मक्का से एथेनॉल: आने वाला भविष्य का ईंधन

23 Jun 2025 | NA
मक्का से एथेनॉल: आने वाला भविष्य का ईंधन

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में जब भी खेती से जुड़ा कोई नया अवसर सामने आता है, तो वह सिर्फ एक तकनीकी बदलाव नहीं होता, बल्कि वह गांव, किसान और देश की अर्थव्यवस्था को गहराई से प्रभावित करता है। आज हम बात कर रहे हैं ऐसे ही एक बदलाव की – मक्का (कॉर्न) से बनने वाले एथेनॉल (Ethanol) की। 

भारत सरकार ने E20 नीति लागू की है – यानी 20% एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाने का लक्ष्य। वर्ष 2025 तक यह लक्ष्य हासिल करना है।

यह केवल ईंधन नहीं, बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ाने का एक मजबूत ज़रिया, और देश को आत्मनिर्भर बनाने का साधन बनता जा रहा है।

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मक्का से एथेनॉल कैसे बनता है?

मक्का में मौजूद स्टार्च को एक विशेष प्रक्रिया से शुगर में बदला जाता है, फिर उसे किण्वन (Fermentation) द्वारा एथेनॉल में परिवर्तित किया जाता है।

1. मक्का की सफाई: सबसे पहले मक्का को साफ करके पाउडर के रूप में बनाया जाता है।

2. लिक्विफिकेशन: मक्के के पाउडर को पानी में मिलाकर गर्म किया जाता है, जिससे स्टार्च घुल जाता है।

3. सैक्रिफिकेशन: एंजाइम की मदद से स्टार्च को शुगर में बदला जाता है।

4. किण्वन (Fermentation): इस शुगर को यीस्ट (yeast) की मदद से एथेनॉल में बदला जाता है।

5. डिस्टिलेशन: तैयार एथेनॉल को शुद्ध किया जाता है ताकि उपयोग के लायक बने।

6. भंडारण और वितरण: शुद्ध एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाने के लिए रिफाइनरी को भेजा जाता है।

 एथेनॉल के फायदे – पर्यावरण से लेकर अर्थव्यवस्था तक

1. क्लीन फ्यूल (स्वच्छ ईंधन): एथेनॉल पेट्रोल की तुलना में कम कार्बन उत्सर्जन करता है।

2. आयात पर निर्भरता कम: भारत हर साल अरबों डॉलर का पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है। एथेनॉल से यह खर्च घटेगा।

3. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: किसान एथेनॉल के लिए कच्चा माल (मक्का) बेच सकते हैं, जिससे आय बढ़ेगी।

4. जॉब क्रिएशन: एथेनॉल प्लांट्स, ट्रांसपोर्ट और प्रोसेसिंग यूनिट्स में लाखों रोजगार के अवसर बनेंगे।

5. बायप्रोडक्ट्स का उपयोग: मक्का से एथेनॉल निकालने के बाद जो फाइबर और प्रोटीन बचता है, वो जानवरों के चारे के रूप में काम आता है।

 किसानों को इससे क्या फायदा होगा?

1. मक्का की मांग बढ़ेगी: अभी तक मक्का केवल खाने और पशु चारे तक सीमित था, लेकिन अब ईंधन के रूप में इसका नया बाजार खुल गया है।

2. फसल का बेहतर दाम मिलेगा: एथेनॉल प्लांट्स मक्का सीधे किसानों से खरीद सकते हैं, जिससे बिचौलियों की भूमिका घटेगी।

3. फसल विविधता (Crop Diversification): अब किसान केवल गेहूं-धान के चक्कर में नहीं फँसेंगे। मक्का एक बेहतर विकल्प बन सकता है।

4. सुरक्षित आय स्रोत: एथेनॉल की स्थायी मांग बनी रहेगी, जिससे किसान को एक स्थायी बाजार मिलेगा।

5. सरकारी सब्सिडी और योजनाएं: सरकार एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी, लोन और तकनीकी सहायता दे रही है।

 किसानों की आमदनी कैसे बढ़ेगी?

प्रत्यक्ष बिक्री: एथेनॉल कंपनियां किसानों से सीधे कॉन्ट्रैक्ट पर मक्का खरीद सकती हैं। इससे MSP से ज्यादा दाम मिल सकता है।

उन्नत किस्में और तकनीक: मक्का की हाई यील्डिंग वैरायटीज़ के जरिए कम लागत में ज्यादा उत्पादन होगा।

फसल चक्र में संतुलन: मक्का गर्मी में और रबी में कोई अन्य फसल ले सकते हैं, जिससे साल भर आय बनी रहेगी।

कृषि-उद्योग जुड़ाव: गांवों के पास एथेनॉल प्लांट बनने से किसानों को नया बाजार, ट्रेनिंग और नौकरियाँ भी मिलेंगी।

प्रधानमंत्री एथेनॉल प्रोत्साहन योजना के तहत प्लांट लगाने वालों को सब्सिडी और बैंक लोन की सुविधा मिलती है।

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एथेनॉल उत्पादन के लिए ऑनलाइन पोर्टल

  • सरकार ने एक पोर्टल लॉन्च किया है जिस पर कोई भी उद्योगपति या किसान समूह:
  • मक्का आधारित एथेनॉल प्लांट के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकता है
  • मंजूरी, सब्सिडी और वित्तीय सहायता की जानकारी पा सकता है

 निष्कर्ष

मक्का से एथेनॉल उत्पादन एक क्रांतिकारी कदम है, जो पर्यावरण को स्वच्छ रखने, पेट्रोलियम पर निर्भरता घटाने और किसानों की आय बढ़ाने के तीनों मोर्चों पर असरदार साबित हो सकता है।

यह बदलाव सिर्फ सरकार या उद्योगों के स्तर पर नहीं है – इसमें किसान भाई सबसे बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। अब समय आ गया है कि किसान खेती को ऊर्जा से जोड़े, और मक्का जैसी फसलों से आर्थिक शक्ति अर्जित करें। यही भारत की ऊर्जा क्रांति का सच्चा आधार बनेगा।

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