गोबर से बनी CNG से चलने वाले ट्रैक्टर और बाइक – एक अनोखी तकनीक


मध्य प्रदेश के साहपुर जिले के पटलावदा गांव में रहने वाले देवेंद्र जी ने गोबर से बनी बायोगैस को CNG में बदलकर एक अनोखा प्रयोग किया है। उन्होंने अपने महिंद्रा 575 ट्रैक्टर को पूरी तरह से CNG से चलने लायक बना दिया है। इस ट्रैक्टर में एक भी बूंद डीजल इस्तेमाल नहीं होता। उन्होंने इसके इंजन में CNG किट लगवाई है और ट्रैक्टर के दोनों तरफ 18-18 किलो के दो सिलेंडर फिट किए हैं। पहले जब यह ट्रैक्टर डीजल पर चलता था, तो यह सिर्फ 2-3 घंटे ही चलता था, लेकिन अब CNG से यह ज्यादा समय तक काम करता है।
देवेंद्र जी ने बायोगैस से CNG बनाने का प्लांट भी लगाया है, जिससे वे खुद अपने ट्रैक्टर और बाइक के लिए गैस तैयार करते हैं। CNG सिलेंडर में गैस भरने के लिए विशेष वाल्व लगाया गया है, जिससे पता चलता है कि सिलेंडर पूरी तरह भर गया है।
बायोगैस से चलने वाली बाइक
ट्रैक्टर के साथ-साथ उन्होंने अपनी बाइक को भी CNG से चलने के लिए मॉडिफाई किया है। पहले यह बाइक पेट्रोल से चलती थी और 60 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देती थी, लेकिन अब CNG पर यह 80-90 किलोमीटर प्रति किलो गैस चल रही है। उन्होंने बाइक में दो छोटे सिलेंडर फिट किए हैं, हालांकि फिलहाल एक ही सिलेंडर इस्तेमाल किया जा रहा है।
TMR मशीन – CNG से चलने वाली हाइड्रोलिक मशीन
देवेंद्र जी ने एक और अनोखा अविष्कार किया है। उन्होंने अपनी बजाज एवेंजर बाइक को टीऍमआर बना दिया है, जो पशुओं के लिए चारा डालने का काम करती है। इस मशीन में हाइड्रोलिक सिस्टम लगा हुआ है, जो 1 टन वजन उठा सकता है। यह मशीन CNG से 70 किलोमीटर प्रति किलो गैस का माइलेज देती है, जबकि पेट्रोल पर इसका माइलेज 25-30 किलोमीटर ही था। इस मशीन को स्टार्ट करने के लिए कुछ तारों को जोड़ना पड़ता है और इसमें फॉरवर्ड और रिवर्स गियर भी मौजूद हैं।
गोबर से बनी गैस – पर्यावरण के लिए फायदेमंद
देवेंद्र जी का यह प्रयोग कृषि और पर्यावरण दोनों के लिए बहुत लाभदायक है। बायोगैस से बनी CNG डीजल और पेट्रोल का अच्छा विकल्प है। इससे न सिर्फ पैसे की बचत होती है बल्कि प्रदूषण भी कम होता है। उनका कहना है कि यह तकनीक यदि बड़े स्तर पर अपनाई जाए, तो किसान अपनी जरूरत की गैस खुद बना सकते हैं और पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम कर सकते हैं।
निष्कर्ष
पटलावदा गांव के देवेंद्र जी ने अपने इनोवेशन से यह साबित कर दिया है कि गोबर सिर्फ कचरा नहीं, बल्कि एक बहुमूल्य संसाधन भी है। उनके द्वारा बनाए गए CNG से चलने वाले ट्रैक्टर, बाइक और हाइड्रोलिक मशीन खेती और पशुपालन को अधिक किफायती और पर्यावरण के अनुकूल बना सकते हैं। यदि इस तकनीक को सही दिशा में बढ़ाया जाए, तो यह भारत के किसानों के लिए एक बहुत बड़ा बदलाव ला सकती है।
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