ओला गिरा? तुरंत उठाएं 7 कदम


भारत में खेती मौसम की मेहरबानी पर टिकी होती है। लेकिन जब आसमान से बरसती बारिश की जगह ओले गिरें, तो वो मेहनत जो महीनों में लगी, मिनटों में बर्बाद हो जाती है। खेत की खड़ी फसल तबाह, सब्ज़ियां पत्तों समेत चट, और किसान का दिल बैठ जाता है। लेकिन भाई, दुखी होने से ज्यादा ज़रूरी है समझदारी से तुरंत सही कदम उठाना। क्योंकि अगर तुरंत damage control किया जाए, तो नुक़सान कम हो सकता है, और मुआवजे की प्रक्रिया भी सही से हो सकती है।आइए, एक-एक करके जानते हैं

ओलावृष्टि के बाद किसान को क्या करना चाहिए:
फसल के नुकसान की तस्वीरें और वीडियो तुरंत लें, पहला और सबसे ज़रूरी कदम – प्रूफ इकट्ठा करना। खेत की चारों दिशाओं से फसल की तस्वीरें लें। नज़दीक से पौधों की हालत दिखाएं – टूटे तने, झड़े पत्ते, गिरे फल/फूल। अगर संभव हो तो ड्रोन या मोबाइल से वीडियो बनाएं, जिससे नुकसान की गहराई साफ दिखे। ओले पड़े होने की जमीन की तस्वीर भी जरूर लें। ये सब तस्वीरें बाद में बीमा क्लेम, सरकारी सर्वे, और मुआवजा प्रक्रिया में बहुत काम आएंगी। पंचायत, पटवारी और कृषि अधिकारी को तुरंत सूचना दें जैसे ही ओले गिरें, अगले ही दिन या उसी दिन ही नजदीकी पंचायत या ग्राम सचिव, पटवारी, और कृषि विभाग के अधिकारी को जानकारी दें। उन्हें खेत में बुलाकर निरीक्षण (inspection) करवाएं। नुकसान का विवरण दर्ज करवाएं। कोशिश करें कि गांव के अन्य किसानों के साथ सामूहिक रूप से रिपोर्ट करें ताकि प्रक्रिया तेज़ हो। याद रखें: सरकारी राहत/मुआवजा सिर्फ उन्हीं को मिलता है, जिन्होंने समय पर सूचना दी हो और जिनका नुकसान सर्वे में दर्ज हो।
फसल बीमा (PMFBY) क्लेम करने की प्रक्रिया शुरू करें
अगर आपने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का लाभ लिया है, तो 72 घंटे के भीतर रिपोर्ट करना जरूरी है। आप https://pmfby.gov.in पोर्टल पर जाकर क्लेम रिपोर्ट कर सकते हैं। स्थानीय CSC केंद्र या बीमा एजेंट से भी संपर्क कर सकते हैं।
जरूरी दस्तावेज़:
आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, फसल की तस्वीरें, भूमि/खसरा नंबर खेत की मिट्टी को खराब होने से बचाएं ओलावृष्टि के बाद कई बार खेत में पानी भर जाता है, जिससे जड़ों को नुकसान होता है। इसके लिए: खेत का पानी निकासी की व्यवस्था करें। जहां पौधे पूरी तरह नष्ट नहीं हुए, वहां बचाव के प्रयास करें, जैसे: जैविक घोल (जैसे नीम का पानी या जीवामृत) का छिड़काव कीट और फफूंदी से सुरक्षा के लिए देशी उपचार कुछ फसलें ओले गिरने के बाद भी दोबारा हरी हो सकती हैं, बशर्ते शुरुआती बचाव हो जाए। जल्द खराब होने वाली सब्जियों की बिक्री की कोशिश करें अगर आपकी फसल में कुछ हिस्सा थोड़ा बहुत बचा है या हल्का-फुल्का टूट-फूट है, तो उसे तुरंत स्थानीय मंडियों या हाट-बाजार में बेचने की कोशिश करें। टमाटर, पत्तागोभी, पालक जैसी फसलें जल्दी खराब होती हैं – इन्हें सहेजें और बेचना बेहतर होगा। कुछ जगहों पर सब्ज़ियों की प्रोसेसिंग यूनिट या सहकारी समितियां मदद कर सकती हैं।

अगली फसल की तैयारी शुरू करें
अगर नुकसान बहुत ज्यादा है और फसल अब नहीं बचाई जा सकती, तो अगली फसल की योजना तुरंत बनाएं: मिट्टी की जांच करवाएं – क्या अगली फसल के लिए उपयुक्त है? कम समय में तैयार होने वाली फसलें लगाएं – जैसे मूंग, उरद, या सब्जियां कुछ राज्यों में सरकार बीज, खाद और यंत्र पर अनुदान (subsidy) भी देती है। ग्राम स्तर पर सामूहिक मांग और जागरूकता अगर ओले से पूरे गांव को नुकसान हुआ है, तो सभी किसान एकजुट होकर: SDM या तहसील कार्यालय में ज्ञापन दें कृषि विभाग, विधायक या सांसद कार्यालय में सामूहिक आवेदन करें मीडिया या सोशल मीडिया के ज़रिए अपनी बात उठाएं इससे सरकारी सिस्टम में दबाव बनता है और राहत राशि मिलने में तेजी आ सकती है।
बोनस टिप: खुद को मानसिक रूप से मजबूत रखें
किसान सिर्फ खेत नहीं लगाता, उम्मीद बोता है। जब ओले गिरते हैं, तो सिर्फ फसल नहीं टूटती, हौसले भी हिलते हैं। ऐसे समय में: खुद को दिलासा दें – यह प्राकृतिक आपदा है, आपकी गलती नहीं। परिवार और साथी किसानों के साथ सलाह करें अगर ज्यादा तनाव हो, तो कृषि सलाह केंद्र या हेल्पलाइन से बात करें।
निष्कर्ष:
ओलावृष्टि चाहे कितनी भी भयावह हो, लेकिन समय रहते उठाए गए सही कदम नुकसान को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
याद रखें – तस्वीरें लो, सरकारी सूचना दो, बीमा क्लेम भरो, फसल को जितना बचा सको, बचाओ, अगली तैयारी शुरू करो
किसानी में मौसम की मार नई बात नहीं, लेकिन चतुराई और जागरूकता से हर संकट का सामना किया जा सकता है। ऐसी ही मददगार जानकारी के लिए जुड़े रहिए "Hello Kisaan" के साथ। और आपको ये जानकारी कैसी लगी कमेंट कर के जरूर बताइये ।।जय हिन्द जय भारत ।।
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