सोया मिल्क का निर्माण और बढ़ती मांग का कारण


सोया मिल्क एक लोकप्रिय पौध-आधारित दूध है, जिसे सोयाबीन से तैयार किया जाता है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जो लैक्टोज असहिष्णुता (Lactose Intolerance) से पीड़ित होते हैं या शाकाहारी (Vegan) जीवनशैली अपनाते हैं। आये इस लेख में इसके निर्माण, उपयोग, लाभ-हानि, बाजार मूल्य और शुद्धता जांच की प्रक्रिया को विस्तार से समझते हैं।
सोया मिल्क कैसे बनता है?
सोया मिल्क बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले अच्छे गुणवत्ता वाले सोयाबीन का चयन किया जाता है, जिसको 8-12 घंटे तक पानी में भिगोते हैं ताकि वे नरम हो जाएं। भीगे हुए सोयाबीन को पानी के साथ पीसकर एक गाढ़ा मिश्रण बनाया जाता है। जिसे महीन छन्नी या कपड़े से छानकर ठोस अंश (ओकारा) को अलग किया जाता है।
उबालना और निष्फलन (Pasteurization):
इस छने हुए द्रव को 10-15 मिनट तक उबाला जाता है ताकि बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं और कच्चे सोयाबीन का स्वाद दूर हो। कुछ कंपनियां इसे पाश्चुरीकृत भी करती हैं ताकि यह अधिक समय तक सुरक्षित रह सके।

स्वाद और पोषण बढ़ाना:
इसमें स्वाद के लिए मीठा, वेनिला, चॉकलेट, या बादाम का एसेंस मिलाया जा सकता है। कैल्शियम, विटामिन B12 और अन्य पोषक तत्व भी मिलाए जाते हैं।
पैकेजिंग और भंडारण:
इसे बाँधने के लिए विशेष हाइजीनिक टेट्रा पैक या बोतलों में भरते हैं और ठंडे स्थान पर रखा जाता है और बाजार में वितरित किया जाता है।
सोया मिल्क का उपयोग:
- सोया मिल्क का उपयोग विभिन्न प्रकार से दूध के विकल्प के रूप में – चाय, कॉफी, स्मूदी, और शेक में। इसी के साथ सोया मिल्क से दही और पनीर तैयार किया जाता है।
- बेकिंग और कुकिंग में – केक, पेस्ट्री और अन्य व्यंजनों में।
- स्पोर्ट्स न्यूट्रिशन में – एथलीट्स और बॉडीबिल्डर्स इसे प्रोटीन के स्रोत के रूप में उपयोग करते हैं।
सोया मिल्क के लाभ:
प्रोटीन में समृद्ध और अमीनो एसिड से भरपूर सोया मिल्क में कैल्शियम और विटामिन D भी होता है जो हड्डियों को मजबूत करता है। इसी के साथ सोया प्रोटीन कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है और ये हार्ट-फ्रेंडली एवं ब्लड प्रेशर नियंत्रण में भी सहायक है।
लैक्टोज असहिष्णु लोगों के लिए लाभदायक:
- जिन लोगों को गाय के दूध से एलर्जी या लैक्टोज इनटॉलरेंस है, उनके लिए भी यह अच्छा विकल्प है।
- वजन प्रबंधन में सहायक: इसमें कम कैलोरी होती है और यह मेटाबॉलिज्म को सुधारता है।
हॉर्मोन संतुलन बनाए रखता है:
इसमें मौजूद फाइटोएस्ट्रोजन महिलाओं के हार्मोनल संतुलन को सुधारने में सहायक हो सकते हैं।
सोया मिल्क के नुकसान:
अत्यधिक सेवन से हार्मोनल असंतुलन:
फाइटोएस्ट्रोजन अधिक मात्रा में लेने से हार्मोनल प्रभाव पड़ सकता है, खासकर पुरुषों और महिलाओं में।
पाचन समस्याएँ:
कुछ लोगों को सोया मिल्क से सूजन, गैस या एलर्जी हो सकती है।
थायरॉइड पर प्रभाव:
अत्यधिक मात्रा में सोया मिल्क का सेवन थायरॉइड ग्रंथि की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है।
प्रसंस्कृत सोया मिल्क में अधिक एडिटिव्स:
बाजार में मिलने वाले कुछ सोया मिल्क में अधिक मात्रा में शक्कर, प्रिजर्वेटिव्स और स्टेबलाइजर्स हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

बाजार में सोया मिल्क की कीमत:
सोया मिल्क की कीमत ब्रांड, गुणवत्ता और स्थान के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। आमतौर पर:
- 500 ml पैक – ₹40-₹60
- ऑर्गेनिक सोया मिल्क – ₹150-₹250 प्रति लीटर है।
- भारत में यह अमूल, सोयफिट, सोया लाइफ, और पैकेज्ड ब्रांड्स के तहत उपलब्ध है।
सोया मिल्क की शुद्धता की जांच कैसे करें?
- सुनिश्चित करें कि उसमें कृत्रिम एडिटिव्स, प्रिजर्वेटिव्स या अधिक शक्कर न हो। जैविक (Organic) प्रमाणपत्र देखना जरूरी है। गाढ़ापन और स्वाद की जांच करें।
- असली सोया मिल्क का रंग हल्का क्रीमी होता है और उसमें कोई अजीब गंध नहीं होती।
पानी मिलावट की जांच:
थोड़ा-सा सोया मिल्क एक गिलास पानी में डालें। यदि यह तुरंत घुल जाए, तो उसमें अधिक पानी मिलाया गया हो सकता है।
झाग बनने की जांच:
असली सोया मिल्क को हिलाने पर हल्का झाग बनता है, लेकिन अगर बहुत ज्यादा झाग बन रहा है, तो उसमें कृत्रिम तत्व मिलाए गए हो सकते हैं।
सोया मिल्क एक बेहतरीन शाकाहारी विकल्प है, जो प्रोटीन और पोषण से भरपूर है। यह हृदय स्वास्थ्य, हड्डियों की मजबूती और वजन प्रबंधन में मदद करता है। हालांकि, इसे संतुलित मात्रा में ही लेना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक सेवन से हार्मोनल और पाचन संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं। बाजार में उपलब्ध विभिन्न ब्रांड्स से सोया मिल्क खरीदते समय उसकी शुद्धता और गुणवत्ता की जांच करना जरूरी है। यदि आप इसे घर पर बनाते हैं, तो यह अधिक स्वास्थ्यवर्धक और सुरक्षित विकल्प हो सकता है। कैसी लगी आपको जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं ऐसे ही जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद,जय किसान॥
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