चीन ने बनाये पानी पर तैरने वाले रबड़ के खेत


खेती की दुनिया में आए दिन नई तकनीकें सामने आ रही हैं। अब खेती सिर्फ जमीन पर नहीं, बल्कि पानी पर भी की जा रही है और वो भी रबड़ के खेतों में चीन ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है, जहां पानी पर तैरते हुए रबड़ के खेतों में सब्ज़ियाँ, फूल और फल उगाए जा रहे हैं। यही नहीं, इस रबड़ की सतह के नीचे मछलियों का पालन भी किया जा रहा है। इस तरह एक ही जगह पर दोहरा उत्पादन हो रहा है – ऊपर खेती और नीचे मछली पालन। इसे वैज्ञानिक भाषा में इंटीग्रेटेड फ्लोटिंग फार्मिंग सिस्टम कहा जाता है। अब भारत में भी इस तकनीक को अपनाने की शुरुआत हो गई है जिसे हाइड्रोफॉबिक खेती कहा जा रहा है।

क्या है ये रबड़ का तैरता खेत?
इन खेतों में एक खास तरह की मजबूत रबड़ या प्लास्टिक की चटाई बनाई जाती है जो पानी पर तैर सके। इस चटाई में छोटे-छोटे गड्ढे होते हैं जिनमें गमलों या कोकोपीट जैसी सामग्री के साथ पौधे लगाए जाते हैं। यह चटाई नदियों, तालाबों या झीलों पर रखी जाती है। पौधे अपनी जड़ों से पानी में मौजूद पोषक तत्वों को खींचते हैं। और खास बात यह है कि नीचे की ओर जाल या नेट लगाकर मछलियों की खेती भी की जाती है। यानि एक ही जगह से किसान को दो लाभ मिलते हैं एक साथ हरी सब्ज़ियाँ और ताज़ी मछलियाँ।

भारत में यह तकनीक क्यों जरूरी है?
भारत के कई हिस्सों में जलभराव की समस्या है और खेती की जमीन धीरे-धीरे घट रही है। ऐसे में अगर चीन जैसी तैरती खेती की तकनीक अपनाई जाए, तो किसान जलाशयों और बंजर जमीन के पास भी खेती कर सकते हैं। इससे आमदनी बढ़ेगी और खेती के नए रास्ते खुलेंगे।
इस खेती के क्या फायदे हैं?
1. जमीन की जरूरत नहीं – जिनके पास खेती की जमीन नहीं है, वे तालाब या नदी का उपयोग कर सकते हैं।
2. बाढ़ में भी खेती संभव – बाढ़ वाले क्षेत्रों में यह तकनीक खेती को रोके बिना चलती रहती है।
3. दोहरा फायदा – खेती और मछली पालन – आमदनी बढ़ती है, लागत घटती है।
4. कम कीटनाशक और उर्वरक – पौधे सीधे पानी से पोषक तत्व लेते हैं, जिससे रसायनों की जरूरत कम होती है।
5. शुद्ध और जैविक उत्पादन – यह तरीका प्राकृतिक होता है और इससे उगाई गई फसलें अधिक पौष्टिक मानी जाती हैं।
भविष्य की खेती का रास्ता
आज जब खेती की जमीन सिकुड़ रही है, जलवायु बदल रही है और किसानों को नए विकल्पों की जरूरत है तब यह तैरते खेत एक आशा की किरण बन सकते हैं। रबड़ के खेतों और हाइड्रोफॉबिक खेती का यह मॉडल खासकर उन किसानों के लिए उपयोगी है जिनके इलाके में जलभराव होता है या जिनके पास जमीन नहीं है।
निष्कर्ष
रबड़ के खेत और उनके नीचे मछली पालन एक स्मार्ट और सस्टेनेबल खेती की मिसाल है। चीन से शुरू हुई यह तकनीक अब भारत में भी अपनी जगह बना रही है। अगर सरकार और किसान मिलकर इसे बढ़ावा दें, तो यह तकनीक खेती की दुनिया में क्रांति ला सकती है। आज के किसान भाई सिर्फ जमीन तक सीमित नहीं है अब वह पानी पर भी अपनी फसलें उगा सकता है और अपनी नाव पर भी खुशहाली की खेती कर सकता है।
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