गन्ने की उत्पत्ति का इतिहास


गन्ना (Saccharum officinarum) विश्व के सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से चीनी उत्पादन के लिए किया जाता है। यह प्राचीन काल से मनुष्य के आहार और कृषि का हिस्सा रहा है। गन्ने की उत्पत्ति, प्रसार, विकास और इसके व्यापार का इतिहास अत्यंत रोचक और महत्वपूर्ण है, आये लेते है इससे सम्बंधित सभी जानकारी-

गन्ने की उत्पत्ति कहां हुई?
गन्ने की उत्पत्ति दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में हुई मानी जाती है। वैज्ञानिक शोध और ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार, इसका मूल निवास न्यू गिनी, भारत और चीन के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में था। गन्ने की सबसे पुरानी किस्में न्यू गिनी में उगाई जाती थीं, जहाँ से यह धीरे-धीरे अन्य देशों में फैला।
कैसे हुई गन्ने की खेती की शुरुआत?
प्रारंभ में गन्ने को सिर्फ चबाने और रस निकालने के लिए उगाया जाता था। बाद में लोगों ने इसके रस को गाढ़ा करके गुड़ और शक्कर बनाना शुरू किया। भारत में प्राचीन काल से ही गुड़ और शक्कर बनाने की विधियाँ विकसित थीं। धीरे-धीरे गन्ने की उन्नत किस्में विकसित की गईं, जिससे उत्पादन बढ़ता गया।
भारत और चीन:
भारत में गन्ने की खेती बहुत पुराने समय से की जाती रही है। भारतीय उपमहाद्वीप में इसे "इक्षु"के नाम से जाना जाता था, और वैदिक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। भारत ने गन्ने से रस निकालने और गुड़ बनाने की तकनीक विकसित की।
प्राचीन मिस्र और फारस: भारतीय व्यापारियों ने गन्ने की खेती और इसकी प्रसंस्करण तकनीक फारस और मिस्र तक पहुँचाई। फारस में इसे "शर्करा"कहा जाता था, जिससे अंग्रेज़ी शब्द "Sugar"बना।
गन्ने का वैश्विक प्रसार:
गन्ना धीरे-धीरे विभिन्न महाद्वीपों में फैला और वैश्विक व्यापार का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।
यूरोप में गन्ने का आगमन: अरबी व्यापारियों ने 7वीं शताब्दी में इसे भूमध्यसागरीय क्षेत्रों तक पहुँचाया। स्पेन और इटली में भी गन्ने की खेती की जाने लगी।
अमेरिका में गन्ने की खेती: 15वीं शताब्दी में क्रिस्टोफर कोलंबस ने गन्ने को कैरिबियन द्वीपों और अमेरिका तक पहुँचाया। वहाँ की जलवायु इसके लिए अनुकूल थी, जिससे यह मुख्य कृषि फसल बन गई।
17वीं और 18वीं शताब्दी में यूरोपीय देशों ने गन्ने की खेती को बढ़ावा दिया और इससे चीनी उत्पादन का विस्तार हुआ। कैरिबियन, ब्राजील और अन्य उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती की जाने लगी।

भारत में गन्ने का ऐतिहासिक महत्व:
भारत में गन्ने की खेती हजारों वर्षों से हो रही है। प्राचीन ग्रंथों में इसे महत्वपूर्ण कृषि फसल के रूप में वर्णित किया गया है। भारतीयों ने सबसे पहले गन्ने से गुड़ और शक्कर बनाना शुरू किया।
वैदिक काल: ऋग्वेद और अथर्ववेद में गन्ने का उल्लेख मिलता है।
मौर्य और गुप्त काल: इस दौरान भारत में गन्ने का व्यापार चीन और पश्चिमी एशिया तक फैला।
मुगल काल: गन्ने से बनी मिठाइयाँ और पेय पदार्थ अधिक लोकप्रिय हुए।
गन्ने की आधुनिक खेती और उत्पादन:
आज भारत, ब्राजील, थाईलैंड, चीन और ऑस्ट्रेलिया विश्व के प्रमुख गन्ना उत्पादक देश हैं। आधुनिक कृषि तकनीकों से गन्ने की उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
गन्ने की कुछ प्रमुख किस्में:
Saccharum officinarum (मुख्यतः उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में), Saccharum sinense (चीन और भारत में), Saccharum barberi (उत्तर भारत में उगाई जाती है)
गन्ने की उत्पत्ति प्राचीन काल से दक्षिण-पूर्व एशिया में हुई और इसके व्यापार व प्रसंस्करण ने इसे वैश्विक कृषि फसल बना दिया। भारत ने चीनी उत्पादन की प्रारंभिक तकनीक विकसित की, जिसे अन्य देशों ने अपनाया। आज गन्ना केवल एक फसल नहीं, बल्कि एक वैश्विक व्यापार का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। ऐसी ही जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ॥ जय हिंद, जय किसान॥
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