अनोखी जुड़वाँ साइकिल – बिना टायर रिम

19 Apr 2025 | Innovation
अनोखी जुड़वाँ साइकिल – बिना टायर रिम

क्या आपने कभी ऐसी साइकिल देखी है जो दिखने में ही अजूबा हो और चलाने में उससे भी ज्यादा मजेदार जी है हम बात कर रहे है वडोदरा के रहने वाले  सुधीर भावे जी ने एक ऐसी ही अनोखी जुड़वाँ साइकिल बनाई है जो अपने डिजाइन और तकनीक से सबको हैरान कर देती है। इस साइकिल की सबसे बड़ी खासियत है कि इसके टायरों में न तो पारंपरिक रिम है और न ही तारें। इसके बावजूद ये साइकिल बिलकुल आसानी से और आराम से चलती है।

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जुड़वाँ साइकिल – एक साथ दो लोगों की सवारी

इस खास साइकिल में दो साइकिलें आपस में जुड़ी हुई हैं एक आगे और एक पीछे। इसे टेल बाइक भी कहा जाता है। पीछे जुड़ी साइकिल को बीच से अलग भी किया जा सकता है यानी जरूरत पड़ने पर इसे अनलॉक करके अलग-अलग किया जा सकता है। ये सुविधा ड्यूल पिवट डिज़ाइन की वजह से संभव हुई है जो ऊपर-नीचे और दाएं-बाएं घूम सकता है। जब दोनों साइकिलें अलग-अलग ऊंचाई या रास्ते पर होती हैं तब भी ये बिना टूटे आराम से चलती हैं, क्योंकि ये फ्लेक्सिबल है।

दो अलग-अलग चैन – दो स्वतंत्र ताकतें

पुरानी जुड़वाँ साइकिलों में अक्सर एक ही चैन हुआ करती थी जिससे दोनों सवारों को एक साथ पैडल मारना जरूरी होता था। लेकिन इस नई तकनीक वाली साइकिल में दो अलग-अलग चैन लगाए गए हैं। इसका मतलब यह है कि अगर आगे वाला व्यक्ति पैडल मार रहा है तो पीछे वाला आराम कर सकता है फिर भी साइकिल चलती रहेगी। इससे सफर और भी आसान और आरामदायक हो जाता है। पुरानी जुड़वाँ साइकिलों को मोड़ने के लिए बहुत ज्यादा जगह यानी टर्निंग रेडियस की जरूरत होती थी। लेकिन इस साइकिल को मोड़ना बहुत आसान है। ये बिलकुल ट्रैक्टर और ट्रॉली की तरह चलती है जिसमें ट्रॉली पीछे जुड़ी होती है और सिर्फ आगे वाला हिस्सा घूमता है। इसी तरह इस साइकिल में भी आगे वाला हिस्सा स्टेयरिंग की तरह काम करता है और पीछे वाला फिक्स रहता है।

बिना रिम और स्पोक की साइकिल – तकनीक का चमत्कार

सुधीर भावे जी ने एक और कमाल की साइकिल बनाई है जिसमें न तो पारंपरिक रिम है, न स्पोक, और न ही एक्सेल। फिर भी ये साइकिल पूरी तरह से चलने योग्य है। इसमें लेज़र कटिंग तकनीक से बने चैन व्हील का इस्तेमाल किया गया है। इस साइकिल के रिम में 8 रोलर्स लगाए गए हैं जो टायर को घुमाते हैं। इसके टायर सॉलिड होते हैं यानी बिना हवा वाले। इस डिजाइन की खास बात ये है कि इसमें पूरा व्हील ही चैन व्हील की तरह बना हुआ है। इस साइकिल को देखने वाले अक्सर सोचते हैं कि ये बस फिसल रही है, लेकिन हकीकत में ये पैडल मारने से अच्छी खासी गति से चलती है। इसमें जब पैडल घुमाया जाता है तो एक्सेल की मदद से मोशन चैन में जाता है और चैन पूरा पहिया घुमाने लगती है।

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इंजीनियरिंग और इनोवेशन का बेहतरीन नमूना

सुधीर भावे जी ने पहले इसकी पेपर पर ड्राइंग बनाई फिर पूरी प्लानिंग के साथ इसे तैयार किया। इस साइकिल को देखकर किसी को भी यकीन नहीं होगा कि इतने अलग डिजाइन के बाद भी ये साइकिल इतनी आसानी से और संतुलित तरीके से चल सकती है।

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निष्कर्ष

यह साइकिल न सिर्फ देखने में अलग है, बल्कि इसके पीछे की तकनीक और सोच भी बहुत खास है। सुधीर भावे जी जैसे इनोवेटर्स देश के लिए प्रेरणा हैं जो सामान्य चीजों में भी कुछ अनोखा बना देते हैं। उनकी बनाई यह जुड़वाँ और बिना रिम वाली साइकिल इस बात का बेहतरीन उदाहरण है कि जुगाड़ और वैज्ञानिक सोच मिलकर कैसे चमत्कार कर सकते हैं। अगर आप भी कुछ नया और अनोखा देखना या बनाना चाहते हैं, तो इस साइकिल से जरूर प्रेरणा लें क्योंकि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।

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