मक्का की खेती – कम लागत, ज्यादा कमाई वाला सौदा

15 Sep 2025 | NA
मक्का की खेती – कम लागत, ज्यादा कमाई वाला सौदा

भारत में मक्का को “सुनहरा अनाज” कहा जाता है। इसका कारण केवल इसका सुनहरा पीला रंग नहीं, बल्कि इसके अनगिनत उपयोग और किसानों को मिलने वाला अच्छा मुनाफा है। मक्का एक ऐसी फसल है जो इंसानों के खाने, पशुओं के चारे और कई तरह के औद्योगिक कार्यों—तीनों में बराबर काम आती है। यही वजह है कि यह देश की सबसे महत्वपूर्ण अनाज फसलों में गिनी जाती है।

मक्का की खेती लगभग पूरे भारत में की जाती है। यह फसल बरसात पर निर्भर (रेनफेड) खेतों में भी उगाई जा सकती है और सिंचाई वाली (इरिगेटेड) जमीनों में भी बेहतरीन उत्पादन देती है। इसकी खासियत यह है कि यह अलग-अलग तरह की मिट्टी और जलवायु में भी अच्छा परिणाम देती है, बशर्ते खेती सही तरीके से की जाए। यही कारण है कि छोटे किसान से लेकर बड़े किसान तक, सभी के लिए मक्का एक लाभकारी और भरोसेमंद फसल बन गई है।

 Maize farming in India

मक्का की बढ़ती मांग और उपयोग

मक्का की मांग साल भर बनी रहती है। इसका उपयोग कई रूपों में होता है, जैसे  भोजन: पॉपकॉर्न, स्वीटकॉर्न, कॉर्नफ्लोर, बेकरी उत्पाद, नाश्ते के अनाज (कॉर्न फ्लेक्स) पशु आहार: दूध देने वाले पशुओं और पोल्ट्री (मुर्गी पालन) में मुख्य चारा औद्योगिक उपयोग: स्टार्च, तेल, शराब, बायोफ्यूल, गोंद और केमिकल उद्योग में कच्चा माल ग्रामीण स्तर पर उपयोग: मक्का का हरा चारा गाय-भैंस के लिए बेहतरीन पोषण स्रोत यानी, मक्का सिर्फ खेत में ही नहीं, बल्कि खेत से निकलने के बाद भी किसान की जेब भरता है।

जलवायु और मिट्टी की अनुकूलता

मक्का एक लचीली फसल है जो लगभग सभी तरह की मिट्टी में उग सकती है। फिर भी, अच्छे जलनिकास वाली दोमट मिट्टी (Loamy Soil) सबसे उपयुक्त मानी जाती है। तापमान: 20–30°स, बारिश: खरीफ मौसम में प्राकृतिक वर्षा पर्याप्त, जबकि रबी व जायद में सिंचाई जरूरी, विशेष बात: भारी पानी भराव वाली जगह से बचें, क्योंकि जड़ों में सड़न का खतरा बढ़ जाता है।

बीज चयन और बुवाई

अच्छी फसल का पहला कदम है सही बीज का चुनाव।, उन्नत किस्में: HQPM-1, HQPM-5, DHM-117, Bio 9681, Vivek Hybrid-9 आदि

बुवाई का समय: खरीफ – जून से जुलाई, रबी – अक्टूबर से नवंबर, जायद – फरवरी से मार्च बीज दर: 18–20 किलो प्रति एकड़, बुवाई की दूरी: कतार से कतार 60 सेमी, पौधे से पौधे 20 सेमी सिंचाई, उर्वरक और खेत की देखभाल सिंचाई: बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई और फिर टॉप ड्रेसिंग के समय। कुल 3–4 सिंचाई पर्याप्त रहती हैं।

उर्वरक प्रबंधन: नाइट्रोजन – 80–100 किलो/एकड़, फॉस्फोरस – 40 किलो/एकड़, पोटाश – 20 किलो/एकड़ साथ में जैविक खाद जैसे गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाना फायदेमंद है। निराई-गुड़ाई: खरपतवार नियंत्रण के लिए 15–20 दिन के अंतराल पर 2 बार निराई करें।

 Earnings from maize cultivation

कीट एवं रोग प्रबंधन

मक्का में सेना कीड़ा, तना छेदक, जड़ सड़न, और पर्ण चित्ती जैसे रोग आ सकते हैं। जैविक उपाय: नीम आधारित कीटनाशक, ट्राइकोडर्मा का उपयोग रासायनिक उपाय: कृषि विशेषज्ञ की सलाह से उचित दवा का छिड़काव रोकथाम का मंत्र: समय पर निगरानी और रोग की शुरुआती अवस्था में उपचार

उत्पादन और लाभ

अच्छी देखभाल और सही प्रबंधन से मक्का से 20–25 क्विंटल प्रति एकड़ उपज मिल सकती है। औसत बाजार भाव: ₹1500–₹2200 प्रति क्विंटल कुल आय: ₹30,000–₹50,000 प्रति एकड़ लागत: ₹10,000–₹15,000 प्रति एकड़ शुद्ध लाभ: ₹15,000–₹35,000 प्रति एकड़

कमाई बढ़ाने के उपाय

1. संकर (हाइब्रिड) किस्में अपनाएं – ज्यादा उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता 2. मल्टीक्रॉपिंग – मक्का के साथ मूंग, उड़द, सोयाबीन या सब्जियां लगाकर अतिरिक्त आमदनी 3. पोस्ट-हार्वेस्ट वैल्यू एडिशन – मक्का को सुखाकर सही समय पर बेचना, या इसे पोल्ट्री फीड, पॉपकॉर्न या कॉर्न फ्लोर के रूप में बेचना ज्यादा मुनाफेदार

Method of maize cultivation


सरकारी योजनाएं और सहयोग

केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को मक्का की खेती के लिए कई तरह की सहायता देती हैं: बीज पर सब्सिडी, फसल बीमा योजना, कृषि यंत्रों पर अनुदान एफपीओ (Farmer Producer Organization) के माध्यम से सामूहिक विपणन सुविधा, जानकारी और प्रशिक्षण के लिए कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और राज्य कृषि विभाग से संपर्क करें

निष्कर्ष

मक्का की खेती आज के समय में कम लागत, ज्यादा उत्पादन और स्थिर बाजार मांग की वजह से किसानों के लिए सुनहरा अवसर है। यह फसल न केवल अच्छी आमदनी देती है, बल्कि इसके उप-उत्पादों से भी पैसा कमाया जा सकता है। यदि किसान वैज्ञानिक तकनीक, उन्नत किस्में और सही समय पर प्रबंधन अपनाएं, तो मक्का खेती उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बना सकती है। सच कहें तो, मक्का सिर्फ सुनहरा अनाज नहीं—बल्कि किसानों की जिंदगी में सुनहरी रोशनी लाने वाली फसल है। ऐसी अमेजिंग जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताइये ।। जय हिन्द जय भारत ।।

(CLICK HERE) For More Details

Share

Comment

Loading comments...

Also Read

पपीते की खेती – किसानों के लिए फायदे का सौदा
पपीते की खेती – किसानों के लिए फायदे का सौदा

खेती किसानी में अक्सर किसान भाई यह

01/01/1970
एक्सपोर्ट के लिए फसलें: कौन-कौन सी भारतीय फसल विदेशों में सबसे ज्यादा बिकती हैं
एक्सपोर्ट के लिए फसलें: कौन-कौन सी भारतीय फसल विदेशों में सबसे ज्यादा बिकती हैं

भारत सिर्फ़ अपने विशाल कृषि उत्पादन के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया क

01/01/1970
एलोवेरा और तुलसी की इंटरक्रॉपिंग – कम लागत, ज़्यादा लाभ
एलोवेरा और तुलसी की इंटरक्रॉपिंग – कम लागत, ज़्यादा लाभ

आज के समय में खेती सिर्फ परंपरागत फसलों तक सीमित नहीं रही है। बदलत

01/01/1970
Bee-Keeping और Cross Pollination से बढ़ाएं फसल उत्पादन
Bee-Keeping और Cross Pollination से बढ़ाएं फसल उत्पादन

खेती सिर्फ हल चलाने का काम नहीं, ये एक कला है और इस कला में विज्ञा

01/01/1970

Related Posts

Short Details About