चावल से एथेनॉल उत्पादन


भारत में किसान सालों से चावल की खेती करते आ रहे हैं। चावल हमारे देश की सबसे जरूरी फसलों में से एक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब चावल से सिर्फ खाना ही नहीं, ईंधन (फ्यूल) भी बन रहा है? और यही ईंधन किसानों के लिए कमाई का नया जरिया बन सकता है।
इस लेख में हम जानेंगे कि चावल से एथेनॉल कैसे बनता है, इसके क्या फायदे हैं, सरकार क्या मदद दे रही है और किसान इससे कैसे जुड़ सकते हैं।

एथेनॉल क्या होता है?
एथेनॉल एक तरह का जैविक ईंधन (बायोफ्यूल) है। इसे गन्ना, मक्का और चावल जैसे फसलों से बनाया जाता है। यह पेट्रोल में मिलाया जाता है ताकि पेट्रोल सस्ता हो और धुएं से होने वाला प्रदूषण कम हो।
भारत सरकार चाहती है कि 2025 तक पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाया जाए। इसके लिए ज्यादा एथेनॉल बनाना जरूरी है। अब सरकार चावल से भी एथेनॉल बनाने की इजाज़त दे रही है, जिससे किसान भाइयों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है।
चावल से एथेनॉल कैसे बनता है?
1. पुराने या टूटे चावल का इस्तेमाल: जो चावल खाने लायक नहीं होते या टूट जाते हैं, उनका उपयोग होता है।
2. चावल को पीसना: सबसे पहले चावल को पीसकर पाउडर बनाया जाता है।
3. स्टार्च निकालना: इस पाउडर से स्टार्च निकाला जाता है, जो मिठास जैसा होता है।
4. एंजाइम मिलाना: कुछ विशेष चीजें (एंजाइम) मिलाई जाती हैं, जिससे स्टार्च, शक्कर में बदलता है।
5. यीस्ट डालना: अब इस शक्कर में खमीर (यीस्ट) मिलाया जाता है, जिससे यह धीरे-धीरे एथेनॉल में बदल जाता है।
6. डिस्टिलेशन: आख़िर में इसे साफ़ किया जाता है और शुद्ध एथेनॉल तैयार होता है।

किसानों के लिए क्या फायदा?
टूटे चावल भी बिकेंगे
कई बार फसल के बाद चावल टूट जाता है या खराब हो जाता है। किसान उसे बेच नहीं पाते। अब वही चावल एथेनॉल बनाने में काम आ सकता है। इससे वो चावल बेकार नहीं जाएगा, बल्कि पैसे कमाएगा।
ज्यादा फसल से नुकसान नहीं होगा
अगर चावल ज्यादा हो जाए और बाज़ार में दाम गिर जाएं, तब भी किसान सरकार या कंपनियों को बेच सकते हैं, जिससे उन्हें फायदा मिलेगा।
सरकारी मदद भी मिल रही है
सरकार ने ऐसे चावल खरीदने के लिए FCI (Food Corporation of India) को ज़िम्मेदारी दी है। इसके अलावा सरकार लोन, सब्सिडी और ट्रेनिंग भी दे रही है।
देश को क्या फायदा?
1. पेट्रोल की बचत: भारत हर साल बहुत सारा पैसा बाहर से पेट्रोल खरीदने में लगाता है। अगर एथेनॉल देश में ही बनेगा, तो यह खर्च बचेगा।
2. प्रदूषण कम होगा: एथेनॉल जलने से कम धुआं निकलता है, जिससे हवा साफ रहेगी।
3. गांवों में रोजगार: एथेनॉल बनाने के लिए फैक्ट्री लगेंगी, जिससे गांव में नौकरी के मौके बढ़ेंगे।

कुछ चुनौतियाँ भी हैं
खाने वाले चावल का ईंधन में उपयोग: कुछ लोग कहते हैं कि खाने के चावल को फ्यूल में बदलना सही नहीं है। लेकिन सरकार केवल टूटे और खराब चावल ही उपयोग में ले रही है।
प्लांट लगाना महंगा है: एथेनॉल प्लांट लगाने में ज्यादा पैसा लगता है। हर किसान अकेले नहीं कर सकता।
छोटे किसानों को जोड़ना जरूरी: छोटे किसानों को समूह बनाकर या सहकारी समितियों के जरिए इससे जोड़ा जा सकता है।
सरकार क्या कर रही है?
FCI से चावल की बिक्री: FCI अब खराब या एक्स्ट्रा चावल एथेनॉल बनाने वालों को बेच रही है।
छोटे एथेनॉल प्लांट्स: सरकार चाहती है कि गांवों में भी छोटे-छोटे एथेनॉल यूनिट लगाए जाएं ताकि किसान सीधे जुड़ सकें।
2023 में रिकॉर्ड एथेनॉल मिला: भारत ने 2023 में पेट्रोल में 12% एथेनॉल मिलाकर नया रिकॉर्ड बनाया है।
आगे क्या संभावनाएं हैं?
जैसे-जैसे तकनीक आसान होगी और सरकार की मदद बढ़ेगी, वैसे-वैसे छोटे किसान भी जुड़ सकेंगे। चावल उगाने वाला किसान अब ना सिर्फ अन्नदाता रहेगा, बल्कि देश का ऊर्जा निर्माता भी बन सकता है।
अगर गांवों में छोटे-छोटे एथेनॉल प्लांट लगें और किसान समूह बनाकर काम करें, तो गांवों की आर्थिक स्थिति भी मज़बूत हो सकती है।
निष्कर्ष
चावल से एथेनॉल बनाना किसानों के लिए कमाई का नया और अच्छा तरीका बन रहा है। इससे देश को भी फायदा हो रहा है और पर्यावरण की भी रक्षा हो रही है। अगर सरकार की मदद और किसानों की मेहनत जुड़ जाए, तो यह एक क्रांति ला सकता है। तो किसान भाइयों और बहनों, अगर आपके पास भी टूटे चावल हैं या आप एथेनॉल के बारे में ज्यादा जानना चाहते हैं, तो अपने नजदीकी कृषि केंद्र या कोऑपरेटिव सोसाइटी से संपर्क करें।
ऐसी और जानकारी के लिए जुड़े रहिए Hello Kisaan के साथ। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी तो कमेंट जरूर करें और इसे अपने साथी किसानों तक पहुँचाएं। ।।जय हिन्द जय किसान ।।
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