अनोखी 9 फीट लंबी अजूबा साइकिल


भारत में हमेशा से हुनर और इनवेशन को सम्मान दिया जाता रहा है। आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और सूझ-बूझ से एक बिल्कुल अनोखी साइकिल बनाई है। हम बात कर रहे हैं सुधीर भावे जी की, जिन्होंने 9 फीट लंबी एक अजूबा साइकिल तैयार की है। इस साइकिल की खासियतें इतनी रोचक हैं कि जिसने भी इसे देखा, वह दंग रह गया।

9 फीट लंबी साइकिल और उसका अनोखा डिजाइन
सुधीर जी की साइकिल सामान्य साइकिलों जैसी नहीं है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसके पहियों यानी व्हील्स में छुपी है। इस साइकिल में दो बड़े पहिए हैं, लेकिन दोनों पहिए पूरे नहीं हैं। इन्हें बीच से आधा-आधा काटकर तैयार किया गया है। जब आगे वाला पहिया ज़मीन से थोड़ा हटता है, तो पीछे वाला पहिया उसकी जगह को संभाल लेता है। इस तरह दोनों पहिए बारी-बारी से ज़मीन पर पकड़ बनाते हैं और साइकिल आगे बढ़ती रहती है। इसे चलाने के लिए दोनों पहियों का तालमेल (सिंक) बेहद ज़रूरी है। अगर पहियों का तालमेल बिगड़ जाए तो साइकिल गिर सकती है। इस साइकिल में चैन से पहियों को जोड़ा गया है ठीक वैसे ही जैसे सामान्य साइकिलों में होता है। चैन के जरिए दोनों पहिए एक साथ मोशन में रहते हैं। जहाँ सामान्य साइकिल में डिस्क ब्रेक होते हैं, वहाँ सुधीर जी ने खास तरीके से पहिए फिट किए हैं। इससे साइकिल का संतुलन बनाए रखना आसान होता है।
चलाने में थोड़ा अभ्यास चाहिए
क्युकी यह साइकिल सामान्य से काफी अलग है, इसलिए इसे चलाने के लिए थोड़ा अभ्यास जरूरी होता है। शुरुआत में इसे मोड़ने और संतुलन बनाने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है, लेकिन जब कुछ समय तक इसे चलाया जाए, तो सवारी आरामदायक लगने लगती है। यह भी खास बात है कि इस साइकिल को बिना किसी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के पूरी तरह मैन्युअल तरीके से चलाया जा सकता है।
वेंडरों के लिए खास साइकिल
सुधीर जी ने एक और उपयोगी साइकिल तैयार की है, जो खास तौर पर वेंडरों के लिए बनाई गई है। इस साइकिल के बीच में एक बड़ी बास्केट लगाई गई है, जिसमें वेंडर अपना सामान रख सकते हैं। चाहे सब्जियां हो, किराने का सामान हो या अन्य चीजें वेंडर इसमें 30 से 40 किलो तक का वजन आसानी से ले जा सकते हैं। खास बात ये है कि अगर सामान नहीं ले जाना हो तो पीछे का टायर अंदर कर के साइकिल को छोटा भी किया जा सकता है। यह डिज़ाइन बहुत सोच-समझकर तैयार किया गया है, जिससे साइकिल (multi-purpose) बन गई है। इस साइकिल में बड़ी चैन का इस्तेमाल किया गया है ताकि अधिक वजन होने पर भी साइकिल का संतुलन बना रहे और मोशन स्मूद रहे।

कहां से मिला आइडिया?
सुधीर भावे जी को इस अनोखे साइकिल बनाने का आइडिया यूट्यूब से मिला। उन्होंने यूट्यूब पर कुछ अलग तरह की साइकिलें देखीं और फिर सोचा कि क्यों न कुछ खुद से डिजाइन किया जाए। उन्होंने शुरुआती जानकारी यूट्यूब से ली, लेकिन पूरी साइकिल का डिजाइन और काम उन्होंने खुद किया। यह अरुण कलकुरी जी की वर्कशॉप में काम करते हैं, वहीं पर उन्होंने इस साइकिल को आकार दिया। अगर कोई फुल टाइम काम करे तो ऐसी एक साइकिल को लगभग एक हफ्ते में तैयार किया जा सकता है।
अब तक बन चुकी हैं कई साइकिलें
सुधीर जी अब तक 8 से 10 अजूबा साइकिलें बना चुके हैं। उनके बनाए डिजाइनों की मांग बढ़ती जा रही है। लोग न केवल इन्हें देख कर चकित होते हैं, बल्कि कई लोग इन्हें खरीदने में भी रुचि दिखाते हैं। सुधीर जी का मानना है कि अगर सही मेहनत और लगन हो तो कोई भी नया काम संभव है। उनका यह इनोवेशन यह दिखाता है कि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।
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