फूलों से बनी अनोखी चीज़ें: बिनेश देसाई का कमाल


बिनेश देसाई, जिन्हें "रीसाइक्लिंग मैन ऑफ इंडिया" कहा जाता है, ने मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से 150 से अधिक अलग-अलग प्रोडक्ट बनाए हैं। उनका यह काम पर्यावरण को बचाने और कचरे का सही उपयोग करने की दिशा में एक बड़ी पहल है।

फूलों को रीसाइक्लिंग करने की प्रक्रिया
1. फूलों को इकट्ठा करना ओर सुखाना
मंदिरों से चढ़ाए गए फूल इकट्ठा किए जाते हैं और उन्हें पूरी तरह सुखाया जाता है।

2. क्रशिंग और पाउडर बनाना
सुखाए हुए फूलों को मशीन में डालकर क्रश किया जाता है। यह पाउडर फूलों को नष्ट करने के बजाय उन्हें उपयोगी बनाने की शुरुआत है।

3. पेस्ट बनाना
फूलों के पाउडर को प्राकृतिक तेल और अन्य सामग्रियों के साथ मिलाकर एक पेस्ट तैयार किया जाता है।

4. मोल्डिंग और सुखाना
पेस्ट को मोल्ड्स में भरकर सुखाया जाता है जिससे यह ठोस और टिकाऊ हो जाता है।

5. कटिंग और डिज़ाइनिंग
तैयार सामग्री को काटकर अलग-अलग आकार दिए जाते हैं। इसमें छेद करके माला सजावटी सामान और अन्य प्रोडक्ट बनाए जाते हैं।
उत्पाद
1. हनुमान चालीसा
- फूलों से बनी पट्टी पर हनुमान चालीसा उकेरी जाती है।
- इसे धागे और रुद्राक्ष से सजाया जाता है।

2. पूजा थाली और गिफ्टिंग ट्रे
- इको-फ्रेंडली पूजा थालियां और गिफ्टिंग ट्रे तैयार की जाती हैं।

3. ड्राईफ्रूट प्लैटर और सिंदूर डिब्बी
- शादी त्योहार और अन्य खास मौकों पर उपयोग के लिए ड्राईफ्रूट रखने के प्लैटर और सिंदूर की डिब्बियां बनाई जाती हैं।
4. घर के मंदिर का निर्माण
- फूलों से छोटे-छोटे घर के मंदिर तैयार किए जाते हैं।
5. अयोध्या के शिखर और QR कोड
- अयोध्या के राम मंदिर और अन्य स्थानों के शिखरों पर QR कोड लगाया गया है।
- इस QR कोड को स्कैन करके यह देखा जा सकता है कि यह चीज कैसे बनाई गई है।
उपयोग की अन्य चीजें
बिनेश ने फूलों से कई और चीजें बनाई हैं जैसे पूजा के सिक्के, उपहार देने की ट्रे और सजावट की वस्तुएं। हर प्रोडक्ट इको-फ्रेंडली और टिकाऊ है।

पर्यावरण और समाज पर प्रभाव
बिनेश देसाई का यह काम मंदिरों से निकलने वाले कचरे को उपयोगी बना रहा है। इससे न केवल पर्यावरण को फायदा हो रहा है बल्कि लोगों को एक नई सोच भी मिल रही है कि कैसे कचरे को उपयोगी चीज में बदला जा सकता है।
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