थोड़ी जगह में भी सैंकड़ों प्रकार की फसलें उगा कर किया कमाल


खेती का एक अनोखा तरीका जो भारत के हर छोटे किसान की किस्मत बदल देगा। तकनीक और मेहनत के प्रयोग से गढ़ा शानदार खेती का उदाहरण। जिसमें 50 से ज्यादा फसलें मात्र आधे एकड़ के फार्म पर की जा रही है। वह भी बिना किसी अतिरिक्त खर्च के। अब छोटे किसान भी गर्व से खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे है। ना सिर्फ़ स्वयं के लिए शुद्ध सब्जियां और फल उगा रहे बल्कि उन्हें बेचकर खूब धन कमाया जा रहा है। आये जानते हैं पुणे (महाराष्ट्र) के आशीष विधाते जी से, वे किस प्रकार इस छोटी सी जगह में इतने सारे फल और सब्जियों को सफल रूप से उगा रहे हैं-

आशीष जी बताते हैं कि यदि कृषि सिस्टमैटिक और जानकारी लेकर की जाए तो छोटी सी जगह में भी सैकड़ो वैरायटी की फसलें प्राकृतिक खेती कर उगाई जा सकती है। उन्होंने अपने इस आधे एकड़ के फार्म में 70 प्रकार की सब्जियां, 50 प्रकार के फल, 30 प्रकार के औषधीय पौधे तथा 15 प्रकार के मसाले और काफ़ी तरह के फूल भी उगा रखे हैं। और सबसे खास बात यह कि उन्हें इन सबको बेचने के लिए बाजार में नहीं जाना पड़ता बल्कि उनकी क्वालिटी और उगाने के तरीके को देखकर लोग स्वयं ही उनके फार्म पर आकर सब्जियां खरीदते हैं। वे अपनी इन फसलों में प्राकृतिक ऑर्गेनिक खाद का ही प्रयोग करते हैं तथा सभी फसले देशी बीजों द्वारा ही उगाई गई है, कोई हाइब्रिड फसल नहीं है। जिस कारण इनकी उगाई फसले बाजार मैं बिकने वाली फसलों से उच्च गुणवत्ता की हो जाती है। उन्होंने अपने इस फॉर्म को चार मॉडल में बांट रखा है। जिसका एक मॉडल धूप से उगने वाली फैसलों का हैं, दूसरा ड्रम स्टिक, जिसमें छांव में उगने वाली फसलों का उत्पादन करते हैं, तीसरे मॉडल में खेलने के लिए पार्क मॉडल बना रखा है तथा चौथे को फॉरेस्ट मॉडल के रूप में विकसित किया हुआ है। विस्तार से जानते हैं सभी मॉडल में क्या-क्या और किस प्रकार से उग रही हैं फसलें।
पहला मॉडल:
इस मॉडल में इन्होंने धूप में उगने वाली फसलों को लगा रखा है। यह मॉडल 6 गूंठा अर्थात् लगभग 6.5 हजार स्क्वायर फीट जगह में है। जिसमें इन्होंने 4.3 हज़ार स्क्वायर फीट में प्याज की 9 क्यारियां, 1 हजार स्क्वायर फीट में लहसुन की 5 क्यारी तथा कच्ची प्याज की बीज हेतु, एक क्यारी लगा रखी है। इसके अलावा इन्होंने इसमें स्ट्रॉबेरी, पत्ता गोभी, राजमा के पौधे आदि भी उगा रखें हैं तथा क्यारियों के किनारे-किनारे गैंदे आदि के सुंदर फूल भी लगा देते हैं।

दूसरा मॉडल:
इस मॉडल में इन्होंने विस्तृत रूप से ड्रमस्टिक अर्थात् सहजन के पेड़ लगा रखे हैं। जिनकी बाजार में खूब मांग रहती है, इसकी सब्जी तो बनती ही है साथ में इसका प्रयोग औषधिय दवा के रूप में भी होता है। यह पेड़ इन्होंने करीब चार गूंठे में 8×8 की दूरी पर करीब 42 पेड़ लगे है। सहजन के पेड़ों के नीचे इन्होंने सभी छाये मैं उगने वाली सब्जियां भी लगाई हुई है। जिनमें मुख्य रूप से फूलगोभी, अरवी, पुदीना, वैजयंती के मोतियों के पेड़। इसी के साथ इन्होंने बीच में मोटी उभरी हुई डोलीयां भी बना रखी है, जिसके ऊपर विभिन्न प्रकार के फूल, ककड़ी, खीरा, गाजर, पालक, मिर्ची, काला गन्ना आदि उगा रखें हैं। सोन कीड़ी वैरायटी के देसी केलों के पेड़ भी लगा रखे हैं। इन्होंने देसी पपीते के पेड़ों को भी बड़े ही शानदार ढंग से विकसित किया हुआ है, जिन पर बड़ी मात्रा में पपीते लगते हैं। इस पूरे फार्म में इन्होंने करीब 93 सहजन के वृक्ष लगाए हुए हैं, जिनकी फली ₹120 प्रति किलोग्राम की दर से बिकती है तथा उनके बीज भी बेचे जाते हैं।
तीसरा मॉडल:
इस मॉडल को इन्होंने बड़े ही सुंदर तरीके से विकसित किया हुआ है। यह दो गुंठे में है तथा इसके चारों तरफ औषधिय पेड़-पौधे लगे हैं और बीच में एक खेल का मैदान या पार्क बनाया हुआ है। इन औषधिय पेड़-पौधों में मुख्य रूप से सतापा,शतावरी,अर्जुन, 10 प्रकार की तुलसियां तथा इनके इस बगीचे में एक इंसुलिन का पेड़ भी है जिसके पत्ते सुबह-सुबह खाने से डायबिटीज कंट्रोल हो जाती है।

चौथा मॉडल:
इस फूड-फॉरेस्ट मॉडल को इन्होंने सबसे पहले विकसित किया था। यह करीब 8 गूंठे की जगह में है। जिसमें विभिन्न प्रकार के मसाले तथा फल आदि लगे हुए हैं। विशेष प्रकार के एयर एप्पल, जिसे डायबिटीज का फल भी बोलते हैं लगा हुआ है। इसके अलावा आम, चीकू, आंवला, अमरूद, अनार, कश्मीरी नींबू , रासबेरी, अंगूर की बेल आदि फलों को बीजों के द्वारा उगाया गया है। इन्होंने इन सभी भिन्न-भिन्न तरह के पेड़ों को अलग-अलग जगह से संकलित करके अपने इस फॉर्म में उगाया है। इसी के साथ कलकत्ता पान, सुपारी, नारियल के पेड़ भी लगे हुए हैं तथा एक जायफल का पेड़, जिस पर एक ही पेड़ में करीब चार तरह के मसले लगते हैं। अन्य मसालों में इलायची, लौंग, दाल चीनी, करी पत्ता आदि के पेड भी रोपित हैं। जाल बनाकर इन्होंने खीरे,कड़ी, करेले आदि की बेल भी लगा रखी है। बाउंड्री पर इन्होंने शहतूत, मौसमी के पेड़ लगाए हुए हैं। इस फूड फॉरेस्ट में इन्होंने सहजन के पेडों के साथ सभी फलों, सब्जियों आदि को मिक्स करके एक साथ लगा रखा है। बची हुई जगह में क्यारी बनाकर अदरक का भी रोपण किया हुआ है।

इनके फॉर्म में मधुमक्खियां, भंवरे आदि की संख्या बनी रहे, इसके लिए उन्होंने कमल के फूलों को एक छोटे से तालाब में लगा रखा है, क्योंकि इन कीटों के माध्यम से पेड़ों पर फलों की संख्या बढ़ती है। फलों के प्रजनन में कीटों का मुख्य रोल होता है। खाद के लिए यह सभी पेड़ों की पत्तियों को एक जगह इकट्ठा कर, उन्हें मिलाकर, गलाकर खाद के रूप में प्रयोग करते हैं।
आर्थिक फायदा:
आशीष जी से यदि आर्थिक फायदे का पूछे तो बताते हैं कि सर्वप्रथम हमारे 10 से 15 जनों के परिवार को घर की सब्जियां मिल जाती है। उसके अलावा उनके इस फार्म पर अन्य ग्राहकों की भी ताजी और ऑर्गेनिक सब्जियां लेने के लिए भीड़ लगी रहती है। ये उपरोक्त सभी प्रकार के फल,सब्जी, मसालें आदि को बेचकर भी मुनाफा कमाते हैं। मुख्य रूप से सहजन की फली और बीज बेचते हैं। अन्य किसान भाइयों को सलाह देते हुए यह बताते है प्राकृतिक ऑर्गेनिक खाद का प्रयोग करते हुए स्वयं खेती करें और अधिक से अधिक लाभ कमाएं। तो दोस्तों इनसे हमें सीखने को मिला कि कैसे छोटी सी जगह में इतनी सारी फसलों को उगाकर मिक्सड फार्मिंग की जा सकती है। ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए बने रहे हमारे साथ। धन्यवाद॥ Ashish Vidhate Number click to get number
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