एम वोडो एक अनोखी कंपनी है जो बांस (बम्बू) से कई तरह के इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स बनाती है। इसके फाउंडर अग्नि मित्रा हैं, जो बांस का उपयोग करके प्रोडक्ट्स बनाते है। कोलकाता में स्थित उनकी फैक्ट्री में बांस को सही आकार और शानदार फिनिश देने के लिए आधुनिक मशीनों का उपयोग किया जाता है।


कैसे बनते हैं बांस के प्रोडक्ट्स?

1. बांस की कटाई और सफाई

सबसे पहले बांस को सही आकार में काटा जाता है। इसके लिए क्रॉस कट मशीन का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें ब्लेड लगा होता है। बांस को होल्ड कर सही माप में कट किया जाता है।

2. नॉट रिमूविंग और स्मूथ फिनिशिंग

कटाई के बाद नॉट रिमूवर मशीन से बांस के अनचाहे हिस्सों (गांठें) को हटाया जाता है, जिससे यह स्मूथ दिखने लगता है।


3. स्प्लिटिंग (बाँस के टुकड़े बनाना)

अब बांस को पैरेलल मशीन से पतले टुकड़ों (स्प्लिट्स) में काटा जाता है। पहले इसे लंबाई में और फिर साइड से स्प्लिट किया जाता है।

4. कटिंग और सैंडिंग

बड़े टुकड़ों को छोटे आकार में काटा जाता है, फिर सैंडिंग मशीन से इन्हें चारों ओर से स्मूथ किया जाता है ताकि कोई नुकीला किनारा न रहे।


लकड़ी की जगह बांस से बने शानदार प्रोडक्ट्स

बांस से कई उपयोगी प्रोडक्ट्स बनाए जाते हैं, जैसे: टूथब्रश,कंघी (Comb) और रेजर

इन प्रोडक्ट्स को बनाने में शेप कोपिया मशीन का उपयोग होता है, जो लकड़ी या बांस की स्प्लिट्स को मनचाही शेप में ढाल देती है। इस मशीन को कंप्यूटर मॉनिटर से कंट्रोल किया जाता है।

1. डस्ट कलेक्शन

मशीन जब लकड़ी या बांस को शेप देती है, तो उससे डस्ट निकलता है। इस डस्ट को साइड में लगे बैग में इकट्ठा किया जाता है।

2. ब्रश में होल बनाना

एक खास मशीन घूमकर ब्रश में छोटे-छोटे होल कर देती है, ताकि उसमें ब्रिसल्स (रेशे) लगाए जा सकें।

3. वाइब्रेटिंग मशीन से फिनिशिंग

फिर वाइब्रेटिंग मशीन में एक बार में 1000 ब्रश डाले जाते हैं, जिससे वे पूरी तरह से स्मूथ हो जाते हैं। यह मशीन 10-15 मिनट तक लगातार घूमती रहती है।


4. ब्रश में ब्रिसल्स जोड़ना

इसके लिए टफटिंग मशीन का उपयोग होता है। इसमें एक अलुमिनियम स्ट्रिप लगती है, जो ब्रश और ब्रिसल्स को मजबूती से जोड़ती है।

5. अंतिम फिनिशिंग

इसके बाद ट्रिमिंग फिनिशिंग मशीन का उपयोग किया जाता है, जिसमें नीचे 3 प्लेट्स लगी होती हैं।

  • पहली प्लेट ब्रश को थोड़ा स्मूथ करती है।
  • दूसरी प्लेट थोड़ा ज्यादा स्मूथ करती है।
  • तीसरी प्लेट ब्रश को पूरी तरह से तैयार कर देती है।

6. लोगो और ब्रांडिंग

इसके बाद कंप्यूटर से कंट्रोल होने वाली मशीन ब्रश पर लोगो प्रिंट कर देती है।



पैकिंग

  • फाइनल टच के बाद प्रोडक्ट्स की पैकिंग की जाती है और वे मार्केट में बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं।
  • एम वोडो: इको-फ्रेंडली इनोवेशन बांस का सही उपयोग – पर्यावरण की सुरक्षा

एम वोडो बांस का उपयोग कर शानदार इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स बना रही है। यह न सिर्फ प्लास्टिक और लकड़ी के उपयोग को कम करता है, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखता है। कोलकाता की इस फैक्ट्री में नई तकनीकों का उपयोग करके बांस से रोज काम आने वाले प्रोडक्ट्स बनाए जा रहे हैं।

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