कुंदरू की सब्जी

20 Jun 2025 | NA
कुंदरू की सब्जी

भारतीय रसोई में सब्जियों की एक लंबी लिस्ट है, जिनमें कुछ बेहद आम होते हुए भी खास होते हैं। ऐसी ही एक अनदेखी लेकिन अत्यंत लाभकारी सब्जी है कुंदरू, जिसे भारत के विभिन्न हिस्सों में टिंडोरा, कुन्द्रू, गलकोरा, कोवा आदि नामों से जाना जाता है। यह देखने में साधारण जरूर लगती है, लेकिन इसके भीतर छुपे पोषक तत्व और औषधीय गुण इसे बेहद खास बना देते हैं। आमतौर पर लोग इसे हल्के में लेते हैं, लेकिन जब इसके फायदों की गहराई में जाएंगे, तो आपको भी यह समझ में आएगा कि कुंदरू कोई मामूली सब्जी नहीं।

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कुंदरू एक बेल पर उगने वाली हरी सब्जी है, जिसका आकार छोटा और बेलनाकार होता है। इसकी त्वचा पर हल्की धारियां होती हैं और पकने के बाद इसका स्वाद हल्का मीठा और कुरकुरा होता है। गर्मी और बरसात के मौसम में यह खूब उगाई जाती है। इसकी बेलें बहुत तेजी से बढ़ती हैं और इसे उगाने में ज्यादा मेहनत भी नहीं लगती। गांवों में तो इसे अक्सर बाड़ों और किनारों पर खुद ही फैलता देखा जाता है।

अगर पोषण की बात करें, तो कुंदरू किसी भी महंगी विदेशी सब्जी से कम नहीं है। इसमें फाइबर, आयरन, कैल्शियम, विटामिन A, B और C के अलावा एंटीऑक्सीडेंट्स भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह सब्जी शरीर के भीतर जमे खतरनाक तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होती है और पाचन को दुरुस्त बनाए रखने में मदद करती है। खास बात यह है कि यह बहुत कम कैलोरी वाली सब्जी है, इसलिए जो लोग वजन घटाना चाहते हैं, उनके लिए यह एक बेहतरीन विकल्प बन सकती है।

कुंदरू खासतौर पर डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी मानी जाती है। इसमें ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो ब्लड शुगर को संतुलित करने में मदद करते हैं। कई आयुर्वेदिक चिकित्सक कुंदरू का सेवन नियमित रूप से करने की सलाह देते हैं, ताकि शरीर में शर्करा का स्तर नियंत्रित बना रहे। इसके अलावा, यह लिवर को भी मजबूत बनाती है और त्वचा की रंगत को निखारने में मदद करती है। बालों के लिए भी यह लाभकारी मानी जाती है, क्योंकि इसमें मौजूद पोषक तत्व जड़ों को मज़बूती देते हैं।

कुंदरू की सब्जी को भारतीय घरों में कई तरह से बनाया जाता है। कोई इसे आलू के साथ पकाता है, कोई बेसन डालकर, तो कोई भरवां तरीके से तंदूरी स्वाद के साथ बनाता है। लेकिन सबसे लोकप्रिय तरीका है इसकी सूखी भुजिया, जिसमें कम मसालों के साथ कुंदरू को धीमी आंच पर कुरकुरा होने तक भूना जाता है। यह रोटी या पराठे के साथ बहुत स्वादिष्ट लगती है और हल्के खाने के शौकीनों के लिए तो किसी वरदान से कम नहीं।

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इसका एक खास घरेलू नुस्खा भी प्रचलित है – कुंदरू के कुछ टुकड़े सुबह खाली पेट खाने से डायबिटीज में काफी राहत मिलती है। कुछ लोग इसका काढ़ा या जूस भी बनाकर पीते हैं, लेकिन उसका स्वाद थोड़ा कड़वा हो सकता है। फिर भी, इसके लाभ इतने हैं कि थोड़ी तकलीफ भी सह ली जाए तो हर्ज नहीं।

भारत के कई हिस्सों में कुंदरू की खेती भी की जाती है, खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में। यह फसल कम लागत में अच्छी उपज देती है और बाजार में भी इसकी मांग बनी रहती है। सब्जी मंडियों में यह आमतौर पर 30 से 50 रुपये प्रति किलो बिकती है, और ताजगी के साथ खरीदी जाए तो यह 3–4 दिन तक आराम से टिक जाती है। किसान भाई इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है 

कुंदरू की एक खास बात यह भी है कि यह पेट को हल्का बनाए रखती है। कई बार जब भारी और मसालेदार खाना खाने से पेट बिगड़ जाता है, तब कुंदरू की सादी सब्जी एक मरहम की तरह काम करती है। यही कारण है कि पुराने समय में दादी-नानी अक्सर इसे सप्ताह में एक बार ज़रूर बनवाती थीं।

कुल मिलाकर, कुंदरू एक ऐसी सब्जी है जो स्वाद, सेहत और सहजता - तीनों के संतुलन का प्रतीक है। इसका न तो स्वाद उबाऊ है, न ही इसे पकाने में अधिक झंझट है, और न ही इसके सेवन से कोई नुकसान होता है। बल्कि यह छोटी-सी सब्जी आपके शरीर को अंदर से साफ़ कर देती है और ऊर्जा से भर देती है। आज के दौर में, जब हम फास्ट फूड और जंक फूड की ओर भाग रहे हैं, कुंदरू जैसी देसी और पोषक सब्जियों की ओर लौटना समय की मांग है।

तो अगली बार जब आप सब्जी लेने जाएं, तो कुंदरू को टोकरी में रखना न भूलें। यह हरी-भरी सब्जी न सिर्फ आपकी थाली को सजाएगी, बल्कि आपकी सेहत को भी नया जीवन देगी। ऐसी ही जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello kisaan के साथ।

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