धागे से जुराब बनाने वाली कमाल की फैक्ट्री


एक इंजीनियर भाई ने लगाया ऐसा कमाल का सेटअप, जहां 10 से 12 धागों को एक साथ मिलकर 200 सुइयों की मदद से एक ऐसा अनोखा प्रोडक्ट बनाया जा रहा है, जो देश नहीं बल्कि विदेश में भी अपनी पकड़ बनाए हुए हैं। यह सभी कार्य ऑटोमेटिक मशीन द्वारा किया जाता है तथा कमाल की बात तो यह है की जिस डिजाइन की भी जुराब चाहिए वही मिनट में बनकर तैयार हो जाती है। आये दोस्तों जानते हैं अजय यादव जी से वह किस प्रकार सॉक्स बनाने की फैक्ट्री को चला रहे हैं।
सॉक्स बनाने की प्रक्रिया:
जुराब बनाने के लिए रॉ मटेरियल हेतु विभिन्न प्रकार के धागों का प्रयोग किया जाता हैं। इनमें मुख्य रूप से कॉटन, नायलॉन, स्पैक्स का यूज ज्यादा है। इन सभी धागों की लगभग 10 या 12 मोटी-मोटी रीलों को मशीन पर सेट कर देते हैं। इसी के साथ इनमें कुछ इलास्टिक रबर भी धागे के रूप में होती है, यह मशीनें धागों को गूंथकर जुराब के रूप में सील देती है। इसमें ब्लोअर भी लगे होते हैं, जो जुराब से निकलने वाले वेस्ट कटिंग पदार्थ को अपनी तरफ खींचकर एक जगह इकट्ठा करते रहते हैं, जिसके लिए इन्होंने इसमें 168 का सिलेंडर यूज़ कर रखा है। इसी प्रकार जिस कलर की जुराब चाहिए होती है उसी रंग के धागे का इस्तेमाल कर जुराब की एक लंबी पट्टी बना लेते हैं।
इसके बाद यह जुराब बड़ी-सी ऑटोमेटिक सिलाई मशीन पर जाती है, जहां इनके नीचे वाले भाग को सफाई से सील दिया जाता है। अब लगभग यह जुराब बनकर तैयार है। इन जुराबों को एक तरह पंजे के आकार में बैंड कर आकार दिया जाता है, इसके लिए इसे पंजे रूपी फर्मे पर चढ़ाकर स्टीम बोर्डिंग मशीन में करीब 30 मिनट के लिए डाल दिया जाता हैं। जहां हिट तथा प्रेसिंग होने के बाद एक ऑपरेटर इन सॉक्स को फार्मो से उतरेगा और इन्हें पैकेजिंग के लिए भेज देगा। अब अलग-अलग सॉक्स की ब्रांड लेवल लगाकर पैकिंग कर दी जाती है।

बड़ी डिमांड में रहने वाला यह प्रोडक्ट बहुत ही कम मशीन और कम साधनों के द्वारा शुरू किया जा सकता है। जिसकी मार्केटिंग करना भी बहुत आसान और सुलभ है। यदि कोई भाई इनसे संपर्क कर जानकारी लेना चाहे तो उनका मोबाइल नंबर 9873714405 पर कॉल कर सकता है। ऐसी ही मेगा फैक्ट्री को पहले छोटे स्तर पर संचलित तथा उत्पादन कर कार्य का तजुर्बा लेना चाहिए तथा धीरे-धीरे बिजनेस बढ़ाते हुए बुलंदियों पर पहुंचा जा सकता है। दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट पर अवश्य बताएं और ऐसी ही अन्य जानकारी के लिए जुड़े रहे "द अमेजिंग भारत" के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद॥
Comment
Also Read

ट्रैक्टर पर सिर्फ 5
edhgmn,mngdfd

ग्लूटेन-फ्री आहार: किसके लिए ज़रूरी और क्यों?
ग्लूटेन-फ्री आहार (Gluten-Free Die

देसी ताकत का खजाना: सत्तू
गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह,

व्रत और उपवास में खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ और उनका महत्व
भारत में व्रत और उपवास धार्मिक एवं

इंटरमिटेंट फास्टिंग का विज्ञान, लाभ और सावधानियाँ
इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent
Related Posts
Short Details About