सिंघाड़ा: जल में उगने वाला सेहत का खज़ाना

10 Jun 2025 | NA
सिंघाड़ा: जल में उगने वाला सेहत का खज़ाना

प्राकृतिक रूप से जलाशयों, तालाबों और झीलों में उगने वाला सिंघाड़ा न केवल स्वादिष्ट फल है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। पानी में पनपने वाले इस फल को इंग्लिश में Water Chestnut कहा जाता है। भारत में यह विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में बड़ी मात्रा में उगाया जाता है।

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सिंघाड़ा क्या होता है?

सिंघाड़ा एक जलीय पौधा है, जिसकी जड़ें पानी के भीतर रहती हैं और फल पानी की सतह के पास पनपते हैं। इसके फल हार्ड शेल वाले होते हैं, जिनके भीतर सफेद गूदा मौजूद होता है। यही सफेद भाग खाने योग्य होता है।

यह फल दो रूपों में बाजार में मिलता है—

1. कच्चा सिंघाड़ा (हरी अवस्था में)

2. सुखाकर बनाया गया सिंघाड़े का आटा

खेती कैसे की जाती है?

सिंघाड़ा की खेती खासतौर पर खड़े पानी में की जाती है। इसके लिए 1–1.5 फीट गहराई वाले तालाब या जल भराव वाली ज़मीन की आवश्यकता होती है।

मई-जून में पौध लगाई जाती है।

अक्टूबर से दिसंबर के बीच सिंघाड़ा तैयार हो जाता है।

एक एकड़ में औसतन 80 से 100 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है।

यह फसल रासायनिक खाद की मांग नहीं करती, बल्कि कुदरती खाद से ही बेहतर उपज देती है।

पोषण से भरपूर सिंघाड़ा

सिंघाड़ा पोषण का भंडार है। इसमें पाए जाते हैं:

कार्बोहाइड्रेट्स – शरीर को ऊर्जा देने के लिए

फाइबर – पाचन को बेहतर बनाने के लिए

पोटैशियम – हृदय को स्वस्थ रखने के लिए

विटामिन B6 – मस्तिष्क के विकास में सहायक

एंटीऑक्सीडेंट्स – रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार

यह व्रत के दिनों में भी खाया जाता है क्योंकि यह शुद्ध और सात्विक आहार माना जाता है। सिंघाड़े के आटे से बनी पूड़ी, हलवा, पराठा और टिक्की न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी होते हैं।

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सिंघाड़ा खाने के फायदे

1. त्वचा में निखार लाता है

इसके सेवन से त्वचा में चमक आती है और दाग-धब्बे कम होते हैं।

2. शक्ति और स्फूर्ति देता है

इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर को थकावट से बचाते हैं और ऊर्जा बढ़ाते हैं।

3. ब्लड प्रेशर नियंत्रित करता है

हाई बीपी के रोगियों के लिए यह बेहद लाभकारी है क्योंकि यह सोडियम कम और पोटैशियम अधिक मात्रा में प्रदान करता है।

4. गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद

यह गर्भावस्था में आयरन और कैल्शियम की कमी को दूर करता है।

5. पाचन तंत्र मजबूत करता है

फाइबर की प्रचुरता इसे पेट के लिए उपयोगी बनाती है।

सिंघाड़े से बनने वाले उत्पाद

सिंघाड़ा आटा

सिंघाड़ा हलवा

सिंघाड़ा बर्फी

सिंघाड़ा चिप्स

सूखा सिंघाड़ा (स्नैक की तरह)

बाजार और आय की संभावना

सिंघाड़ा किसानों के लिए एक लाभकारी फसल है। एक एकड़ में यदि 80 क्विंटल सिंघाड़ा भी हुआ और बाजार में दाम ₹25–₹30 प्रति किलो है, तो कुल आय ₹2 लाख से अधिक हो सकती है। अगर इसकी प्रोसेसिंग करके सिंघाड़ा आटा या अन्य उत्पाद बनाए जाएं तो और अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

निष्कर्ष

सिंघाड़ा एक बहुउपयोगी फल है जिसमें स्वाद, पोषण और आय सभी कुछ शामिल है। इसकी खेती पर्यावरण के अनुकूल है, लागत कम और लाभ अधिक है। आने वाले समय में जल आधारित खेती के बढ़ते रुझान के साथ सिंघाड़ा खेती किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर बन सकती है। अगर आप भी प्राकृतिक खेती में विश्वास रखते हैं, तो सिंघाड़ा आपके लिए एक बढ़िया विकल्प हो सकता है।


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