आज हम आपको लेकर चल रहे हैं मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित आदर्श गौशाला जहाँ एक अद्भुत और प्रेरणादायक प्रयोग हो रहा है। यहाँ गाय के गोबर और मंडियों से निकले ऑर्गेनिक वेस्ट से प्रतिदिन CBG (Compressed Bio Gas) बनाई जा रही है जिससे अब ट्रक, क्रेन और नगर निगम के वाहन तक चल रहे हैं। इस पूरे प्रोजेक्ट के इंचार्ज हैं दीपक जी, जिन्होंने तकनीकी ज्ञान और समर्पण से इस प्लांट को ऊर्जा उत्पादन का बेहतरीन उदाहरण बना दिया है।

कैसे बनती है गैस?
1. क्या-क्या आता है इस प्लांट में
हर दिन गौशाला से आता है 40 टन गोबर।
नगर निगम से आता है 20 टन सब्ज़ी और खाने का कचरा।
यानि हर दिन कुल मिलाकर 60 टन जैविक कचरा इस प्लांट में आता है।
2. पहला काम
मिक्स करना इस कचरे को तीन बड़े मिक्सर में मिलाया जाता है। इसमें पानी भी मिलाया जाता है ताकि गाढ़ा घोल (slurry) बने।
फिर यह slurry पाइप से पंप के ज़रिए डाइजेस्टर नाम की बड़ी टंकी में चला जाता है।
3. डाइजेस्टर
जहाँ गैस बनती है यहाँ तीन डाइजेस्टर हैं हर एक की बहुत बड़ी टंकी है (2300 क्यूबिक मीटर की)।
इस घोल को इन टंकियों में 30 दिन तक रखा जाता है। इस दौरान इसमें मौजूद बैक्टीरिया इस घोल को सड़ाते हैं और उससे गैस निकलती है।

4. गैस स्टोर
गैस स्टोर करना जो गैस बनती है वो एक बड़े गुब्बारे जैसे बैलून में इकट्ठा होती है। इसकी क्षमता है 1200 क्यूबिक मीटर।
गैस की सफाई बायोगैस में तीन खराब चीजें होती हैं
- H2S (जिसकी गंध सड़े हुए अंडे जैसी होती है)
- CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड)
- नमी (पानी की भाप)
इनको अलग करने के लिए अलग-अलग मशीनें लगी हैं।
- H2S के लिए पीला टॉवर
- CO2 के लिए स्क्रबर
- नमी के लिए ड्रायर
तैयार होती है CBG गैस शुद्ध गैस को अब मशीन से दबाकर (Compress करके) सिलेंडर में भरा जाता है।
यह वही CBG गैस है जो CNG गाड़ियों में भरी जाती है।

सिर्फ गैस नहीं, मिलती है जैविक खाद भी
- CBG के साथ-साथ इस प्रक्रिया से दो प्रकार की जैविक खाद भी तैयार होती है
- सॉलिड जैविक खाद – स्क्रू प्रेस मशीन से निकलती है जिसे खेतों में इस्तेमाल किया जाता है।
- लिक्विड जैविक खाद – पाँच पिट में संग्रह की जाती है और इसमें 50% रीसाइक्लिंग वाटर के रूप में यूज़ करते है।
दीपक जी की मेहनत का नतीजा
इस प्लांट को सफल बनाने में दीपक जी की मेहनत और तकनीकी समझ बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है। हर दिन गैस बन रही है खाद बन रही है और पर्यावरण को नुकसान नहीं हो रहा बल्कि फायदा हो रहा है।

निष्कर्ष
आदर्श गौशाला – मोहर का यह प्लांट दिखाता है कि गोबर और कचरा भी कीमती चीज़ बन सकता है। इससे न सिर्फ ऊर्जा मिल रही है, बल्कि शहर भी साफ हो रहा है और किसान भाइयो को जैविक खाद मिल रही है। यह प्लांट न केवल कचरे और गोबर का सही उपयोग कर रहा है बल्कि ग्रीन एनर्जी के ज़रिए डीज़ल पर निर्भरता भी कम कर रहा है। यहाँ से उत्पन्न CBG को नगर निगम के ट्रकों, क्रेनों और अन्य वाहनों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
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