विज्ञान के जादू का अनोखा संसार


क्या आपने कभी इतना बड़ा बबल देखा है कि उसमें कोई इंसान खड़ा हो सके? या फिर बिना किसी मोटर के एक फाउंटेन को लगातार बहते हुए देखा है? अगर आप विज्ञान के अनोखे और मज़ेदार प्रयोगों को देखना चाहते हैं तो खोज म्यूज़ियम, अहमदाबाद आपके लिए एक बेहतरीन जगह हो सकती है। यहाँ विज्ञान को सिर्फ पढ़ाया नहीं जाता, बल्कि उसे महसूस कराया जाता है। इस म्यूज़ियम में कई तरह के रोचक प्रयोग हैं, जो विज्ञान को सरल और आकर्षक बनाते हैं। आइए, यहाँ के कुछ शानदार वैज्ञानिक प्रयोगों को विस्तार से समझते हैं।

1. जायंट बबल – एक विशाल साबुन का बुलबुला
अगर आपको बुलबुले बनाना पसंद है तो इस म्यूज़ियम में मौजूद जायंट बबल शो आपको रोमांचित कर देगा। यहाँ एक विशेष रिंग होती है, जिसे जब नीचे से ऊपर खींचा जाता है, तो एक बड़ा बुलबुला बनता है। बुलबुला हमेशा गोल (spherical) होता है, चाहे हम उसे किसी भी आकार में बनाने की कोशिश करें।
2. इलेक्ट्रोस्टैटिक एक्सपेरिमेंट – गुब्बारे और पत्तियां क्यों खिंचती हैं?
एक साधारण गुब्बारे के साथ बिजली कैसे बनाई जा सकती है? जिसमें एक गुब्बारे को बालों पर रगड़ने से बाल खड़े हो जाते हैं और हल्की चीजें उसकी ओर आकर्षित होने लगती हैं। जब हम गुब्बारे को सिर पर रगड़ते हैं तो स्थिर विद्युत (static electricity) बनती है। इसी तरह, अगर इस चार्ज को किसी लीफ इलेक्ट्रोस्कोप पर ट्रांसफर किया जाए, तो उसकी पत्तियां अलग हो जाती हैं। लेकिन जैसे ही हम उसे हाथ से छूते हैं, चार्ज खत्म हो जाता है और पत्तियां वापस अपनी जगह आ जाती हैं।
3.हेरोन का फाउंटेन – बिना मोटर का अनोखा झरना
क्या कोई झरना बिना पंप या मोटर के बह सकता है? हीरोन का फाउंटेन ऐसा ही एक अद्भुत प्रयोग है, जिसे खोज म्यूज़ियम में दिखाया जाता है।
कैसे काम करता है?
इसमें तीन बोतलों और तीन स्ट्रॉ का इस्तेमाल होता है। जैसे ही पानी ऊपरी बोतल में डाला जाता है, नीचे की बोतलों में हवा का दबाव (air pressure) बनता है। यह दबाव पानी को ऊपर की ओर धकेलता है जिससे यह फाउंटेन की तरह बहने लगता है। जब तक हवा और पानी का संतुलन बना रहता है, फाउंटेन चलता रहता है। यह प्रयोग न्यूटन के गति के नियमों और वायुदाब (air pressure) के सिद्धांतों पर आधारित है। हेरॉन का फव्वारा एक हाइड्रोलिक मशीन है जिसका आविष्कार पहली शताब्दी ईस्वी के आविष्कारक, गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी अलेक्जेंड्रिया के हेरॉन ने किया था। हेरॉन ने हवा और भाप के दबाव का अध्ययन किया, पहले भाप इंजन का वर्णन किया, और ऐसे खिलौने बनाए जो पानी उछालते थे, उनमें से एक को हेरॉन के फव्वारे के रूप में जाना जाता है।
4. साबुन की दीवार – हाथ लगाने पर क्यों नहीं फूटती?
इस प्रयोग में एक साबुन के घोल से बनी झिल्ली होती है, जो बिल्कुल एक पारदर्शी दीवार की तरह दिखती है। अगर इसे हाथ से छूआ जाए, तो यह फट जाती है। लेकिन अगर हाथ को साबुन के घोल से गीला कर लिया जाए और फिर छुआ जाए, तो यह साबुन की दीवार बनी रहती है।
ऐसा क्यों होता है?
पानी के अणु आपस में जुड़े रहते हैं और उनकी सतह पर तनाव (surface tension) बना रहता है। जब सूखा हाथ इसे छूता है, तो यह संतुलन बिगड़ जाता है और बुलबुला फूट जाता है। लेकिन जब हाथ भी उसी साबुन के घोल से गीला होता है, तो दोनों की सतह एक समान होती है और बुलबुला नहीं फूटता।

इस म्यूज़ियम क्यों जाएं?
- विज्ञान को देखकर, छूकर और खेलकर सीखने का मौका।
- बच्चों और बड़ों के लिए समान रूप से मज़ेदार।
- विज्ञान के सिद्धांतों को आसानी से समझाने वाले रोचक प्रयोग।
यह म्यूज़ियम विज्ञान प्रेमियों के लिए किसी जादुई दुनिया से कम नहीं है। यहाँ आने के बाद आपको विज्ञान किताबों की तरह कठिन नहीं लगेगा, बल्कि वह एक खेल की तरह मज़ेदार बन जाएगा। अगर आपको विज्ञान में रुचि है, तो खोज म्यूज़ियम, अहमदाबाद में एक बार ज़रूर जाएं!
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