साइंस का जादू : जब विज्ञान चमत्कार जैसा लगे


विज्ञान हर जगह है, हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी से लेकर बड़े-बड़े आविष्कारों तक। जब हम इसे गहराई से समझते हैं, तो यह किसी जादू से कम नहीं लगता। अंकुर हॉबी सेंटर से जुड़े धनंजय रावल जी ऐसे ही अनोखे वैज्ञानिक प्रयोगों के जरिए विज्ञान को आसान और मजेदार बनाते हैं। उनके पास ऐसे अद्भुत गैजेट्स हैं, जिन्हें देखकर कोई भी हैरान रह जाए। आइए, उनके कुछ खास साइंस एक्सपेरिमेंट्स को विस्तार से समझते हैं।
1. लव टेम्परेचर: जब पानी अपने आप ऊपर चढ़ने लगे!
सोचिए, अगर आपके सामने एक बोतल हो, जिसमें लाल रंग का पानी नीचे जमा हो, और जैसे ही कोई इसे अपने हाथ से पकड़ता है, तो पानी धीरे-धीरे ऊपर चढ़ने लगे यह देखकर कोई भी चौंक जाएगा। लेकिन इसके पीछे कोई जादू नहीं, बल्कि विज्ञान का कमाल है।

इसका रहस्य क्या है?
इस प्रयोग में एक कांच की बोतल का उपयोग किया जाता है, जिसमें नीचे लाल रंग का पानी भरा होता है। जब कोई व्यक्ति अपने हाथों को तेजी से रगड़कर उन्हें गर्म करता है और फिर बोतल को पकड़ता है, तो पानी ऊपर चढ़ने लगता है।
वैज्ञानिक कारण
जब हाथों की गर्मी बोतल तक पहुंचती है, तो बोतल की अंदर की हवा गरम होने लगती है। गर्म होने पर गैसें फैलती हैं, यानी एक्सपैंड होती हैं। इसका सीधा असर बोतल के अंदर मौजूद तरल पर पड़ता है। बढ़ते दबाव के कारण लाल पानी धीरे-धीरे ऊपर उठने लगता है।
क्या सीख सकते हैं?
यह प्रयोग हमें बताता है कि तापमान बढ़ने से गैसें फैलती हैं और दबाव बढ़ता है। यही कारण है कि गर्मी के मौसम में टायरों में हवा का दबाव बढ़ जाता है और कभी-कभी वे फट भी सकते हैं।
2. हवा में तैरता मेंडक
अब ज़रा सोचिए, अगर आपके सामने एक डिस्क रखी हो और उस पर एक मेंडक दिखे, लेकिन जब आप उसे पकड़ने जाएं, तो आपका हाथ खाली रह जाए यह किसी चमत्कार से कम नहीं लगेगा, लेकिन इसके पीछे भी विज्ञान ही है।

इसका रहस्य क्या है?
इस प्रयोग में एक खास प्रकार का परबोलिक मिरर इस्तेमाल किया जाता है। मेंडक असल में डिस्क के अंदर रखा जाता है, लेकिन मिरर की ऑप्टिकल प्रॉपर्टीज़ की वजह से वह ऊपर तैरता हुआ दिखता है।
वैज्ञानिक कारण
यह प्रयोग प्रकाश के परावर्तन (रिफ्लेक्शन) के नियमों पर आधारित है। परबोलिक मिरर की सतह इस तरह से बनाई जाती है कि वह किसी भी वस्तु की प्रतिबिंब (इमेज) को ऊपर की तरफ प्रोजेक्ट कर देता है। इसलिए हमारी आंखें धोखा खा जाती हैं और हमें लगता है कि मेंडक हवा में तैर रहा है।
क्या सीख सकते हैं?
यह प्रयोग हमें सिखाता है कि रोशनी कैसे रिफ्लेक्ट होती है और कैसे दर्पणों का उपयोग कर नई तकनीकें विकसित की जा सकती हैं।
3. पानी की जादुई बूंदे
अगर आपके सामने एक सतह पर पानी की कुछ बूंदे हों और वे बिना बहे इधर-उधर घूमती रहें, तो क्या आप इसे जादू मानेंगे? नहीं, यह भी विज्ञान का ही कमाल है।
कैसे काम करता है?
इस प्रयोग में हाइड्रोफोबिक सतह का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी सतह पर पानी की बूंदें चिपकती नहीं हैं, बल्कि मोतियों जैसी गोल होकर इधर-उधर लुढ़कने लगती हैं।
वैज्ञानिक कारण
इसका कारण है सतही तनाव (Surface Tension)। जब पानी की बूंदें किसी ऐसी सतह पर गिरती हैं, जो जलरोधी (Water-Resistant) होती है, तो वे सतह के संपर्क में कम आती हैं और गोलाकार बन जाती हैं। यही कारण है कि कुछ पत्तों पर पानी टिकता नहीं, बल्कि मोती जैसी बूंदें बनकर गिर जाता है।
क्या सीख सकते हैं?
यह तकनीक जलरोधी कपड़े, छाते और अन्य सतहों को विकसित करने में काम आती है।

निष्कर्ष
विज्ञान हमें यह सिखाता है कि जो चीजें हमें जादू जैसी लगती हैं, उनके पीछे भी तर्क और वैज्ञानिक नियम होते हैं। विज्ञान को अगर सही तरीके से समझा जाए, तो यह बहुत ही रोचक और मजेदार हो सकता है। धनंजय रावल जी जैसे वैज्ञानिक उत्साही लोग हमें यह सिखाते हैं कि विज्ञान केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे प्रयोगों के जरिए भी समझा जा सकता है।
अगर आप भी विज्ञान को करीब से देखना और समझना चाहते हैं, तो अगली बार किसी साइंस एग्जीबिशन में जाएं और ऐसे अद्भुत प्रयोगों का आनंद लें ।
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