बांस की खेती कर लाखों रुपए कमा रहे लोग


बांस तेजी से बढ़ने वाली घास का एक प्रकार है, जो दुनियाभर में व्यापक रूप से पायी जाती है। यह कई प्रकार के उत्पादों का स्रोत है, जिसकी खेती कर कुछ किसान भाई अच्छी मात्रा में धन अर्जन कर रहे हैं। वृहत रूप से बांस की खेती कर रहे महाराष्ट्र के राजशेखर जी लाखों रुपए कमा रहे हैं। शुरू में इन्होंने अपने खेत की बाउंड्री पर बांस लगाए थे, परंतु जब इन्हें इसकी खेती से अच्छा मुनाफा होता दिखा, तो पूरे खेत में ही बांस लगा दिये। इसकी खेती बंजर भूमि में भी सफल रूप से हो सकती है, जो 2 से 3 साल में काटने योग्य हो जाता है। इसमें लागत भी सबसे कम है और किसी खाद्य या कीटनाशक का भी प्रयोग नहीं होता। आये लेते हैं संपूर्ण जानकारी राजशेखर जी से उन्होंने इस क्षेत्र में किस प्रकार सफलता हासिल की।

उपयुक्त जलवायु:
बांस की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु गर्म और आद्र होती है। सामान्यतः बांस को 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान में सबसे अच्छा उगाया जाता है। बांस की खेती भारत के लगभग सभी राज्यों में होती है। रेतीली तथा दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। इसके उत्पादन में शीर्ष स्थान रखने वाले राज्य अरुणाचल प्रदेश, असम, त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक सहित उत्तर भारत के भी कई राज्य है। इसकी खेती में सबसे खास बात यह है कि ये बंजर भूमि को भी उपजाऊ कर देती है।

बांस उगाने की विधियां:
बांस की खेती के कई तरीके हैं, जिनमें से तीन तरीके सबसे महत्वपूर्ण है, पहला बीज से, दूसरा टिशु कल्चर तथा तीसरा राइबोसोम से। बांस का बीज मिलना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि इस पर 40 से 50 साल में एक बार बीज आता है। इसलिए क्लोनिंग फार्मिंग या राइबोसोम के द्वारा उगाना सबसे अच्छा माना जाता है। क्लोनिंग के माध्यम से बांस के पौधे की शाखाओं या कलमों का उपयोग कर इसे बढ़ाया जा सकता है। तथा रूट डिवीज़न मेथड में पुराने पौधों की जड़ों को काटकर नए पौधों का उत्पादन किया जा सकता है।

बांस के पौधों को नर्सरी में तैयार करना:
बांस के पौधों को बीज से तैयार करने के लिए सबसे पहले उच्च गुणवत्ता वाले बीच का चयन करें तथा उन्हें कीट से बचाने के लिए साबुन या कीटनाशक से धोंए तथा फिर उन्हें तैयार की गई पोषक मिट्टी में रोपित कर दें। नियमित अंतराल पर शुरू में सिंचाई करते रहे। फिर एक बार पौधा वृद्धि करना शुरू कर दें, तो उसे ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं रहती।
विकास अवधि:
बांस के पौधे लगभग 3 से 5 साल में पूरी तरह विकसित हो जाते हैं। हालांकि, कुछ प्रजातियाँ जल्दी भी बढ़ती हैं और पहले वर्ष में ही 20 से 30 फीट तक बढ़ सकती हैं। बांस की सबसे ज़्यादा लोकप्रिय प्रजातियां बम्बूसा ऑरनदिनेसी, बम्बूसा पॉलीमोरफा, किमोनोबेम्बूसा फलकेटा, डेंड्रोकैले आदि है, जिनका बीज केंद्रों पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है।

बांस का मूल्य:
बांस का मूल्य कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे उसकी प्रजाति, आकार, और गुणवत्ता। सामान्यतः एक बांस अपनी ऊंचाई और मोटाई के आधार पर 20, 50, 100, 200 और 300 रुपए तक भी बिकते हैं। 1 एकड़ में लगभग 1000 से 1500 पौधों लगाए जा सकते हैं, हालांकि वह पौधों की प्रजाति और अंतराल पर भी निर्भर करता है। इस प्रकार एक किसान एक एकड़ में भी बड़ी संख्या में बांस उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकता है, जो उसे जल्द ही अमीर बना देगा।
एक एकड़ में लागत:
राजशेखर जी बताते हैं की बांस की वैरायटी को लेकर ज्यादा सोच विचार नहीं करना चाहिए, जो भी आसानी से उपलब्ध हो उसे लगा दो, इसका पौधा अच्छी ग्रोथ करेगा। इसी के साथ भारत सरकार भी इसके लिए 50% क्या प्रत्येक पौधे को 260 रुपए तक सब्सिडी प्रदान करती है। सामान्यतः बीज वाला पौधा ₹25, टिशु कल्चर वाला 50 तथा राइबोसोम वाला 100 से 150 रुपए तक का मिलता है, जिन्हें एक बार लगा देने के बाद यह जीवन भर बांस उगाता रहता है। इस प्रकार पहले वर्ष एक एकड़ में 50 हजार से 1 लाख रुपए तक की लागत आ जाती है।

बांस से बनने वाले उत्पाद:
बांस का प्रयोग अनेकों तरह के प्रोडक्ट्स बनाने में किया जाता है जिनमें मुख्य रूप से हैं-
बांस के फर्निचर: कुर्सियां, टेबल, और अलमारियां।
बांस के उपकरण: बांस के चम्मच-प्लेट, अन्य रसोई के सामान, सीढ़ी, बल्ली सहित निर्माण सामग्री में भी इसका उपयोग होता है। इसी के साथ बांस से उच्च प्रकार की कलाकृतियां और सजावटी सामानों सहित कागज और फाइबर भी बनाया जाता है। कुछ बांस की प्रजातियां के अंकुरों का उपयोग खाने में भी किया जाता है।

अत: बांस की खेती एक लाभदायक व्यवसाय है, जो पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। इसकी तेजी से वृद्धि, उपयोगी उत्पाद और बाजार में मांग इसे किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाती है। यदि सही तकनीकों और विधियों का उपयोग किया जाए, तो बांस की खेती से अच्छे लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। बांस की फसल भी गन्ने की तरह ही उगाई जाती है, जिसे थोड़ी मात्रा में भी खाद पानी करते रहें, तो अच्छी ग्रोथ होती रहती है। यदि कोई किसान भाई इनसे संपर्क कर जानकारी लेना चाहे तो उनका मोबाइल नंबर 9860209283 है। दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट पर अवश्य बताएं ऐसे ही जानकारी के लिए जुड़े रहे "हेलो किसान" के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥
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