माइक्रोग्रीन मसाला खेती किसानों के लिए नई राह

11 Nov 2025 | NA
माइक्रोग्रीन मसाला खेती किसानों के लिए नई राह

भारत में खेती हमेशा बदलती रही है। पहले खेतों में सिर्फ गेहूं, चना या धान बोया जाता था, लेकिन अब वक्त बदल चुका है। आज किसान नई सोच और नई तकनीक के साथ ऐसे पौधे उगा रहे हैं जो सेहत, स्वाद और कमाई – तीनों का संगम हैं। इन्हीं में से एक है माइक्रोग्रीन मसाला खेती, जो आज के समय में सबसे आधुनिक और फायदेमंद खेती मानी जा रही है।

How to start microgreen spice farming

 माइक्रोग्रीन मसाला आखिर है क्या?

माइक्रोग्रीन यानी पौधे का वो नन्हा रूप जो बीज बोने के 7 से 10 दिन बाद ही कटाई के लायक हो जाता है। यानी जब पौधा पूरी तरह बड़ा नहीं होता, तब ही उसमें पोषण और स्वाद अपने चरम पर होते हैं। इन्हीं छोटे पौधों को सुखाकर या पीसकर जो पाउडर मसाला बनाया जाता है, उसे कहते हैं माइक्रोग्रीन मसाला। इसमें सामान्य पौधों के मुकाबले 4 से 40 गुना ज्यादा विटामिन और मिनरल पाए जाते हैं। इसी वजह से यह मसाला आज रेस्टोरेंट, हेल्थ स्टोर और एक्सपोर्ट मार्केट तक में छा रहा है।

मुख्य पौधे जिनसे माइक्रोग्रीन मसाले बनते हैं: धनिया, मेथी, सरसों, तुलसी, अजवाइन, अदरक और हल्दी के अंकुर ये सभी पौधे हमारे रसोईघर में इस्तेमाल भी होते हैं और सेहत के लिहाज से भी बेहद फायदेमंद हैं।

कैसे करें खेती की शुरुआत

इस खेती की खासियत यह है कि आपको खेत की ज़रूरत नहीं होती। छोटे ट्रे, बाल्टी, गमले या छत पर भी माइक्रोग्रीन आसानी से उगाए जा सकते हैं। ज़रूरी चीज़ें: बीज (धनिया, मेथी, सरसों आदि), कोकोपीट या वर्मी कम्पोस्ट, ट्रे या गमले, स्प्रे बोतल, हल्की धूप या शेड नेट

उगाने की विधि: 1. ट्रे में कोकोपीट या मिट्टी की 1–2 इंच परत बिछाएं। 2. बीजों को समान रूप से बिखेरें और ऊपर से हल्की परत डाल दें। 3. हल्का पानी छिड़कें और ट्रे को छायादार जगह रखें। 4. 7–10 दिन में छोटे-छोटे पौधे तैयार हो जाएंगे। बस यही आपका माइक्रोग्रीन तैयार है — अब इन्हें काटकर मसाला बनाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

मौसम और देखभाल

तापमान: 18°C से 28°C के बीच सबसे अच्छा, नमी: लगभग 60–70% तक रखें, धूप: सीधी धूप नहीं, बस हल्की अप्रत्यक्ष रोशनी बहुत गर्मी में इन्हें कमरे के अंदर LED Grow Light के नीचे भी उगाया जा सकता है।

मसाला बनाने का तरीका

1. जब पौधे 2–3 इंच के हो जाएं, तो जड़ से ऊपर कैंची से काट लें। 2. इन्हें साफ पानी से धो लें और कपड़े पर फैला दें। 3. शेड में या मशीन से लगभग 40–50°C तापमान पर सुखाएं। 4. सूखने के बाद इन्हें ग्राइंडर में पीस लें। 5. तैयार मसाला पाउडर को एयरटाइट जार में भरकर बेच सकते हैं।

इस मसाले की खासियतें

1. सेहतमंद: विटामिन A, C, E, K और खनिजों से भरपूर। 2. स्वादिष्ट: इसका स्वाद और खुशबू सामान्य मसालों से ज़्यादा गहरी होती है। 3. पूरी तरह ऑर्गेनिक: किसी भी रासायनिक खाद या दवा की जरूरत नहीं। 4. शहरों में भी खेती संभव: बालकनी या छत पर भी उगाई जा सकती है। 5. कम पानी में तैयार: सिर्फ 10–12 दिन में तैयार और बहुत कम पानी में।

कमाई का अंदाज़ा

मान लीजिए किसान ने 100 ट्रे से शुरुआत की — हर ट्रे से 300–400 ग्राम ताज़ा माइक्रोग्रीन मिलता है। सूखने के बाद लगभग 40–50 ग्राम मसाला पाउडर बनता है। बाजार में इसका दाम ₹1500 से ₹2500 प्रति किलो तक होता है। इस हिसाब से हर 10–12 दिन में करीब ₹8,000 से ₹12,000 की आमदनी आराम से हो सकती है। अगर महीने में तीन बार उत्पादन किया जाए तो एक महीने में ₹25,000–₹30,000 की कमाई संभव है।

Microgreen business for small farmers

पैकेजिंग और बिक्री के तरीके

माइक्रोग्रीन मसाला को किसान खुद भी पैक करके बेच सकते हैं। अच्छी पैकेजिंग और नाम से इसका दाम और भरोसा दोनों बढ़ते हैं। छोटे ग्लास जार या इको-फ्रेंडली पैकेट में पैकिंग करें। नाम रखें जैसे — “Green Aroma Masala”, “FreshSprout Spice” या “Organic Leaf Mix”। सोशल मीडिया, स्थानीय मार्केट और हेल्थ स्टोर्स में प्रमोशन करें। होटल, कैफे, फिटनेस सेंटर और सुपरमार्केट से सीधा संपर्क बनाएं।

 खर्च और सावधानियाँ : शुरुआती खर्च: ट्रे और मिट्टी सामग्री – ₹10,000 बीज और उपकरण – ₹5,000 कमरे या शेड की तैयारी – ₹5,000 कुल मिलाकर लगभग ₹20,000 में शुरू की जा सकती है।

सावधानियाँ: पानी ज़्यादा न दें, वरना फफूंदी लग सकती है। बहुत गर्म मौसम में पौधों को ठंडी जगह पर रखें। शुरुआत में कम ट्रे से शुरू करें और धीरे-धीरे बढ़ाएं।

भविष्य की संभावनाएँ

आजकल लोग केमिकल वाले मसालों से दूर रहना चाहते हैं। हर कोई ऐसा विकल्प ढूंढ रहा है जो स्वादिष्ट भी हो और सेहतमंद भी। यहीं से माइक्रोग्रीन मसाले की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। यह खेती आने वाले समय में “स्मार्ट फार्मिंग मॉडल” साबित हो सकती है, जहाँ महिलाएँ, युवा और शहरी किसान भी छोटे स्तर पर बड़ा काम कर सकते हैं।

निष्कर्ष

माइक्रोग्रीन मसाला खेती छोटी सोच नहीं, बल्कि बड़ी संभावना है। यह खेती किसान को कम ज़मीन, कम पानी और कम मेहनत में ज़्यादा फायदा देती है। सिर्फ कुछ ट्रे और थोड़ी समझ से आप ऐसा उत्पाद बना सकते हैं जो न केवल आपकी आमदनी बढ़ाए, बल्कि लोगों के भोजन में सेहत भी जोड़ दे। अगर आप खेती में कुछ नया और टिकाऊ करना चाहते हैं, तो माइक्रोग्रीन मसाला खेती आपके लिए सही शुरुआत हो सकती है जहाँ हर ट्रे में है खुशबू, स्वाद और मुनाफे की पूरी कहानी। ऐसी अमेजिंग जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kissan के साथ और आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताइये ।। जय हिन्द जय भारत ।।

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