भोजन की बर्बादी: समस्या हमारी सोच में है या व्यवस्था में?


क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी थाली में परोसा गया खाना किस सफर से गुज़रकर वहां पहुंचा है? एक किसान ने इसे उगाने के लिए महीनों मेहनत की होगी, धूप-बारिश सही होगी, सरकार ने इसे स्टोर करने के लिए गोदाम बनाए होंगे, और फिर बाज़ार से होते हुए यह आपके घर आया होगा। लेकिन अगर यही खाना बहुत बड़ी मात्रा में बर्बाद हो रहा हो तो यह उन तमाम लोगों की मेहनत का अपमान भी है?
आइए, भोजन की बर्बादी के इस गंभीर मुद्दे को गहराई से समझते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि भारत में हर साल जितना अनाज बर्बाद होता है, उतना पूरा ऑस्ट्रेलिया सालभर में खाता भी नहीं है। आखिर ऐसा क्यों?

भारत में भोजन की बर्बादी: चौंकाने वाले आंकड़े
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की 'फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2024' के मुताबिक:
- भारत में हर साल लगभग 7.8 करोड़ टन खाद्यान्न बर्बाद हो जाता है।
- प्रति व्यक्ति बर्बादी: हर भारतीय औसतन 55 किलोग्राम भोजन प्रति वर्ष फेंक देता है।
- आर्थिक नुकसान: इस बर्बादी की आर्थिक कीमत 92,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष आंकी गई है।
- खाद्य असमानता: इतना खाना बर्बाद होने के बावजूद, भारत में 19 करोड़ से अधिक लोग हर रात भूखे सोने को मजबूर हैं।

ऑस्ट्रेलिया बनाम भारत: बर्बादी और खपत की तुलना
अब ज़रा एक और पहलू देखें ऑस्ट्रेलिया की वार्षिक अनाज खपत 2.1 करोड़ टन है। यानी, भारत में हर साल जितना अनाज बर्बाद होता है, वह ऑस्ट्रेलिया की कुल वार्षिक खपत से भी कहीं अधिक है
तो सवाल उठता है—यह अनाज जाता कहां है?
भोजन की बर्बादी के 4 मुख्य कारण
1. खराब भंडारण और वितरण प्रणाली
भारत में गोदामों की कमी, पुरानी भंडारण तकनीक और खराब प्रबंधन के कारण हर साल लाखों टन अनाज सड़ जाता है। बारिश, नमी और कीड़े इसे खाने लायक नहीं छोड़ते।
2. खेत से बाज़ार तक पहुंचने में नुकसान
कई बार किसानों को उनकी फसल की सही कीमत नहीं मिलती, जिससे वे फसल को या तो खेत में ही छोड़ देते हैं या मजबूरी में बिचौलियों को कम कीमत पर बेच देते हैं। कई जगहों पर ट्रांसपोर्टेशन और पैकेजिंग की खामियों के कारण भी अनाज खराब हो जाता है।
3. शादियों, होटलों और घरों में जरूरत से ज्यादा खाना बनाना
शादी-ब्याह, पार्टियों और बड़े आयोजनों में लोग अपनी शान दिखाने के लिए जरूरत से ज्यादा भोजन तैयार कराते हैं, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा फेंक दिया जाता है। घरों में भी अक्सर लोग जरूरत से ज्यादा खाना बनाते हैं और फिर उसे बासी समझकर कूड़ेदान में डाल देते हैं।
4. जागरूकता की कमी
हम में से कई लोग भोजन को हल्के में लेते हैं और 'थोड़ा बचा है, फेंक दो' वाली सोच के कारण बर्बादी को बढ़ावा देते हैं। अगर हर इंसान अपने स्तर पर खाने की बर्बादी रोके, तो इसका असर बड़े पैमाने पर दिख सकता है।

भोजन की बर्बादी रोकने के 5 प्रभावी उपाय
1. भंडारण और ट्रांसपोर्ट सुधारें
सरकार को चाहिए कि वह आधुनिक भंडारण तकनीकों को अपनाकर फूड कोल्ड चेन सिस्टम (एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें खाने-पीने की चीजों को सही तापमान पर रखा जाता है) विकसित करे - ताकि कटाई के बाद फसल को सही तापमान पर सुरक्षित रखा जा सके। इससे फसल खराब होने या फर्मेंटेशन से बचा रहेगा, उसकी गुणवत्ता बनी रहेगी और बर्बादी कम होगी। यह प्रणाली किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य दिलाने में मदद करेगी और उपभोक्ताओं तक ताजा और सुरक्षित फल और सब्जी पहुंचाएगी।
2. फूड बैंक और जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाना
अमेरिका और यूरोप की तरह भारत में भी 'फूड बैंक' सिस्टम विकसित किया जाना चाहिए जहां होटल, रेस्टोरेंट और घरों से बचा हुआ खाना जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाए।
3. फूड वेस्ट मैनेजमेंट ऐप्स का उपयोग
आज कई ऐसे मोबाइल ऐप्स हैं (जैसे Zomato Feeding India) जो बचा हुआ खाना इकट्ठा कर उसे भूखों तक पहुंचाने का काम करते हैं। इन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
4. जागरूकता अभियान चलाए जाएं
स्कूलों और कॉलेजों में खाद्य बर्बादी रोकने के लिए शिक्षा कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। लोग तभी बदलेंगे जब उन्हें एहसास होगा कि उनका एक कदम कई लोगों की भूख मिटा सकता है।
5. सख्त सरकारी नीतियां
सरकार को भोजन की बर्बादी रोकने के लिए कानून बनाना चाहिए, जिसमें शादी समारोहों और होटलों में अनावश्यक भोजन बनाने पर पाबंदी हो। फ्रांस जैसे देशों ने भोजन की बर्बादी रोकने के लिए सुपरमार्केट्स को बचा हुआ खाना दान करने के लिए नियम बनाया हुआ है। भारत में भी ऐसा किया जा सकता है।
6. कोल्ड स्टोरेज की कमी: बड़ी वजह
खाने की बर्बादी की एक बड़ी वजह कोल्ड स्टोरेज (ठंडे भंडारण) की कमी है।
भारत में ज्यादातर कोल्ड स्टोरेज सिर्फ आलू जैसी फसलों के लिए होते हैं।
बाकी फल, सब्जियाँ और अनाज सही तापमान ना मिलने के कारण जल्दी खराब हो जाते हैं।
अगर ज्यादा कोल्ड स्टोरेज बनाए जाएँ, तो खाना ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रह सकता है।

निष्कर्ष: क्या हम सच में भोजन की कद्र कर रहे हैं?
भोजन सिर्फ पेट भरने का जरिया नहीं, बल्कि जीवन का आधार है। जब तक हम इसे हल्के में लेते रहेंगे, तब तक भूखमरी, कुपोषण और खाद्य असमानता जैसी समस्याएं बनी रहेंगी।
अगर हम अपनी थाली में बचा हुआ खाना फेंकने से पहले यह सोचें कि इसी एक रोटी के लिए कोई घंटों लाइन में खड़ा रहता है या भूख से बिलखता बच्चा रातभर जागता है, तो शायद हम खुद बदलाव की ओर पहला कदम बढ़ा सकें।
तो अगली बार, खाना फेंकने से पहले एक बार जरूर सोचिएगा - कहीं यह किसी की भूख का हक तो नहीं छीन रहा?
अगर हम थोड़ा-थोड़ा प्रयास करें, तो आने वाले समय में दुनिया में खाना बर्बाद और पर्यावरण प्रदूषण दोनों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
क्या आप भी हमरा साथ इस बदलाव का हिस्सा बनेंगे?
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