काले चावल की बढ़ती मांग


किसान भाइयों को मांग के अनुसार विशेष वैरायटी की खेती करनी चाहिए। जिस प्रकार आज काले चावलों की डिमांड बढ़ती जा रही है, तो इसकी खेती कर किसानों भाइयों को निश्चित रूप से लाभ होगा। यह चावल आम चावलों की तुलना में अधिक स्वास्थ्यकर माने जाते हैं। इनमें कम कैलोरी होती है, जो वजन को नियंत्रित करती है। साथ ही यह हृदय के लिए भी लाभदायक माने जाते हैं, जिस कारण इनकी डिमांड बढ़ती जा रही है। काले चावलों की खास बात यह है कि इनकी खेती कम पानी वाले क्षेत्रों में भी सफल रूप से की जा सकती है। आज हम जानेंगे काले चावलों को उगाने से संबंधित संपूर्ण जानकारी।
काले चावल के फायदे:
काले चावल न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि इनमें कई पोषक तत्व विटामिन बी, विटामिन ए, कैल्शियम, मैग्नीशियम,आयरन, जिंक जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण कोशिकाओं को मुक्त कणों से बचाते हैं। इनमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन में मदद करती है। इनका सेवन रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक है, जिससे मधुमेह के रोगियों को लाभ मिलता है। कम कैलोरी होने के कारण यह वजन को भी नियंत्रित करते हैं और इसका फाइबर भी हृदय के लिए अच्छा माना जाता है।

उपयुक्त जलवायु:
काले चावल के लिए गर्म और नम वातावरण उपयुक्त माना जाता है। आदर्श तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। यह चावल समशीतोष्ण से उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में उगाया जा सकता है। इस चावल का भारत में मणिपुर, असम, सिक्किम, मध्य प्रदेश महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार तथा उत्तर प्रदेश के राज्यों में सफल रूप से उत्पादन किया जा रहा है। शोध शालाओं में इसके उन्नत किस्म के बीच अन्य राज्यों में भी सफल रूप से उगाये जा रहे हैं। फसल लगाने का सर्वोत्तम समय बारिश के शुरुआती दौर अर्थात् जून से जुलाई के बीच होता है।
उगाने की विधि:
काले चावलों की फसल लगाने के लिए सबसे पहले भूमि की उचित तरीके से जुताई कर, मिट्टी नरम कर मई महीने में नर्सरी में तैयार की जाती है। इसके बीज को चुनने में सावधानी बरतनी चाहिए। बीज का चुनाव कर उसे 24 घंटे पानी में भिगोकर रख दें, जिससे अंकुरण बेहतर होता है। यह बीच सामान्यतः सभी बीज केंद्रों पर उपलब्ध है।जब मिट्टी में नमी अच्छी हो जाए तब पौध की रोपाई की जाती है। बीज को 15 से 20 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए और रोपाई के बाद मिट्टी को हल्का-सा दबाए ताकि पौधे का मिट्टी से अच्छी तरह संपर्क हो सके।

खेती के दौरान खेत में पर्याप्त जल स्तर बनाए रखें। पौधों की वृद्धि के अनुसार सिंचाई करें, खासकर जब पौधे छोटे हों। काले चावल की फसल के लिए अच्छी गुणवत्ता की जैविक खाद और उर्वरकों एनपीके (नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश) का उचित मात्रा में प्रयोग करें। फसल में रोगों और कीटों का समय-समय पर निरीक्षण करना आवश्यक है। सामान्य चावलों की तरह उनकी फसल भी 5 से 6 महीने में पककर तैयार हो जाती है।
इनका बाजार:
इनका बाजार भारत में सामान्यतः सभी स्थानों पर मिल जाता है। उच्च गुणवत्ता के कारण इनको बेचना आसान है। इनका दाम गुणवत्ता और बाजार की मांग पर ही निर्भर करता है। सामान्यतः काले चावलों की कीमत ₹100 से ₹300 प्रति किलोग्राम के बीच होती है। यदि आप ऑर्गेनिक काले चावलों की बात करें तो इसकी कीमत और भी अधिक हो सकती है।

खेती का भविष्य:
काले चावलों की खेती एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है, खासकर जब इसका सही तरीके से उत्पादन किया जाए इसके फायदे और बाजार की संभावनाओं को देखते हुए यह किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन सकता है। उचित जलवायु, मौसम और खेती की विधियों का पालन कर किसान काले चावलों की फसल सफल रूप से लगाकर अपनी आर्थिक आमदनी बढ़ा सकते हैं। काले चावलों की मांग विदेशों तक भी खूब है तथा उनके लिए भारत सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। तो दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसी ही अन्य जानकारी के लिए जुड़े रहे "हेलो किसान" के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥
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