एक समय था जब इस गाँव में न तो पानी था, न अच्छी सड़कें, न ही रोजगार। लोग अपना पेट पालने के लिए गाँव छोड़कर शहरों की ओर भाग रहे थे। लेकिन आज, यही हिवरे बाजार गाँव पूरे देश में एक मिसाल बन चुका है। यह गाँव न सिर्फ महाराष्ट्र का, बल्कि पूरे भारत का सबसे अमीर गाँव कहलाता है। यहाँ के किसान करोड़पति हैं, हर घर में खुशहाली है और गाँव की गिनती अब देश के आदर्श गाँवों में होती है।

गाँव की हालत पहले कैसी थी?
सन 1990 से पहले हिवरे बाजार एक सूखा, गरीब और पिछड़ा गाँव था। बारिश बहुत कम होती थी, कुएं सूखे पड़े रहते थे और ज़मीन पर खेती करना लगभग नामुमकिन था। अधिकतर लोग मजदूरी करने शहर चले जाते थे। गाँव में नशाखोरी और बेरोज़गारी भी बड़ी समस्याएं थीं।
परिवर्तन की शुरुआत – पॉपटराव पवार का सपना
इस गाँव की किस्मत तब बदली जब पॉपटराव पवार गाँव के सरपंच बने। वे पढ़े-लिखे थे और गाँव को बदलने का सपना लेकर आए थे। उन्होंने सबसे पहले गाँव के लोगों को साथ में जोड़ा और कहा – “अगर हम मिलकर मेहनत करें, तो हमारा गाँव फिर से हरा-भरा और खुशहाल बन सकता है।”
पानी बचाने की मुहिम
हिवरे बाजार में सबसे बड़ा बदलाव आया जल संरक्षण से। गाँव वालों ने मिलकर तालाब, चेक डैम और पानी रोकने की दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल किया। जब गाँव में पानी जमा होने लगा, तो सूखी ज़मीन पर फिर से फसलें लहलहाने लगीं।
खेती से कमाई और समृद्धि
पानी आने के बाद गाँव में खेती दोबारा शुरू हुई। लोगों ने पारंपरिक खेती छोड़कर सब्ज़ियां, फल और दूध उत्पादन जैसे काम शुरू किए। अब हर घर में गाय-भैंसें हैं, दूध और दूध से बनी चीजों की बिक्री से लाखों रुपये कमाए जा रहे हैं। कुछ किसान तो साल में 10 से 12 लाख रुपये तक कमा रहे हैं।

गाँव की खास बातें
- 70 से ज्यादा करोड़पति किसान: मेहनत और नई तकनीक से किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ी।
- 100% शिक्षा: गाँव में हर बच्चा स्कूल जाता है। कई बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर और अफसर बने हैं।
- नशा पूरी तरह बंद: गाँव में शराब और तंबाकू पर पूरी तरह रोक है।
- स्वच्छता और स्वास्थ्य: हर घर में टॉयलेट है और लोग साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखते हैं।
- कोई पलायन नहीं: पहले लोग गाँव छोड़ते थे, अब लोग बाहर से यहाँ बसने आ रहे हैं।
सरकारी योजनाओं का सही इस्तेमाल
हिवरे बाजार ने मनरेगा, जलस्वराज योजना और सड़क योजनाओं का सही और ईमानदारी से इस्तेमाल किया। सरपंच और गाँववाले खुद योजनाओं में शामिल रहे, जिससे किसी भी तरह की भ्रष्टाचार की गुंजाइश नहीं रही।
आज का हिवरे बाजार – एक आदर्श गाँव
आज हिवरे बाजार गाँव देशभर के लिए एक आदर्श मॉडल बन गया है। यहाँ से सीखने के लिए अधिकारी, छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता आते हैं। इस गाँव ने दिखा दिया कि अगर लोग एकजुट होकर काम करें और ईमानदारी से योजनाएं लागू करें, तो कोई भी गाँव बदल सकता है।
निष्कर्ष
हिवरे बाजार की कहानी हमें सिखाती है कि बदलाव कहीं बाहर से नहीं आता – वह गाँव के अंदर से शुरू होता है। पानी की बचत, ईमानदार नेतृत्व और लोगों की मेहनत ने इस गाँव को भारत का सबसे अमीर गाँव बना दिया। यह गाँव आज कहता है – “अगर हम बदल सकते हैं, तो कोई भी बदल सकता है।”
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