बायोगैस प्लांट: डेयरी के लिए सस्ता और टिकाऊ समाधान


आज के समय में जब बिजली और गैस के खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं, तब बायोगैस प्लांट एक बढ़िया और सस्ता विकल्प बन सकता है, खासकर उन डेयरियों के लिए जो दूर के इलाकों में स्थित हैं। बायोगैस प्लांट न केवल बिजली पैदा करने में मदद करता है, बल्कि इससे मिलने वाली खाद भी खेतों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। आइये जानते है कैसे?

बायोगैस प्लांट कैसे काम करता है?
1. गोबर और पानी का मिश्रण:
डेयरी में गाय-भैंसों से निकलने वाला गोबर एक नाली के माध्यम से स्लरी टैंक में चला जाता है। इसमें पानी मिलाकर एक गाढ़ा मिश्रण बनाया जाता है।
2. गैस उत्पादन प्रक्रिया:
यह मिश्रण एक बड़े टैंक में जाता है, जहाँ जैविक क्रिया के कारण मीथेन गैस उत्पन्न होती है। जैसे-जैसे गैस बनती है, टैंक का ऊपरी भाग ऊपर उठने लगता है, जिससे यह पता चलता है कि गैस तैयार हो रही है।
3. गैस का उपयोग-
- बायोगैस को फिल्टर करके दो जगहों पर भेजा जाता है— बिजली उत्पादन के लिए और किचन में खाना पकाने के लिए।
- एक 140 क्यूबिक मीटर क्षमता वाला बायोगैस प्लांट 16 केवीए जनसेट को 14 घंटे तक चलाया जा सकता है।अगर टैंक पूरी तरह भरा हो तो।

4. बिजली उत्पादन-
बायोगैस से बनने वाली बिजली डेयरी के सभी उपकरणों को चलाने में मदद करती है। अगर आपकी डेयरी ऐसी जगह है जहाँ बिजली की समस्या है, तो बायोगैस प्लांट एक अच्छा समाधान हो सकता है।
5. बायोगैस वेस्ट का उपयोग-
बायोगैस प्लांट से बचा हुआ वेस्ट एक बेहतरीन जैविक खाद (ऑर्गेनिक मैन्योर) होता है, जिसे खेतों में उपयोग किया जा सकता है। इसे गेहूं, ज्वार, बाजरा और अन्य फसलों के लिए खाद की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
140 क्यूबिक मीटर क्षमता वाला बायोगैस प्लांट और उसके फायदे
- बिजली और गैस की बचत: बायोगैस प्लांट लगाने से बिजली और गैस के खर्चों में कमी आती है।
- प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान: यह पर्यावरण के लिए फायदेमंद है क्योंकि इससे प्रदूषण कम होता है।
- खाद का उत्पादन: इससे बनी जैविक खाद से खेतों की उर्वरता बढ़ती है।
- कम मेंटेनेंस और कम लागत: एक बार सेटअप करने के बाद, इसकी देखभाल पर ज्यादा खर्च नहीं आता।
अगर आपकी डेयरी ऐसी जगह है जहाँ बिजली की समस्या बनी रहती है, तो बायोगैस प्लांट लगवाना एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है। इससे न केवल बिजली का खर्च कम होगा, बल्कि आपको रसोई गैस और जैविक खाद भी मुफ्त में मिलेगी।
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