भारत में किसानों की सूझबूझ और देसी जुगाड़ से बड़े-बड़े इनोवेशन होते आए हैं, और जब यह इनोवेशन तकनीक के संगम से मिलता है, तो बनती है एक ऐसी कहानी जो मेगा फैक्टर जैसे शो में भी दिखाई जाती है। ऐसा ही कमाल किया है कमल इंडस्ट्रीज ने – जहाँ किसानों के खेतों से आने वाली लकड़ी बदलती है इको-फ्रेंडली चम्मचों में। यह सिर्फ एक फैक्ट्री नहीं, बल्कि पर्यावरण की रक्षा और प्लास्टिक के विकल्प की दिशा में एक मजबूत कदम है। आइए जानते हैं कैसे


चरण 1: किसानों से आती है लकड़ी

इस प्रक्रिया की शुरुआत होती है ग्रामीण क्षेत्रों से, जहाँ किसान भाई लकड़ियों की सप्लाई करते हैं। आमतौर पर ये लकड़ियाँ जंगल या निजी बागों से आती हैं, जो प्राकृतिक रूप से गीली होती हैं।

चरण 2: बॉक्स शेप में कटाई और पिलिंग

फैक्ट्री में आने के बाद सबसे पहले इन लकड़ियों की कटिंग होती है – एकदम बॉक्स की शेप में। फिर इन लकड़ियों का छिलका उतारकर उन्हें पिलिंग मशीन में डाला जाता है।

चरण 3: स्ट्रिप्स में तब्दील करने की हाई-टेक तकनीक

अब आता है सबसे शानदार हिस्सा – जहाँ लकड़ी की बॉक्स शेप्ड पट्टियाँ एक रोटेटिंग ब्लेड मशीन में जाती हैं। यह मशीन घूमती है और लकड़ी को पतली-पतली स्ट्रिप्स में काट देती है। एक लकड़ी से करीब 4-5 स्ट्रिप्स आराम से निकल जाती हैं।

चरण 4: मोल्डिंग – चम्मच की शक्ल देना

इन स्ट्रिप्स को अब हैम्पर मशीन में भेजा जाता है, जहाँ लगे होते हैं अलग-अलग मोल्ड –

  • आइस-क्रीम स्टिक के लिए अलग
  • छोटी चम्मच (जैसे इमली या दही के लिए) के लिए अलग
  • बड़ी चम्मच (चाट, पुलाव आदि के लिए) के लिए अलग
  • सभी मोल्ड्स एक ही मशीन में सेट किए जाते हैं और स्ट्रिप्स के अनुसार उनमें चम्मचें बनती हैं
  • चरण 5: प्राकृतिक तरीके से सुखाना

क्योंकि लकड़ी गीली होती है, इसलिए मोल्डिंग के बाद चम्मच भी नमी वाली होती है। ऐसे में इन चम्मचों को सीधा सूरज की रौशनी में सुखाया जाता है।

चरण 6: पॉलिशिंग – नर्म और चमकदार फिनिश के लिए

सुखने के बाद इन चम्मचों को एक पॉलिशिंग ड्रम में 3 से 4 घंटे तक घुमाया जाता है। इससे न सिर्फ चम्मचें चिकनी हो जाती हैं, बल्कि उनमें एक प्राकृतिक चमक भी आ जाती है।

चरण 7: पैकेजिंग – उपयोग अनुसार

अब बारी आती है पैकिंग की –

  • आइसक्रीम स्पून की अलग पैकिंग
  • चाट के लिए अलग
  • दही, इमली, पेस्ट्री के लिए बनी छोटी चम्मचों की अलग-अलग पैकेजिंग
  • इन सभी चम्मचों की मोटाई (थिकनेस) भी कंट्रोल की जा सकती है, ताकि उपयोग के अनुसार मजबूत या हल्की बनाई जा सके।

कमल इंडस्ट्रीज की खासियत

  • पूरी प्रक्रिया प्लास्टिक मुक्त है
  • किसानों की आमदनी बढ़ाने वाला मॉडल
  • बायोडिग्रेडेबल, प्राकृतिक और टिकाऊ उत्पाद
  • हर आकार और मोटाई में चम्मच उपलब्ध
  • आयात की बजाय घरेलू उत्पादन को बढ़ावा

एक प्रेरणादायक पहल

कमल इंडस्ट्रीज केवल एक उत्पादन इकाई नहीं, बल्कि भारत में ग्रीन इनोवेशन की मिसाल है। यह न केवल पर्यावरण को बचाने की दिशा में कदम है, बल्कि गाँवों से जुड़ी अर्थव्यवस्था और किसानों की आय का मजबूत स्रोत भी बनता जा रहा है। यह सिस्टम दिखाता है कि अगर तकनीक और देसी दिमाग साथ आ जाएँ, तो लकड़ी से चम्मच तक की यात्रा भी एक प्रेरणास्पद क्रांति बन सकती है।