हाइड्रोलिक ट्रॉली: किसानों की खेती को आसान बनाने वाली तकनीक

03 Jun 2025 | NA
हाइड्रोलिक ट्रॉली: किसानों की खेती को आसान बनाने वाली तकनीक

खेती-किसानी में समय, श्रम और लागत की बचत करना हर किसान की प्राथमिकता होती है। आज के युग में जब कृषि यंत्रीकरण तेजी से बढ़ रहा है, तो ऐसे में हाइड्रोलिक ट्रॉली (Hydraulic Trolley) किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। यह न केवल खेत से उपज को लाने-ले जाने का काम आसान बनाती है, बल्कि मिट्टी, खाद, कचरा, गोबर आदि की ढुलाई भी इससे सहज हो जाती है। इस लेख में हम जानेंगे कि हाइड्रोलिक ट्रॉली क्या होती है, कैसे काम करती है, इसके लाभ क्या हैं और बाजार में उपलब्ध इसके प्रकार कौन-कौन से हैं।

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हाइड्रोलिक ट्रॉली क्या है?

हाइड्रोलिक ट्रॉली एक विशेष प्रकार की ट्रॉली होती है जिसे ट्रैक्टर के साथ जोड़ा जाता है। इसमें हाइड्रोलिक सिस्टम लगा होता है जिसकी मदद से ट्रॉली को ऊपर उठाया जा सकता है और उसका पिछला हिस्सा झुका कर माल को आसानी से नीचे गिराया जा सकता है। इसे अंग्रेज़ी में tipping trailer भी कहा जाता है।

हाइड्रोलिक ट्रॉली कैसे काम करती है?

इस ट्रॉली में एक हाइड्रोलिक सिलेंडर लगा होता है जिसे ट्रैक्टर के हाइड्रोलिक पावर से जोड़ा जाता है। जब ट्रैक्टर का हाइड्रोलिक लीवर उठाया जाता है, तो ट्रॉली धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकती है और उसमें भरा माल (जैसे गेहूं, धान, मिट्टी, खाद आदि) आसानी से नीचे गिर जाता है। इस प्रक्रिया को टिपिंग (Tipping) कहा जाता है।

हाइड्रोलिक ट्रॉली के प्रमुख लाभ:

1. समय और श्रम की बचत: एक सामान्य ट्रॉली में माल खाली करने में काफी समय और मेहनत लगती है, जबकि हाइड्रोलिक ट्रॉली में यह काम कुछ ही मिनटों में हो जाता है

2. कम जनशक्ति की जरूरत: टिपिंग सिस्टम के कारण 2-3 लोग मिलकर ट्रॉली खाली कर सकते हैं, जिससे मजदूरी पर खर्च घटता है।

3. सुरक्षा और सुविधा: ट्रॉली झुकाते समय किसी भी व्यक्ति को अंदर उतरने की जरूरत नहीं होती, जिससे दुर्घटना की संभावना कम हो जाती है।

4. मल्टी-पर्पज उपयोग: अनाज, सब्जियां, खाद, गोबर, मलबा आदि सभी को ढोने में काम आती है।

5. कई टन माल की क्षमता: बाजार में 1 टन से लेकर 10 टन तक भार उठाने वाली ट्रॉलियां उपलब्ध हैं।

प्रकार:

1. सिंगल हाइड्रोलिक ट्रॉली: इसमें सिर्फ एक हाइड्रोलिक सिलेंडर होता है और यह सामान्य कार्यों के लिए उपयुक्त होती है।

2. डबल हाइड्रोलिक ट्रॉली: भारी कार्यों के लिए दो सिलेंडर वाली ट्रॉली प्रयोग की जाती है, जिससे टिपिंग और लोडिंग दोनों आसान हो जाते हैं।

3. फुल बॉडी ट्रॉली: इसमें चारों तरफ ऊंची बॉडी लगी होती है, जो अनाज आदि को गिरने से रोकती है।

4. कस्टम ट्रॉली: कुछ कंपनियां किसान की जरूरत के अनुसार ट्रॉली डिजाइन करती हैं, जैसे कि चौड़ाई, लंबाई और ऊंचाई को लेकर।

कीमत और उपलब्धता:

हाइड्रोलिक ट्रॉली की कीमत इसके साइज, मटेरियल और ब्रांड पर निर्भर करती है। सामान्यतः 1.5 लाख रुपये से शुरू होकर 3.5 लाख रुपये तक इनकी कीमत जाती है।

इसे स्थानीय कृषि यंत्र विक्रेता, सरकारी अनुदान केंद्र या ऑनलाइन कृषि पोर्टल्स से खरीदा जा सकता है।

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सरकारी अनुदान और योजना:

कई राज्यों में कृषि यंत्रीकरण योजना के अंतर्गत हाइड्रोलिक ट्रॉली पर 30% से 50% तक का सब्सिडी दी जाती है। इसके लिए किसान को नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क कर आवेदन करना होता है।

निष्कर्ष:

हाइड्रोलिक ट्रॉली आधुनिक खेती की एक जरूरी मशीन बन चुकी है। यह न केवल किसानों का श्रम कम करती है, बल्कि उत्पादकता और कार्यक्षमता भी बढ़ाती है। यदि आप भी खेती के लिए ट्रॉली लेने की सोच रहे हैं, तो हाइड्रोलिक ट्रॉली एक बेहतर विकल्प हो सकती है। यह एक बार का निवेश है जो लंबे समय तक लाभ देता है।


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