साधारण-सी लकड़ी से मधुर संगीत वाले हारमोनियम का जन्म


भारत म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बनाने से लेकर बजने तक में महारत हासिल किए हुए हैं। उसी कड़ी में यह भाई लकड़ी की मदद से बनाते हैं एक ऐसा कमाल का प्रोडक्ट, जो देश नहीं पूरी दुनिया में मशहूर है। हरमोनियम जैसे प्रचलित यंत्र के एक-एक पार्ट को उनकी इस शानदार फैक्ट्री में बनाया जाता है। जिसमें लकड़ी के काटने, उन्हें जोड़ने, रंग करने तथा मधुर ध्वनि उत्पन्न करने जैसे जादूई कार्य को बड़ी ही कुशलता के साथ संपन्न किया जाता है। आये जानते हैं बलजिंदर सिंह जी से वह किस प्रकार इस शानदार कार्य को कर रहे हैं।
हारमोनियम बनाने की प्रक्रिया:
सबसे पहले रॉ मटेरियल के रूप में कैल और परतल की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। वहीं प्रीमियम हारमोनियम बनाने के लिए सागौन जैसी कठोर लकड़ी का उपयोग होता हैं। इन लकड़ी के मोटे-मोटे लक्कड़ों को आरा मशीन के द्वारा काट कर सिल्ली अर्थात् कम मोटाई की पट्टियां तैयार करते हैं। इसके बाद इन पट्टियों को सीजनिंग करके सुखाया जाता है, उनका मॉइश्चर खत्म हो जाने के बाद लकड़ी को हारमोनियम के निश्चित साइज में काटते हैं और उसके विभिन्न पार्टों को बनाया जाता है। जैसे रीड बोर्ड बनाने के लिए निश्चित आकार और डिजाइन में कटिंग कर एक पट्टी को तैयार किया जाता है, जिसमें पीतल की रीड सेट करने हेतु खांचे बनाए जाते हैं, जो ध्वनि उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी है।
उसके बाद हारमोनियम का बाहरी फ्रेम आयताकार शेप में लकड़ी की पट्टियों को जोड़कर बनाया जाता है। रीड़ बोर्ड के दो भागों को आपस में मिलाकर तैयार कर लेते हैं, जिसे इनकी भाषा में किस्ती कहा जाता है। ऊपर लकड़ी की एक तीसरी परत रखी जाती है, जिसे पर्दा बोलते हैं। इसके ऊपर हारमोनियम के बने बटनों को सेट कर दिया जाता है। इन बट्नों को अंदर से रीड तथा स्प्रिंग जैसे तारों के द्वारा अटैच कर दिया जाता है। एक बटन दबाने पर दूसरा बटन ऑटोमेटेकली दबता है इस मेकैनिज्म को कपल प्रेसिंग कहते हैं। अंदर प्रयोग होने वाली पीतल की रीड भी इनके द्वारा खुद ही तैयार की जाती है।
रंग करने का प्रोसेस:
हारमोनियम के बहारी कवर को कलर करने के लिए उस पर विशेष प्राइमर लगाकर अच्छे से घिसाई की जाती है तथा फिर एक चार सिरों वाली गोल चकरी पर हार्मोनियम के चार फ्रेम रखकर एक साथ स्प्रे द्वारा सुंदर डिजाइनदार रंग किए जाते हैं। कलर की लगभग चार बार कोटिंग करके इस आकर्षक दिखने वाले हारमोनियम को तैयार किया जाता है।
हारमोनियम में ध्वनि उत्पन्न होने का मेकैनिज्म:
धातु की रीड और लकड़ी की बनी चाबियों आदि को बनाए गए बोर्ड में सेट करते हैं और हारमोनियम के बने फ्रेम में फिक्स कर दिया जाता है। इसमें हवा को समेटने वाले कंपार्टमेंट को बेलो कहते हैं। जिसमें हारमोनियम की धोकनी को आगे-पीछे करने पर उत्पन्न हवा इकट्ठी होती है, जो सीधे रीड पर प्रभाव डालती है और ध्वनि उत्पन्न होती है। इसके लिए इसमें लगे विभिन्न प्रकार के पंप, स्प्रिंग तथा धोकनी में लगा एमरी पेपर जिम्मेदार होता है।
दोस्तों इस प्रकार यहां तैयार यह हारमोनियम मधुर और तेज ध्वनि के साथ बजते हैं, जो गुणवत्ता के आधार पर भी विभिन्न प्रकार की वैरायटी मैं मौजूद है तथा इनका मूल्य भी उन्हीं के आधार पर है। कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा अन्य रोचक जानकारी के लिए जुड़े रहे "द अमेजिंग भारत" के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद॥
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