एक अनोखी जगह जहाँ बिकती है धूल से लेकर फूल तक हर चीज़ - नीमच मंडी


भारत देश में हज़ारों मंडियाँ हैं जहाँ अनाज, सब्ज़ियाँ, फल या फूल बिकते हैं। लेकिन मध्यप्रदेश की नीमच मंडी कुछ अलग ही किस्म की मंडी है। यह सिर्फ़ अनाज या फल-सब्ज़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि यहाँ पर ऐसी चीज़ें बिकती हैं जिनके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होगा – जैसे नीम के पत्ते, सूखी भिंडी, बाबूल के बीज, सर्पगंधा की जड़, धतूरा, सूखे फूल, नींबू का छिलका, और यहां तक की सूखे हुआ छिलके।
नीमच मंडी को 'हर्बल मंडी' भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ बड़ी संख्या में औषधीय, पारंपरिक और प्राकृतिक उत्पाद खरीदे-बेचे जाते हैं। ये मंडी किसानों के लिए वरदान की तरह है, जो अपने खेतों, जंगलों और आस-पास से मिलने वाले पौधों, पत्तियों, छिलकों और जड़ों को बेचकर अच्छी आमदनी कमाते हैं।

नीम के पत्तों से लेकर गुलाब की पत्तियों तक
नीमच मंडी में सबसे अधिक बिकने वाली वस्तुओं में नीम के पत्ते शामिल हैं। जिन पत्तियों को आमतौर पर लोग कचरा समझ कर फेंक देते हैं, वे यहाँ ₹22 प्रति किलो की दर से बिकते हैं। नीम के पत्तों का उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों, साबुन, स्किन प्रोडक्ट्स और पेस्ट में होता है, इसलिए इनकी भारी मांग है।
इसी तरह, सूखी गुलाब की पत्तियाँ भी यहाँ बिकती हैं, और इनका रेट चौंका देने वाला है – ₹270 प्रति किलो! ये पत्तियाँ इत्र, हर्बल चाय, गुलकंद और सौंदर्य उत्पादों में काम आती हैं।
जंगल की देन – सर्पगंधा, बल पत्र और धतूरा
नीमच मंडी की एक और खासियत है यहाँ मिलने वाली जड़ी-बूटियाँ और जंगल से लाए गए औषधीय पौधे। सर्पगंधा की जड़, जिसे उच्च रक्तचाप और मानसिक तनाव के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है, यहाँ अच्छे दामों में बिकती है। बल पत्र (बिल्व पत्र) के पत्ते, जो धार्मिक कार्यों में उपयोग होते हैं, यहाँ सुखा कर बेचे जाते हैं।
धतूरा – जो एक जहरीला लेकिन आयुर्वेदिक रूप से महत्वपूर्ण पौधा है – यहाँ बड़ी मात्रा में बिकता है। इससे औषधियाँ बनती हैं, लेकिन इसका उपयोग केवल विशेषज्ञों द्वारा किया जाना चाहिए।
नदरमोढ़ा नदी और अनोखी खुदाई
नीमच के आसपास बहने वाली नदरमोढ़ा नदी से लोग विशेष प्रकार की मिट्टी और जड़ी-बूटियाँ निकाल कर लाते हैं। यहाँ से खुदाई कर निकाले गए नींबू के छिलके भी बेचे जाते हैं। लोग पहले नींबू का रस निकालते हैं, फिर उसके छिलकों को सुखा कर मंडी में बेचते हैं। इनका उपयोग पाउडर, हर्बल दवाइयों और गंध उत्पादों में किया जाता है।
सूखी भिंडी, लहसुन की कलियाँ और अनार का छिलका
नीमच मंडी की सबसे अनोखी चीजों में से एक है – सूखी भिंडी। जी हाँ, वो ही भिंडी जो हम सब्ज़ी में खाते हैं, उसे सुखा कर यहाँ बेचा जाता है और इसका उपयोग विशेष तरह के हर्बल पाउडर और दवाइयों में किया जाता है। साथ ही, लहसुन की सुखी कलियाँ भी यहाँ अच्छी कीमतों में बिकती हैं। ये कलियाँ बीज उत्पादन के लिए और दवा उद्योगों में प्रयोग होती हैं।
नीमच मंडी में अनार के छिलके भी बिकते हैं। इन्हें सुखा कर हर्बल औषधियों, पेट की बीमारियों की दवाओं और हर्बल पाउडर बनाने में काम लिया जाता है। मंदसौर के आसपास इनकी खास मांग है और यहाँ के व्यापारी इन छिलकों को अच्छी कीमत में खरीदते हैं।

बाबूल के बीज और घास तक बिकती है
नीमच मंडी में बाबूल के बीज भी बड़े पैमाने पर बिकते हैं। इन बीजों से दवाइयाँ, पौधे और गोंद उत्पाद बनाए जाते हैं। इसके अलावा कई प्रकार की जड़ी-बूटी वाली घास, जो जंगलों और खेतों के आसपास मिलती है, वह भी यहाँ बिकती है। गायों और बकरियों के लिए उपयोगी ऐसी घासों की भी दवा उद्योगों में मांग है।
क्यों है नीमच मंडी इतनी खास?
1. कम लागत, ज्यादा मुनाफा: जिन चीज़ों को लोग बेकार समझते हैं, नीमच मंडी में वही कमाई का जरिया बन जाती हैं।
2. हर्बल बाजार की रीढ़: आयुर्वेद, यूनानी और हर्बल दवाइयों की बढ़ती मांग ने इस मंडी को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान दी है।
3. ग्रामीण रोजगार का केंद्र: गाँवों के लोग जंगल और खेतों से पत्तियाँ, छिलके, जड़ें इकट्ठा कर यहाँ बेचते हैं और अच्छी आमदनी कमाते हैं।
निष्कर्ष
नीमच मंडी सिर्फ एक व्यापारिक केंद्र नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत की सूझ-बूझ, परंपरा और नवाचार का प्रतीक है। यह मंडी हमें सिखाती है कि अगर नजरिया बदला जाए तो कचरे में भी खजाना मिल सकता है। यहाँ धूल से लेकर फूल, और पत्तों से लेकर जड़ों तक – हर चीज़ की कीमत है, बस उसे पहचानने की ज़रूरत है। अगर भारत की कृषि को मजबूत बनाना है, तो नीमच जैसी मंडियों को और अधिक सशक्त करना होगा। तभी सच्चे अर्थों में “जय जवान, जय किसान” का सपना साकार हो सकेगा। ऐसी जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello kisaan के साथ।
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