चीन में चावल की खेती: कम ज़मीन, ज़्यादा उपज का कमाल


चावल यानी हमारे और आपके खाने की थाली का सबसे ज़रूरी हिस्सा। भारत में इसे "धान" कहते हैं, तो चीन में इसे कहते हैं "मी" (Mi)。दुनिया में सबसे ज़्यादा चावल चीन में उगाया और खाया जाता है। लेकिन खास बात ये है कि चीन के किसान आज भी खेती करते हैं, पर अंदाज़ उनका पूरी तरह बदल चुका है। चीन में चावल की खेती 10000 साल से भी ज़्यादा समय से की जा रही है
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि चीन में चावल की खेती कैसे होती है, और उसमें क्या-क्या खास बातें हैं जो भारत के किसान भी अपना सकते हैं।

1. पहले समझें: चावल की खेती होती कैसे है?
बीज बोने के बाद पहले नर्सरी में छोटे-छोटे पौधे उगाए जाते हैं।
फिर उन्हें खेत में रोपाई करके लगाया जाता है।
इसके बाद जरूरत होती है पानी, खाद, कीटनाशक और समय की सही देखभाल की।
करीब 100 से 130 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है।
अब आइए देखें, चीन ये सब कैसे करता है – और उससे भी आगे क्या करता है।
2. चीन का जादू – सुपर हाइब्रिड बीज
चीन में वैज्ञानिकों ने ऐसे चावल के बीज बनाए हैं जो
तेज़ी से बढ़ते हैं
कम पानी में भी चल जाते हैं
और बहुत ज़्यादा उत्पादन देते हैं।
इन बीजों को कहते हैं Super Hybrid Rice।
भारत में एक एकड़ में 20-25 क्विंटल उपज होती है, पर चीन में वही जमीन 40-50 क्विंटल तक दे देती है।
3. मशीन से रोपाई, मशीन से कटाई
चीन के किसान खेत में खुद नहीं झुकते – छोटी मशीनों से नर्सरी में रोपाई होती है मशीन से खेतों में पौधे लगाए जाते हैंड्रोन से खाद और दवा छिड़की जाती है और कटाई भी कंबाइन मशीनों से होती है। इससे मेहनत कम लगती है, और फसल समय पर, नुकसान के बिना तैयार होती है।

4. पानी का सही इस्तेमाल – हर समय नहीं डुबोते खेत
भारत में कई किसान सोचते हैं कि धान मतलब खेत में पानी लबालब पर चीन ने साबित कर दिया कि ज्यादा पानी नुकसान करता है। वो अपनाते हैं AWD तकनीक – इसमें खेत को कभी-कभी सूखने दिया जाता है, ताकि जड़ें मजबूत हों और फसल ज्यादा दे।
5. एक खेत, दो फसल: चावल + मछली
ये तो कमाल है –
चीन के कई किसान धान के खेत में मछली पालन भी करते हैं।
मछलियां खेत में कीड़े खा जाती हैं, जिससे दवाई की जरूरत नहीं पड़ती।
और ऊपर से मछली भी बिकती है यानी एक खेत से दो कमाई।

6. सरकार और साइंस दोनों साथ
चीन में किसान अकेला नहीं है –
सरकार बीज, खाद, ट्रेनिंग, मशीनें और बाजार सब में मदद करती है।
गांवों में फार्म साइंटिस्ट होते हैं जो किसान को बताते हैं – किस मिट्टी में कौन सा बीज, कितना पानी और कब दवाई देनी है।
7. खेती नहीं, बिजनेस है
चीन में खेती को ‘जीविका’ नहीं, ‘प्रोफेशन’ यानी व्यवसाय माना जाता है।
किसान मोबाइल ऐप से अपने खेत का हाल देखते हैं, ड्रोन से खेत उड़ते हैं और डिजिटल मार्केट से अपनी फसल बेचते हैं।
भारत क्या सीख सकता है?
- कम लागत, ज्यादा उपज – यही फॉर्मूला हमें अपनाना चाहिए।
- मशीनों का इस्तेमाल, समय की पक्की योजना, और सही बीज का चुनाव जरूरी है।
- सरकार अगर चीन जैसी मदद करे और किसान थोड़ा नई सोच लाए – तो भारत भी चावल उत्पादन में चीन से आगे निकल सकता है।
निष्कर्ष
चीन की चावल खेती मेहनत की नहीं, समझदारी की खेती है।
वहां किसान खेत में पसीना बहाता है, लेकिन साथ में दिमाग भी लगाता है।
भारत के किसान अगर मेहनत के साथ टेक्नोलॉजी और जानकारी जोड़ लें – तो हमारी भी किस्मत और खेत दोनों हरे भरे हो सकते हैं।
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