हो जाए तो पैडल से चला सकते हैं।
  • लॉन्ग ड्राइव के लिए उपयुक्त: चलते-चलते चार्ज होने की सुविधा इसे लंबी दूरी के सफर के लिए भी उपयुक्त बनाती है।
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भविष्य की संभावनाएँ

नील शाह की यह खोज खासकर उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है, जो किफायती और पर्यावरण-अनुकूल यातायात साधन चाहते हैं। यदि इस तकनीक को बड़े स्तर पर विकसित किया जाए, तो यह साइकिल आने वाले समय में परिवहन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकती है। यह साइकिल दिखाती है कि अगर जुनून और मेहनत हो, तो कबाड़ को भी अनमोल बनाया जा सकता है। नील शाह का यह नवाचार नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे विज्ञान और सोच से हम भविष्य को बेहतर बना सकते हैं।

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