अमूल ब्रांड क्या है और इसने किसानों का कैसे भला किया?


आज अमूल न सिर्फ एक ब्रांड है, बल्कि वह भावना है जो हर भारतीय को गौरव से भर देती है। जब हम अमूल का दूध पीते हैं या मक्खन की स्लाइस रोटी पर लगाते हैं, तो उसके पीछे सिर्फ एक प्रोडक्ट नहीं, बल्कि किसी किसान की सुबह की मेहनत, एक महिला की आत्मनिर्भरता और एक गाँव की आशा होती है। यही कारण है कि अमूल को ‘भारत का स्वाद’ कहा गया है - “The Taste of India”। इसकी शुरुआत एक छोटे से गाँव से हुई थी, लेकिन आज यह पूरे देश का भरोसेमंद नाम बन चुका है। इसने न केवल दूध और दुग्ध उत्पादों को हर घर तक पहुँचाया, बल्कि किसानों को भी एक नई पहचान दी।
सन् 1946 में गुजरात के आनंद ज़िले में जब दूध व्यापारी किसानों से सस्ते दामों में दूध खरीदकर भारी मुनाफा कमा रहे थे, तब किसानों को उनका हक दिलाने की ज़िम्मेदारी उठाई डॉ. वर्गीज़ कुरियन, जिन्हें भारत का श्वेत क्रांति जनक (Father of White Revolution) भी कहा जाता है। उन्होंने किसानों को समझाया कि अगर वे बिचौलियों पर निर्भर रहने की बजाय खुद एक सहकारी संस्था बनाएं, तो उन्हें अपने दूध की सही कीमत मिल सकती है। इसी सोच के साथ "अमूल" नाम की संस्था की नींव रखी गई। अमूल का मतलब है - ‘Anand Milk Union Limited’। यह नाम इतना गहरा और भावनात्मक था कि धीरे-धीरे पूरे देश में यह एक आंदोलन बन गया।

अमूल की पहुँच
- भारत की सबसे बड़ी डेयरी ब्रांड, और दुनिया की भी प्रमुख डेयरी कंपनियों में एक।
- 13 राज्य में अमूल का नेटवर्क है, और 3.6 करोड़ लीटर से ज्यादा दूध हर दिन प्रोसेस होता है।
- करीब 36 लाख किसान अमूल से जुड़े हैं।
- अमूल की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि इसने किसानों को सीधे बाजार से जोड़ा। किसान अपने गाँव के दूध संग्रह केंद्र पर सुबह-शाम दूध जमा करते हैं, जहां उसकी गुणवत्ता और फैट के हिसाब से तुरंत कंप्यूटराइज्ड भुगतान तय होता है। यह पैसा सीधे किसान के बैंक खाते में जाता है, जिससे भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं रहती। आज देशभर में लाखों किसान अमूल के साथ जुड़े हुए हैं और हर दिन लाखों लीटर दूध इस नेटवर्क में आता है।
तकनीक और क्वालिटी
अमूल ने डेयरी सेक्टर में तकनीक का शानदार उपयोग किया है।
- ऑटोमैटिक मिल्क टेस्टिंग मशीनें
- डिजिटल पेमेंट
- GPS सिस्टम से दूध टैंकर की निगरानी
- कोल्ड चैन सिस्टम का बड़ा योगदान - अमूल का सशक्त कोल्ड चेन नेटवर्क। दूध जल्दी खराब हो सकता है। लेकिन अमूल ने अपने नेटवर्क को इस तरह मजबूत किया है कि गांव से शहर तक दूध को सही तापमान में रखा जाता है।
- दूध जल्दी-से-जल्दी प्रोसेसिंग यूनिट में पहुंचता है
- शुद्धता और फ्रेशनेस बनी रहती है
- इस कारण उपभोक्ताओं को भी भरोसा रहता है कि अमूल का दूध बेहतर है
अमूल ने किसानों को केवल दूध बेचने का साधन नहीं दिया, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया। गाँवों में महिलाएं सुबह-शाम दूध संग्रह केंद्र तक पहुँचाती हैं और इस आमदनी से अपने परिवार का आर्थिक बोझ उठाती हैं। बहुत सी महिलाएं तो आज अमूल की समितियों में नेतृत्व की भूमिका निभा रही हैं।
एक समय था जब भारत को दूध के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अमूल और डॉ. कुरियन की वजह से देश में ‘श्वेत क्रांति’ आई और भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया। अमूल ने साबित कर दिया कि अगर किसानों को संगठित किया जाए, उन्हें सीधा बाजार से जोड़ा जाए और उनका मेहनताना समय पर दिया जाए, तो वे किसी भी मल्टीनेशनल कंपनी से कम नहीं हैं।
जब भी हम बाजार की तरफ नजर डालते हैं, तो देखते हैं कि हर सब्जी, जयादातर हर फसल के रेट में कभी न कभी भारी गिरावट आ ही जाती है। प्याज हो या टमाटर , कई बार ऐसा होता है कि किसान भाइयों को 2 रुपये किलो के रेट पर भी मजबूरी में बेचना पड़ता है। लागत निकालना तो दूर की बात, नुकसान झेलना तक आम बात हो जाती है। लेकिन क्या आपने गौर किया है कि दूध के दाम में कभी इतनी बड़ी गिरावट नहीं आती? हां, कुछ छोटे उतार-चढ़ाव होते हैं, लेकिन प्याज या टमाटर की तरह 70 रुपये से सीधा 2 रुपये तक कभी नहीं गिरता। इसका कारण क्या है?
इसका एक बड़ा कारण है – अमूल जैसी सहकारी संस्थाएं, जिन्होंने सिर्फ दूध बेचने का काम नहीं किया, बल्कि किसानों और उपभोक्ताओं के बीच एक भरोसे की चेन तैयार की है।

इसके साथ ही अमूल ने किसानों को तकनीकी ज्ञान भी दिया। उन्हें ट्रेनिंग दी गई कि गाय-भैंसों की देखभाल कैसे करें, क्या खिलाएं जिससे दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों बढ़ें। उन्होंने वैक्सीनेशन, चारे की गुणवत्ता, साफ-सफाई और पशुपालन के आधुनिक तरीकों की जानकारी दी, जिससे किसानों की आमदनी भी बढ़ी और पशुओं का स्वास्थ्य भी बेहतर हुआ।
अमूल की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि बदलाव सिर्फ सरकार से नहीं आते, वह जब आता है जब लोग खुद खड़े होते हैं, एक-दूसरे का साथ देते हैं और अपने अधिकारों के लिए आगे बढ़ते हैं। अमूल ने ये कर दिखाया और लाखों किसानों की ज़िंदगी में उजाला भर दिया।
आज अगर भारत दुनिया में दूध उत्पादन में नंबर 1 देश है, तो इसका बड़ा श्रेय अमूल जैसे सहकारी संस्थाओं को जाता है। अमूल ने साबित कर दिया कि अगर किसानों को सही समर्थन, मूल्य और सम्मान मिले, तो वे हर क्षेत्र में चमत्कार कर सकते हैं ऐसी ही जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥
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