विशेष तकनीक से धात्विक मूर्तियां बनाने की चमत्कारी कला

15 Oct 2024 | Small Scale Factory
विशेष तकनीक से धात्विक मूर्तियां बनाने की चमत्कारी कला

एक ऐसी कला जिसको करने में सोने का पाउडर और चांदी की रॉड का इस्तेमाल किया जाता है और इस बेहतरीन तकनीक से बन जाते है सोने-चांदी, पीतल-एल्युमिनियम जैसी दिखने वाली मैटेलिक मूर्तियां, जिनको हाथ में लेकर पहचान पाना भी मुमकिन नहीं। यह सभी कार्य कुछ हैंडीक्राफ्ट तो कुछ मशीनों द्वारा होता है। आये जानते हैं इस चमत्कारिक कला के बारे में जहां बहुत ही सफाई के साथ रियलिस्टिक गोल्ड सिल्वर की मूर्तियां बनती है। 

विशेष तकनीक से धात्विक मूर्तियां बनाने की चमत्कारी कला_6609


केमिकल से गोल्ड-सिल्वर मूर्तियां बनाने की तकनीक:

इसके लिए रॉ मटेरियल के रूप में रेग्जीन और विशेष प्रकार के सफेद पाउडर को मिलाकर उसका घोल बनाया जाता है। अब इस पदार्थ से जिस भी प्रकार या आकृति की मूर्ति बनानी होती है, उसी के रबड़ के मोल्ड में यह घोल पीछे की तरफ से भरा जाता है। फिर इस मोल्ड को एक मशीन में रखकर वैक्यूम किया जाता है, ताकि उस घोल के अंदर कोई बबल या हवा ना भरी रह जाएं। चूंकि हमें मेटलिस्टिक मूर्ति बनानी है, इसलिए वह एकदम ठोस और वजनदार होनी चाहिए।

विशेष तकनीक से धात्विक मूर्तियां बनाने की चमत्कारी कला_6609

कुछ घंटे में मूर्ति के सूख जाने के बाद इसे मोल्ड से अलग कर तथा उसके अतिरिक्त भाग को पैन्ने और नुकीले औजार से तरासते हैं तथा सेंड पेपर द्वारा घिसाई की जाती है। ज्यादा घिसने वाले भाग या उसके बेस आदि को एक मोटर चालित मशीन द्वारा घिसाई करते हैं। इसके बाद मूर्ति को डिटर्जेंट घोल में ब्रश द्वारा अच्छे से धोया जाता है। अंतिम धुलाई विशेष केमिकल से युक्त तीन बाल्टियों में भरे अलग-अलग घोल में मूर्ति को डूबा-डूबा कर की जाती है, इससे मूर्ति में मौजूद अतिरिक्त धूल-मिट्टी, गंदगी स्वत: ही निखर जाती है। 


मैटेलिक कलर करने की तकनीक: 

इन मूर्तियों पर धात्विक कलर करने की भी गजब की ही टेक्नोलॉजी है। यह किसी ब्रश द्वारा नहीं बल्कि एक निश्चित सीक्वेंस वाइज तीन-चार बाल्टी में डूबा-डूबा कर की जाती है, जिससे बाल्टी में घुले केमिकल की परत मूर्ति पर चढ़ती है और अंतिम घोल में डूबाने पर मूर्ति अपना एक्चुअल मैटेलिक कलर प्राप्त कर लेती है।

विशेष तकनीक से धात्विक मूर्तियां बनाने की चमत्कारी कला_6609

एक टैंक में विशेष इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रियाओं से युक्त केमिकल घुले रहते हैं, जिस भी प्रकार की मेटल का लेप मूर्ति पर करना होता है। उसी धातु की रॉड उस केमिकल के अंदर डाल देते हैं, जिससे रॉड पिघलती है और उसका मेटल घोल में डूबी मूर्ति पर समान रूप से चढ़ जाता है। इस विधि को इलेक्ट्रोप्लेटिंग बोलते हैं।  कॉपर का कलर ले लेने के बाद मूर्तियों को दो केमिकल में और डीप किया जाता है जिससे उनका कलर परमानेंट तथा चमकदार हो जाता है।

गोल्ड की मूर्तियां: 

उपरोक्त प्रक्रिया के माध्यम से ही पानी में रीयल गोल्ड पाउडर मिलाकर इलेक्ट्रोलाइसिसिंग किया जाता है और मूर्ति उस घोल में डीप करते हैं, तो उस पर भी गोल्ड की प्लेटिंग हो जाती है। इस प्रकार मूर्तियों पर चांदी तथा अन्य धातु की परत चढ़ाकर अधिक आकर्षक बनाया जाता है। 

विशेष तकनीक से धात्विक मूर्तियां बनाने की चमत्कारी कला_6609


पेंटिंग डिपार्मेंट:

मूर्ति पर मैटेलिक परत चढ़ा देने के बाद उन्हें और अधिक सुंदर बनाने हेतु उन पर रंग-बिरंगे कलर भी किए जाते हैं, जो हाथों से ब्रश के द्वारा होते हैं। इन रंगों में ऑयल पेंट तथा टेराकोटा कलर होता है। रंगों में हार्डनर तथा ग्लास मीना डालकर उसे एकदम मजबूत और परमानेंट किया जाता है। 

विशेष तकनीक से धात्विक मूर्तियां बनाने की चमत्कारी कला_6609

इस शानदार कार्य को प्रमोद जी 15-16 साल से कर रहे हैं, उनके पास 500-600 वैरायटी के प्रोडक्ट्स उपलब्ध है, जो देश-विदेश में सप्लाई होते हैं। यह किसी व्यक्ति का हूबहू स्टैचू भी बना देते हैं, जो बहुत ही आकर्षक है। यदि कोई भी व्यक्ति इन एंटीक प्रोडक्ट्स से संबंधित अन्य जानकारी लेना चाहे, तो इनकी दुकान ओमकार एंड क्रिएशन के नाम से मुंबई में स्थित है तथा इनका मोबाइल नंबर 9137232817 है। दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही रोचक तथ्यों के लिए जुड़े रहे "द अमेजिंग भारत" के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद॥


Share

Comment

Loading comments...

Also Read

देसी ताकत का खजाना: सत्तू
देसी ताकत का खजाना: सत्तू

गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह,

01/01/1970

Related Posts

Short Details About