कोल्ड स्टोरेज का महत्त्व


भारत की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर आधारित है। देश के करोड़ों किसान हर साल कड़ी मेहनत करके फल, सब्ज़ियाँ, दूध, मांस, मछली और फूल जैसे उत्पाद उगाते हैं। लेकिन दुख की बात है कि इनमें से बड़ी मात्रा बर्बाद हो जाती है – सिर्फ़ इसलिए कि इन्हें सही तापमान पर संरक्षित नहीं किया गया। ऐसे में कोल्ड स्टोरेज की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। यह तकनीक उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने, बर्बादी रोकने और किसानों को बेहतर कीमत दिलाने में मददगार है।

कोल्ड स्टोरेज क्या होता है?
कोल्ड स्टोरेज एक ऐसा सिस्टम होता है जहाँ फलों, सब्ज़ियों, दूध, मांस, मछली और अन्य संवेदनशील उत्पादों को कम तापमान पर संरक्षित किया जाता है। तापमान को नियंत्रित कर इन उत्पादों की ताजगी, स्वाद, रंग और पोषण लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है।
किसानों के लिए क्यों ज़रूरी है कोल्ड स्टोरेज?
1. फसल की बर्बादी से बचाव:
फल और सब्ज़ियाँ जल्दी खराब हो जाते हैं, लेकिन कोल्ड स्टोरेज उन्हें 7 दिन से लेकर कई महीनों तक सुरक्षित रख सकता है।
2. मंडी में सही दाम मिलना:
किसान तुरंत बिक्री के दबाव में नहीं आता। वो उपज को स्टोर करके बाजार के अच्छे दाम का इंतज़ार कर सकता है।
3. उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहती है:
तापमान और नमी नियंत्रित होने से फसल की रंगत, स्वाद और पोषक तत्व जस के तस रहते हैं।
4. निर्यात में सहायक:
लंबे समय तक उत्पाद सुरक्षित रहने से उसे विदेशी बाजारों में भेजा जा सकता है, जिससे किसान को अंतरराष्ट्रीय दाम मिलते हैं।
5. मूल्य स्थिरता:
फसल एक साथ बाज़ार में आने से दाम गिरते हैं। शीतल भंडारण से आपूर्ति संतुलित रहती है, जिससे मंडी में स्थिरता बनी रहती है।

किन-किन उत्पादों के लिए है कोल्ड स्टोरेज फायदेमंद?
आम, सेब, अंगूर, केला, अनार
टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी, मटर
आलू और प्याज़
दूध, दही, घी, मक्खन
मछली, अंडा, मांस
फूल बीज और अनाज
इन उत्पादों को -2°C से 15°C तापमान के बीच रखा जाता है, जिससे इनकी उम्र बढ़ जाती है।
भारत में कोल्ड स्टोरेज की स्थिति
भारत में लगभग 8,200 से अधिक कोल्ड स्टोरेज यूनिट्स हैं। इनमें से अधिकतर केवल आलू जैसी फसलों के लिए बने हैं। फल और हरी सब्ज़ियों के लिए अभी भी बहुत कम शीतल भंडारण केंद्र उपलब्ध हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कोल्ड स्टोरेज की संख्या और पहुँच सीमित है, जिससे किसानों को कठिनाई होती है।
सरकारी योजनाएँ और प्रोत्साहन
सरकार ने कोल्ड स्टोरेज को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं:
- प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY)
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)
- कोल्ड चेन इंटीग्रेशन स्कीम
- माइक्रो और मिनी कोल्ड स्टोरेज के लिए सब्सिडी
इन योजनाओं के अंतर्गत किसानों, एफपीओ, स्टार्टअप्स और निजी कंपनियों को 50% तक सब्सिडी मिलती है।

नई तकनीकें और इनोवेशन
1. सोलर पावर्ड कोल्ड स्टोरेज – बिजली की कमी वाले क्षेत्रों में सौर ऊर्जा से संचालित शीतल भंडारण यूनिट्स
2. मोबाइल कोल्ड स्टोरेज – ट्रक पर आधारित यूनिट जो खेत से ही उत्पादों को ठंडा कर सकती है
3. ब्लॉकचेन आधारित ट्रेसबिलिटी – उत्पाद कहाँ से आया, कैसे रखा गया – सब डिजिटल रिकॉर्ड
चुनौतियाँ
- कोल्ड स्टोरेज यूनिट बनाने में उच्च प्रारंभिक लागत
- ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कमी
- तकनीकी जानकारी का अभाव
- संचालन और रख-रखाव की लागत अधिक
- इन समस्याओं को दूर करने के लिए जागरूकता, प्रशिक्षण और कम लागत वाले विकल्पों की ज़रूरत है।
भविष्य की संभावनाएँ
- कोल्ड स्टोरेज के क्षेत्र में भारत में अपार संभावनाएँ हैं:
- छोटे किसानों के लिए ग्रामीण स्तर पर मिनी कोल्ड स्टोरेज
- कृषि स्टार्टअप्स और FPOs के ज़रिए साझा भंडारण मॉडल
- डिजिटल निगरानी और स्मार्ट कंट्रोल सिस्टम
- फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स से लिंक किया गया कोल्ड चेन नेटवर्क
निष्कर्ष
कोल्ड स्टोरेज केवल एक तकनीक नहीं, बल्कि किसानों के लिए जीवन बदलने वाला समाधान है। यह उपज की बर्बादी को रोकता है, गुणवत्ता बनाए रखता है, बेहतर दाम दिलाता है और कृषि उत्पादों को वैश्विक बाज़ार से जोड़ता है। सरकार, किसान और निजी क्षेत्र मिलकर अगर इस दिशा में आगे बढ़ें, तो भारत कृषि के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकता है। ऐसी जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और आपको ये जानकारी कैसे लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताइये ।।जय हिंदी जय भारत ।।
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