गाय और भैंस के घी में अंतर

16 Jun 2025 | NA
गाय और भैंस के घी में अंतर

जब रसोई से घी की खुशबू उठती है, तो पूरे घर में एक अपनापन सा भर जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो घी आप खा रहे हैं, वो गाय का है या भैंस का? और क्या वाकई दोनों में कोई खास फर्क होता है?

इस लेख में हम आपको सरल भाषा में बताएँगे कि गाय के घी और भैंस के घी में क्या अंतर होता है, और किसके क्या फायदे हैं।

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1. रंग और बनावट में फर्क

गाय का घी हल्का पीला होता है। इसका रंग बीटा-कैरोटीन (Beta-carotene) नामक तत्व के कारण होता है, जो गाय के दूध में मौजूद होता है।

भैंस का घी सफेद या हल्का क्रीम कलर का होता है, क्योंकि उसमें बीटा-कैरोटीन की मात्रा बहुत कम होती है।

 यानी, अगर घी पीला है तो समझो गाय का है। सफेद है तो भैंस का।

 2. पचने में कौन आसान?

गाय का घी हल्का होता है, जल्दी पचता है। बुज़ुर्गों, बच्चों और बीमार लोगों के लिए गाय का घी ज़्यादा फायदेमंद माना जाता है।

भैंस का घी भारी होता है, पचने में समय लगता है। ये ताकत देता है, लेकिन हर किसी के शरीर को सूट नहीं करता।

 जिसको गैस, अपच या एसिडिटी की दिक्कत हो, उसे भैंस के घी से बचना चाहिए 

 3. स्वास्थ्य पर असर

गाय का घी आयुर्वेद में अमृत समान माना गया है। ये शरीर की गर्मी को संतुलित करता है, दिमाग को तेज करता है, और इम्युनिटी बढ़ाता है।

भैंस का घी शरीर को ताकत देता है, वजन बढ़ाने में मदद करता है, लेकिन ज़्यादा मात्रा में लेने से सुस्ती आ सकती है।

 गाय का घी ब्रेन के लिए, भैंस का घी बॉडी के लिए।

 4. स्वाद और उपयोग

गाय का घी हल्के स्वाद और खुशबू वाला होता है। इसे पूजा, हवन और आयुर्वेदिक औषधियों में इस्तेमाल किया जाता है।

भैंस का घी ज़्यादा गाढ़ा और चिकना होता है, इसका स्वाद भी तेज होता है, और ये खासकर मिठाइयाँ बनाने में ज्यादा इस्तेमाल होता है।

 पूजा-पाठ में हमेशा गाय का घी ही शुद्ध माना गया है।

 5. पोषक तत्वों की तुलना

घटक गाय का घी            भैंस का घी

वसा (Fat) कम (7-8%)     ज़्यादा (10-12%)

कोलेस्ट्रॉल कम                     अधिक

कैलोरी कम                     अधिक

 वजन कम करना है या दिल की सेहत का ख्याल रखना है तो गाय का घी बेहतर है।

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 6. देसी गाय बनाम हाइब्रिड भैंस

यह भी समझना ज़रूरी है कि देशी गाय, जैसे साहीवाल, गिर, राठी आदि का घी ज्यादा औषधीय होता है। वहीं भैंसों में भी मुर्राह जैसी नस्ल की भैंसों का दूध व घी ज़्यादा मलाईदार होता है।

भैंस के घी को आयुर्वेद सिर्फ विशेष स्थितियों में ही सुझाता है, जैसे अत्यधिक कमजोरी, थकान, या वजन बढ़ाने की आवश्यकता।


7. गाय और भैंस के घी का पिघलने का तापमान

  1. गाय का घी: गाय के घी का पिघलने का तापमान लगभग 29°C से 35°C के बीच होता है, जो मानव शरीर के सामान्य तापमान (लगभग 37°C) से थोड़ा कम है।

  2. भैंस का घी: भैंस के घी का पिघलने का तापमान लगभग 36°C से 40°C के बीच होता है, जो गाय के घी की तुलना में थोड़ा अधिक है।

इसलिए, गाय का घी शरीर के तापमान के करीब पिघलता है, जबकि भैंस का घी थोड़ा अधिक तापमान पर पिघलता है।

 निष्कर्ष: कौन सा घी अपनाएं?

गाय का घी अगर आप रोज़ाना इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो ये बेहतर है - हल्का, औषधीय, और शरीर को संतुलन देने वाला।

भैंस का घी अगर आप भारी मेहनत करते हैं, जैसे खेत, मजदूरी, या बॉडीबिल्डिंग - तब ये ताकत का घी है।

अंत में यही कहेंगे, घी कोई भी हो - शुद्ध होना ज़रूरी है।

आजकल बाजार में नकली घी भी धड़ल्ले से बिक रहा है। इसलिए घी वही लें जो देसी हो, घर का हो, भरोसेमंद हो।

अगर आपके गांव में कोई गाय या भैंस पालता है, तो उससे सीधा ले लो – शुद्धता भी मिलेगी और देसी किसान की आमदनी भी बढ़ेगी।

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