एग्रोफॉरेस्ट्री: पेड़ों के साथ खेती – कम खर्च, ज्यादा फायदा


आज के समय में खेती को टिकाऊ और फायदेमंद बनाना बहुत जरूरी हो गया है। मौसम में बदलाव, मिट्टी की ताकत घटती जा रही है और कीटनाशकों का ज्यादा इस्तेमाल खेतों को कमजोर कर रहा है। ऐसे में एग्रोफॉरेस्ट्री, यानी पेड़ों के साथ खेती, किसानों के लिए एक अच्छा और टिकाऊ तरीका बनकर उभर रही है।

क्या है एग्रोफॉरेस्ट्री?
जब हम अपने खेत में सिर्फ फसलें ही नहीं, बल्कि पेड़, झाड़ियाँ और कभी-कभी पशुपालन भी साथ में करते हैं, तो उसे एग्रोफॉरेस्ट्री कहते हैं। इसमें हम खेत के किनारे या बीच-बीच में ऐसे पेड़ लगाते हैं जो फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि उनकी मदद करते हैं।
मिट्टी की ताकत कैसे बढ़ती है?
1. पत्तों से खाद बनती है: पेड़ों की गिरी हुई पत्तियाँ धीरे-धीरे सड़कर खेत की मिट्टी में मिल जाती हैं, जिससे प्राकृतिक खाद बनती है और मिट्टी की ताकत बढ़ती है।
2. नाइट्रोजन देने वाले पेड़: कुछ पेड़ जैसे सुबाबुल, अरहर और शीशम मिट्टी में नाइट्रोजन मिलाते हैं, जो फसलों के लिए जरूरी पोषक तत्व है।
3. मिट्टी बहने से बचती है: जब खेत में पेड़ होते हैं, तो बारिश के पानी से मिट्टी बहती नहीं है। इससे मिट्टी की ऊपरी परत बनी रहती है जो सबसे उपजाऊ होती है।
जैव विविधता (Biodiversity) क्यों जरूरी है?
1. फायदेमंद कीड़े और पक्षी आते हैं: पेड़ों की वजह से मधुमक्खियाँ, तितलियाँ और पक्षी खेत में आते हैं, जो फसलों में परागण (pollination) का काम करते हैं और फसल की पैदावार बढ़ाते हैं।
2. कीटनाशकों की जरूरत घटती है: कई बार पेड़ों पर ऐसे पक्षी रहते हैं जो नुकसानदायक कीड़े खा जाते हैं। इससे दवाइयों पर खर्च कम होता है।
3. फसलों के साथ फल या लकड़ी भी मिलती है: पेड़ों से फल, लकड़ी और चारा मिलता है, जिससे किसान की आमदनी बढ़ती है।
कौन-कौन से पेड़ लगाए जा सकते हैं?
फल देने वाले पेड़: आम, अमरूद, सहजन (ड्रमस्टिक), कटहल
चारे के पेड़: सुबाबुल, सेसबेनिया
लकड़ी के पेड़: शीशम, नीम
मिट्टी सुधारने वाले पेड़: अरहर, ग्लिरिसीडिया

एग्रोफॉरेस्ट्री के कुछ मॉडल:
1. फसल + पेड़ (जैसे गेहूं के साथ नीम)
2. पेड़ + चारा + पशु (जैसे सुभबूल + नेपियर घास + गाय)
3. फसल + पेड़ + पशु – सबसे बेहतर तरीका
4. घर के पास बागवानी (होम गार्डन) – सब्जियाँ, पेड़, फूल और जड़ी-बूटियाँ
किसानों को क्या फायदे मिलते हैं?
- खेत की पैदावार बढ़ती है
- मिट्टी की सेहत सुधरती है
- खर्च कम होता है
- आय के नए रास्ते खुलते हैं
- खेत हर मौसम में काम का रहता है
- पर्यावरण को भी फायदा होता है
सरकारी सहायता
भारत सरकार ने एग्रोफॉरेस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं चलाई हैं। किसानों को मुफ्त पौधे, प्रशिक्षण और खेती से जुड़े तकनीकी सुझाव दिए जाते हैं। इसके लिए आप अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या वन विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
निष्कर्ष
पेड़ों के साथ खेती करना सिर्फ आमदनी बढ़ाने का तरीका नहीं है, यह एक लंबे समय तक टिकने वाली खेती की सोच है। इससे न केवल आपकी फसल सुरक्षित रहती है, बल्कि खेत की मिट्टी और पर्यावरण दोनों का ध्यान भी रखा जाता है।
पेड़ लगाइए, खेत बचाइए – एग्रोफॉरेस्ट्री अपनाइए
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