18 लाख साल की जॉब छोड़ क्यों करने लगा यह किसान Organic Farming ??

27 Oct 2020 | others
18 लाख साल की जॉब छोड़ क्यों करने लगा यह किसान Organic Farming ??

राजस्थान में पीलीबंगा के गाँव चौबीस एसटीजी से ताल्लुक रखने वाले भंवर सिंह पिछले 6-7 सालों से लगातार किसानी कर रहे हैं। उन्होंने अपनी छत पर ग्रीन हाउस बनाने से शुरूआत की थी और आज उन्होंने जयपुर के पास 7 बीघा ज़मीन पर रसायन मुक्त संतुलित खेती का एक मॉडल फार्म खड़ा कर दिया है। इस फार्म में वह न सिर्फ खुद अच्छा उत्पादन ले रहे हैं बल्कि अन्य किसानों को भी निशुल्क ट्रेनिंग दे रहे हैं। 

18 लाख साल की जॉब छोड़ क्यों करने लगा यह किसान Organic Farming ??_4639

एक किसान परिवार से संबंध रखने वाले भंवर सिंह, लगभग 15 साल पहले जयपुर आए थे। यहाँ पर उन्होंने किसी की मदद से रियल एस्टेट का बिज़नेस शुरू किया और वह अच्छा चल निकला।इस व्यवसाय से उन्होंने अपने घर-परिवार की स्थिति को काफी मजबूत कर दिया था।

वह बताते हैं, “गाँव में मेरे दादाजी खेती करते थे और पिताजी को क्रय-विक्रय सहकारी समिति में छोटी-सी नौकरी मिल गई थी। उसी से हमारे घर-परिवार का खर्च चल जाता था। मुझे खेती में आगे बढ़ना था हालांकि शुरूआत में यह काम नहीं कर सका और मुझे रियल एस्टेट में आना पड़ा।”

भंवर सिंह का परिवार एक अच्छी ज़िंदगी जी रहा था लेकिन गाँव से और देशी चीजों से उनका रिश्ता कभी नहीं टूटा। जब कभी उन्हें मौका मिलता, वह प्रकृति की गोद में पहुँच जाते। वह बताते हैं कि जैसे-जैसे समय बीता तो उनकी पत्नी को गठिया और बेटे को 

यह भी पढ़े...

सांस की बीमारी होने लगी। वजह का पता किया तो बहुत सी जगह यही कहा गया कि शुद्ध हवा-पानी और खाना नहीं है। पत्नी और बेटे की तबियत में थोड़ा सुधार हो इसलिए उन्होंने कुछ समय उदयपुर के एक आश्रम में बिताने की ठानी।

आश्रम में जानवरों के लिए काम किया और साथ ही, एक ग्रीन हाउस वहां लगाया ताकि अच्छी-ताज़ी सब्ज़ियाँ उग सकें। वहां पर काम करते हुए मेरे मन में ख्याल आया कि जब यहाँ हम ग्रीन हाउस की तकनीक समझकर लगा सकते हैं तो यह मैं अपने घर में भी करूँ।

जब उनके अपने घर की छत पर अच्छा उत्पादन होने लगा तो उन्होंने जयपुर के और भी कई परिवारों के यहाँ ग्रीन हाउस लगाया। ये लोग जैविक उपज तो चाहते थे लेकिन खुद कोई मेहनत नहीं करना चाहते थे। उन्हें लगता था कि सभी काम भंवर सिंह ही करें। लेकिन इससे भंवर सिंह को घाटा होने लगा और उन्होंने दूसरों के यहाँ ग्रीन हाउस बनाने का काम छोड़ दिया।

18 लाख साल की जॉब छोड़ क्यों करने लगा यह किसान Organic Farming ??_4639

इसके बाद, उन्हें जयपुर के ही बड़े व्यवसायी से उनकी हज़ार बीघा ज़मीन पर एक जैविक और प्राकृतिक जंगल तैयार करने का काम उन्हें मिला। यहाँ पर उन्हें उनके काम के लगभग डेढ़ लाख रुपये प्रति महीना मिल रहे थे। लेकिन भंवर सिंह संतुष्ट नहीं थे।

वह कहते हैं कि उनके मन में यही उधेड़-बुन रहती कि वह उन किसानों तक नहीं पहुँच रहे हैं जिन्हें उनकी ज़रूरत है। व्यवसायी तो किसी एक्सपर्ट से भी यह काम करा लेंगे। लेकिन किसानों को ऐसे किसी व्यक्ति की ज़रूरत है जो उनकी परेशानियों को समझें और फिर उन्हें उनके हिसाब से समझाए और उनकी मदद करे। इसके बाद, उन्होंने अपना काम छोड़कर खुद खेती करने और अन्य किसानों को जैविक से जोड़ने का फैसला किया।

जैविक जागरूकता अभियान: साल 2018 में भंवर सिंह ने कृषि विभाग की मदद से पूरे राजस्थान में ‘जैविक जागरूकता अभियान’ भी चलाया था। उन्होंने बताया कि इसके दौरान उन्होंने पूरे राजस्थान का भ्रमण किया, हर एक गाँव में किसानों से मिले। वहां की मिट्टी और ज़मीन के बारे में जाना-समझा। उन्हें जैविक खेती का महत्व समझाया और साथ ही, उन किसानों से भी मिले जो पहले से ही जैविक खेती कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “इस एक यात्रा ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। मैंने सीखा कि हमारी ज़रूरत सिर्फ जहर मुक्त जैविक खेती नहीं है बल्कि एक संतुलित खेती है। ऐसा उत्पादन जिसमें सभी तरह के पोषक तत्व हों। हम जैविक खेती भी करते हैं तब भी हमें ध्यान देना चाहिए कि हमारी मिट्टी में हर एक पोषक तत्व हो।”

यह भी पढ़े...

भवर सिंह कहते हैं कि किसी भी किसान को सबसे पहले मिट्टी की जाँच करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि अभियान के बाद उन्होंने अपने फेसबुक के माध्यम से देश भर के किसानों को उनके फार्म पर संतुलित खेती की ट्रेनिंग के लिए आमंत्रित किया। दो दिन की इस ट्रेनिंग के लिए उनके यहाँ लगभग 1200 किसान आए।

वह कहते हैं कि उनकी फसल उगाने की सभी विधि संतुलित है और वह कोई भी रसायन का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इससे उन्हें उत्पादन तो अच्छा मिल ही रहा है, साथ ही, ग्राहक खुद उनके यहाँ से आकर सब्ज़ियाँ ले जाते हैं। जी हाँ, वह अपनी उपज सीधा ग्राहकों तक पहुंचाते हैं न कि किसी मंडी में। लोग उनके फार्म पर अपने बच्चों के साथ आते हैं ताकि बच्चे देख सकें कि सब्ज़ियाँ कैसे उगती हैं और यहीं से फल और सब्जियां लेकर जाते हैं।

आगे की योजना: भंवर सिंह का सपना है कि हमारे देश में जैविक उत्पाद सिर्फ एक तबके तक ही सीमित न रहें, बल्कि हर एक आम नागरिक तक ये पहुंचे। वह चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा किसान संतुलित खेती करें ताकि उत्पादन ज्यादा हो और फिर जैविक के लिए अलग से मूल्य रखने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी। अगर मूल्य सामान्य होगा तो आम से आम नागरिक भी इसे खरीद पाएगा।

भंवर सिंह जैविक को हर एक गली-मोहल्ले तक पहुँचाना चाहते है। यह तभी संभव है जब किसान भी जागरूक हों और ग्राहक भी। भंवर सिंह  अपनी तरफ से यही कर सकते है कि अगर किसी किसान भाई को हमारी ज़रूरत है तो हम उनकी यथा संभव मदद करने के लिए तैयार हैं। 

 

 

यदि आप भंवर सिंह पीलीबंगा से संपर्क करना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें 

 

 

यह भी पढ़े...

Share

Comment

Loading comments...

Also Read

देसी ताकत का खजाना: सत्तू
देसी ताकत का खजाना: सत्तू

गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह,

01/01/1970

Related Posts

Short Details About