आज हम आपको एक ऐसी फैक्ट्री के बारे में बताएंगे, जहाँ हर दिन करोड़ों लाइट्स बनती हैं। यह पूरी तरह से ऑटोमैटिक मशीनों से चलने वाली फैक्ट्री है, जहाँ हाई-टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है।
कैसे बनती हैं LED लाइट्स?
1. PVC स्ट्रिप की तैयारी-
- सबसे पहले फ्लेक्सिबल PVC लिया जाता है।
- इसमें रैलिंग लगाई जाती है और ऑटोमैटिक मशीन के जरिए इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स जोड़े जाते हैं।
- सोल्डर प्रिंटिंग की मदद से LED और दूसरे कंपोनेंट्स को सही जगह पर लगाया जाता है।

2. हाई-स्पीड मशीन-
- यह दुनिया की सबसे तेज मशीन है, जो एक घंटे में 5 लाख से ज्यादा कंपोनेंट्स जोड़ सकती है।
- LED को प्रोग्राम के अनुसार PVC स्ट्रिप पर प्लेस किया जाता है।
- मशीन ऑटोमेटिकली काम करती रहती है और LED स्ट्रिप बनती जाती है।

3. डस्ट-फ्री जोन और टेस्टिंग-
- LED की क्वालिटी चेक करने के लिए डस्ट-फ्री जोन होता है।
- सेंसर की मदद से मशीन यह चेक करती है कि सभी LED सही से लगी हैं या नहीं।
- अगर कोई LED छूट जाती है तो उसे मैन्युअली जोड़ दिया जाता है।

4. रिफ्लो ओवन प्रोसेस-
- स्ट्रिप को 10 जोन वाले रिफ्लो ओवन से पास किया जाता है, जिससे सोल्डरिंग पक्की हो जाती है।
- इसके बाद इसे टेस्ट बैंड पर ले जाया जाता है, जहाँ DC पावर सप्लाई से LED को अलग-अलग वोल्टेज पर टेस्ट किया जाता है।
5. फाइनल स्टेप-
- हॉट स्ट्रिंग ट्यूब की मदद से लाइट को और मजबूती दी जाती है।
- इसके बाद डबल साइड टेप लगाकर इसे तैयार किया जाता है।
- रीलिंग मशीन के जरिए इसे 5 मीटर, 10 मीटर या जरूरत के अनुसार रील में पैक कर दिया जाता है।
स्पेशल LED वायरिंग और ब्लूटूथ कंट्रोल-
- दूसरी मशीन PVC वायर को ऑटोमेटिक कट, स्ट्रिप और सोल्डर कर देती है।
- स्पेशल LED और UV ग्लू का उपयोग कर इसे वॉटरप्रूफ बनाया जाता है।
- LED लाइट्स ब्लूटूथ से कनेक्ट की जा सकती हैं, जिससे एक क्लिक में कलर और इफेक्ट बदले जा सकते हैं।
- आप टाइम सेट कर सकते हैं कि लाइट कब ऑन और ऑफ होगी।

निष्कर्ष
यह फैक्ट्री LED लाइट्स बनाने की सबसे तेज और आधुनिक फैक्ट्री में से एक है। यहाँ हर दिन रेलगाड़ी जितनी लंबी LED स्ट्रिप्स तैयार की जाती हैं, जो पूरी तरह ऑटोमैटिक प्रोसेस से बनती हैं। टेक्नोलॉजी और साइंस का यह अनोखा मेल वाकई गजब का है!
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